Do Bailon Ki Katha Class 9 | दो बैलों की कथा |

Do Bailon Ki Katha Class 9 | दो बैलों की कथा |


पाठ-1

 दो बैलों की कथा 

Do Bailon Ki Katha Class 9 PDF





ध्वनि प्रस्तुति

Do Bailon Ki Katha AUDIO




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दो बैलों की कथा

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पाठ का सारांश 

दो बैलों की कथा की गणना प्रेमचंद की श्रेष्ठ कहानियों में की जाती है. इस कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज और पशुओं के भावनात्मक संबंध का वर्णन किया है .जैसा कि पाठ के शीर्षक से पता चलता है इस कहानी में दो बैल हैं -हीरा और मोती .ये दोनों बैल सीधे-साधे भारतीयों के प्रतीक हैं. आजादी में बार-बार संघर्ष करते हैं और अंत में उसे किसी भी तरीके से प्राप्त कर लेते हैं .इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से यह कहानी आजादी के आंदोलन की भावना से जुड़ी हुई है.

                            जानवरों में गधे को सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है .इसका कारण है उसका सीधापन और सहनशीलता, उसके यही गुण उसे ऋषि-मुनियों की श्रेणी में ला देते हैं. उसके लिए लाभ हानि, सुख-दुख सब कुछ बराबर हैं. सीधेपन और सहनशीलता के कारण भारतीयों को अफ़्रीका और अमेरिका में असभ्य और बुद्धिमान समझा जाता था . गधे से कुछ कम सीधा उसका भाई भी है जिसे बैल के नाम से जाना जाता है परंतु यह कभी-कभी अड़कर अपना असंतोष प्रकट कर देता है इस कारण इसका स्थान गधे से कुछ ऊपर है.


                                                                                                 झूरी काछी के दो बैल थे, जिनका नाम था- हीरा और मोती. पछाई जाति की दोनों बैल ऊंची डॉल वाले, देखने में सुंदर तथा काम में चौकस थे . दोनों में इतनी घनिष्ठता थी कि एक दूसरे के मन की बातों का अनुमान लगा लेते थे. वे साथ साथ रहते, खाते और विनोद के भाव में कभी-कभी सींग भी मिला लिया करते थे. वे एक दूसरे के कामकाज और भर को अपने कंधे पर लेने की कोशिश करते हैं. दिन भर काम के बाद शाम को एक दूसरे को सूंघकर दोनों एक साथ ही नांद में मुँह डालते और साथ ही उठाते थे इस प्रकार प्रेम पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे थे.


                                                                                         संयोग से एक बार झूरी ने दोनों बैलों को अपनी ससुराल भेज दिया. बैलों ने समझा कि उन्हें बेच दिया गया है यह उन्हें अच्छा न लगा. उन्हें ले जाने में झूरी के साले गया को बहुत परेशानी हुई. गया उन्हें आगे से खींचता तो बैल पीछे को बल लगाते .गया के घर की नई जगह, नए लोग उन्हें अच्छे नहीं लग रहे थे. रात को जब सब सो गए तो दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा और जोर लगाकर मजबूत पगहे तोड़कर प्रातः काल तक वापस झूरी के पास आ गए. झूरी ने चरनी पर बैलों को देखा. दोनों के गले में गराँव , कीचड़ में सने पैर तथा आंखों में विद्रोह से भरा स्नेह देखकर झूरी उनके गले लग गया. गांव के लड़कों ने उनका स्वागत किया और अपने अपने घरों से रोटियां, गुड़ ,चोकर और भूसी लाकर दिया .बैलों के यूँ भाग कर चले आने से झूरी की पत्नी नाराज हुई. उसने बैलों को खली, चुनी-चोकर खिलाने से मना कर दिया .झूरी ने सूखे भूसे में नौकर से खली डालने के लिए कहा पर झूरी की पत्नी के डर से नौकर ऐसा न कर सका.


                                                                                                              दूसरे दिन झूरी का साला गया दोनों को ले जाने फिर आया . इस बार उसने दोनों को गाड़ी में जोता और किसी तरह अपने घर ले गया. उसने उन्हें मोटी-मोटी रस्सी में बांधा उन्हें खाने को सूखा भूसा डाल दिया . बैलों ने अपना ऐसा अपमान कभी नहीं देखा था क्योंकि झूरी ने अपने बैलों को खली-चुनी सब कुछ दिया था .गया ने अगले दिन उन्हें हल में जोता पर बैलों ने कदम नहीं बढ़ाए . वह हीरा की नाक पर डंडे बरसाने लगा यह देख मोती गुस्से में आग बबूला हो गया और हल लेकर भागा जिससे हल , रस्सी,जोत, जुआ सब टूट गए. दोनों के गले में बड़ी-बड़ी रस्सियाँ न होतीं तो पकड़ में ही न आते . गया गाँव के दो आदमियों के साथ औरभागा आया. उनके हाथ में लाठियां थीं . मोती ने उनका मुकाबला करना चाहा पर हीरा ने उसे शांत कर दिया .दोनों आदमियों ने हीरा-मोती को पकड़ा और घर ले आए.



                                                                                                                       रात के समय फिर उन्हें सूखा भूसा डालकर घर के लोग भोजन करने लगे उसी समय एक छोटी लड़की दो रोटी लेकर आई और दोनों के मुँह में एक एक रोटी देकर चली गई . यह प्रतिदिन का नियम बन गया दोनों दिनभर जोते जाते, डंडे खाते. शाम को थान पर बांध दिए जाते और रात को वह लड़की दो सुखी रोटी खिला जाती . बैल जान चुके थे कि यह भैरव की लड़की है जिसकी माँ मर चुकी है और सौतेली माँ उसे सताती है यह जानकर मोती ने हीरा से उस सौतेली मां को सींग से फेंक देने की बात कही पर लड़की का स्नेह उसे रोक देता था. एक दिन लड़की ने दोनों की रस्सियां खोल दीं पर बैल उसके स्नेह के कारण भाग नहीं रहे थे तभी लड़की ने शोर मचाया कि दोनों बैल भागे जा रहे हैं. हीरा-मोती आगे-आगे तथा गया पीछे-पीछे .वह गांव वालों को लेने के लिए वापस आया तब तक दोनों को भागने का मौका मिल गया. वे आगे-आगे भागते रहे पर वे रास्ता भटक गए. रास्ते में उन्हें नए-नए गांव तथा खेत मिलने लगे. भूख से व्याकुल दोनों ने एक खेत में जी भर मटर खाए फिर दोनों ने डकार लेकर सींग मिलाए.


                                                                                                                       अचानक उनको सामने से एक बड़ा सा सांड आता दिखाई दिया . उससे भिड़ने पर मरना तो तय है यह सोचकर दोनों उससे बचना चाहते थे पर कोई रास्ता भी न था. दोनों ने भागने को कायरता समझ कर उस पर एक साथ चोट करने का निश्चय किया. उन्होंने तय किया कि एक पर झपटने पर दूसरा उसके पेट में सींग घुसेड़ देगा . सांड को दो-दो शत्रुओं से एक साथ लड़ने का अनुभव न था .जब उसने मोती पर हमला किया तो हीरा ने उसे रगेदा . सांड ने जब हीरा का अंत करने के लिए वार किया तो मोती ने उसके पेट में सींग घुसा दिए और जब मोती पर झपटा तो हीरा ने भी ऐसा ही किया. सांड बेदम होकर वहीं गिर पड़ा तब उन दोनों ने उसे छोड़ दिया. आगे बढ़ने पर दोनों मटर के खेत में भाग गए अभी दो-चार ग्रास ही खाए थे की खेत के रखवालों ने उन्हें देख लिया. मेढ़ पर खड़ा हीरा निकल गया पर मोती सींचे (गीले ) हुए खेत में था वह भाग न सका .हीरा भी लौट आया दोनों पकड़े गए और कांजी हाउस में बंद कर दिए गए.



                                                                                                                                        दोनों के जीवन में ऐसा पहली बार हुआ कि सारे दिन खाने को कुछ न मिला.इससे तो गया ही अच्छा था -उन्होंने सोचा .यहां कई भैंसें ,बकरियां और घोड़े थे पर चारा तो किसी के सामने न था .सारा दिन दोनों ने चारे का इंतजार किया पर कोई चारा लेकर न आया . उन्होंने दीवार की मिट्टी चाटना शुरू कर दी पर उससे क्या होता ? दोनों वहां से निकल भागने की योजना बनाने लगे .बाड़े की कच्ची दीवार में हीरा ने सींग मार कर कुछ मिट्टी गिरा दी .उसी समय बाड़े का चौकीदार हाजिरी लेने आया उसने हीरा को ऐसा करते देख उसे कई डंडे मारे और मोटी रस्सी से बांध दिया . इतना होने पर भी दोनों ने दीवार गिराना जारी रखा . दो घंटे के बाद आधी दीवार गिर गई .यह देख पहले घोड़ियां फिर बकरियां बाद में भैंसें कांजी हाउस से भाग गईं पर गधे अभी वहीं खड़े थे. वे डर के मारे भागना नहीं चाहते थे . आधी रात तक गधे वहीं खड़े रहे और मोती हीरा की रस्सियाँ तोड़ने में लगा रहा. सफल न होता देख मोती ने सींग मारकर गधों को भी वहां से भगा दिया और हीरा के पास सो गया अगले दिन मोती को खूब मार पड़ी और उसे भी मोटी रस्सी में बांध दिया गया .



                                        एक सप्ताह तक दोनों बिना चारे के वहीं पड़े रहे. वे बहुत कमजोर हो चुके थे एक दिन बाड़े के सामने डूग्गी बजने लगी और बाड़े के सामने पचास-साठ आदमी वहां एकत्र हो गए. दोनों को निकाला गया पर ऐसे मरियल बैलों का कोई खरीदार न था . अचानक एक दढ़ियल जिसकी आंखें लाल तथा मुद्रा कठोर थी आया और उनके कूल्हों में उंगली गोद कर देखने लगा . यह देखकर दोनों अंतर्ज्ञान से कांप उठे. नीलामी के बाद उसने दोनों बैलों को खरीद लिया. डर के मारे हीरा मोती उसके साथ गिरते पड़ते भागने लगे क्योंकि जरा सी चाल कम होते ही वह डंडा मार देता था राह में गाय-बैलों को हरे-हरे खेतों में चरता देखकर उन्हें अपने भाग्य पर रोना आ रहा था .


          सहसा हीरा मोती को वह रास्ता परिचित सा लगा. गया उसी रास्ते से उन्हें ले गया था .वही खेत ,बाग़ और गांव उन्हें मिलने लगे. उनकी थकान और दुर्बलता गायब हो उठी . उन्हें अपना खेत और कुआं पहचान में आ गया . अपना घर निकट देखकर दोनों तेजी से भागे और अपने थान पर जाकर ही रुके. उन्हें यूं आया देख झूरी ने बारी-बारी से उन्हें गले लगा लिया. अब तक दढ़ियल ने आकर उनकी रस्सियाँ पकड़ लीं . झूरी ने कहा यह तो मेरे बेल हैं इस पर दढ़ियल ने कहा तुम्हारे बैल कैसे? मैनें इन्हें मवेशी खाने से नीलाम किया है . यह कहकर वह जबरदस्ती उन्हें ले जाने की कोशिश करने लगा . उसी समय मोती ने सींग चलाया. दढ़ियल डर के मारे भागने लगा यह देख मोती दढ़ियल के पीछे भागने लगा और उसे गांव के बाहर खदेड़ दिया अंत में हारकर दढ़ियल चला गया.

थोड़ी ही देर में झूरी ने नांदों में खली,चूनी ,चोकर और दाना भर दिया जिसे खाने में दोनों व्यस्त हो गए. गाँव में उत्साह छा गया मालकिन ने भी दोनों के माथे चूम लिए.




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शब्दार्थ



परले दर्जे का बेवकूफ- महामूर्ख

निरापद- सुरक्षित

सहिष्णुता- सहनशीलता

पदवी- उपाधि

अनायास- अचानक

वैशाख- गर्मी का महीना

विषाद - दुख ,उदासी

पराकाष्ठा- चरम सीमा, अंतिम सीमा

अनादर- अपमान

कदाचित- शायद

कुसमय- बुरा समय, मुसीबत

गम खा जाना- शांत रहना



मिसाल -उदाहरण

गण्य - गणनीय , सम्मानित

बछिया के ताऊ- अत्यधिक मूर्ख

अड़ियल- जिद्दी

रीति- तरीका

पछाई - पालतू पशुओं की एक नस्ल

चौकस- चौकन्ना

डील- कद

मूक-भाषा - मौन भाषा

विचार विनिमय- विचारों का आदान प्रदान

गुप्त- छिपी

वंचित- रहित या विमुख

विग्रह- अलगाव

घनिष्ठता- प्प्रगाढ़ता

नाँद - पशुओं के चारा खाने का बड़ा सा बर्तन

गोई - जोड़ी

समर्थन करना- पुष्टि करना

पगहिया - बैलों को बांधने की रस्सी

कबूल- स्वीकार

जालिम- निर्दयी

बेगाने- पराए

चरनी - चारा खाने की जगह



गराँव - बैलों के गले में पहनाई जाने वाली फंदेदार रस्सी

प्रेमालिंगन - प्रेम से बाहों में भर लेना

मनोहर- मन को अच्छा लगने वाला

अभूतपूर्व -जो पहले न हुआ हो

अभिनंदन पत्र- सम्मान पत्र



प्रतिवाद करना- विरोध में तर्क देना

आक्षेप- आरोप

कामचोर- काम से जी चुराने वाला

मजूर- मजदूर

ताकीद - चेतावनी

टिटकार- बैलों को तेज चलाने के लिए मुंह से निकाली गई टिक-टिक की आवाज

आहत- घायल

कुशल -भला

तेवर - क्रोध भरी दृष्टि

टाल जाना- बच जाना

मसलहत - उचित , हितकर

वास -निवास

आत्मीयता -अपनापन

थान -पशुओं के बाँधने का स्थान

बरकत- बढ़ाव या वृद्धि

सहसा -अचानक

परिचित मार्ग -जाना पहचाना रास्ता

बेतहाशा -बिना सोचे समझे

आहट लेना -किसी के आने के बारे में जानने की कोशिश करना

भयंकर -डरावनी

आरजू -विनती

रगेदना - दौड़ाना, खदेड़ना

जोखिम -खतरा

संगठित- इकट्ठा, एकजुट

तजुर्बा- अनुभव

मल्लयुद्ध -कुश्ती

आदी - अभ्यास

जख्मी -घायल

तिरस्कार -अपमान

वैरी -दुश्मन

ग्रास- कौर

संगी - साथी

कांजीहौस - जहां पशुओं को बंद करके रखा जाता है

साबिका - वास्ता ,सरोकार

तृप्ति -संतोष

बूते - बल

चिप्पड़ - टुकड़ा

उजड्डपन - उद्दंडता

देह - शरीर

प्रतिद्वंद्वी- मुकाबला करने वाला

सरपट -तेजी से

हर्ज -परेशानी

गर्व - अभिमान

बंधु -भाई

भोर - सवेरा ,तड़का

तृण -तिनका

ठठरी- हड्डी

मृतक - मरा हुआ

खरीदार- खरीदने वाला

अंतर्ज्ञान - भीतरी ज्ञान

टटोलना -उंगलियों से छूकर पता लगाना

भीत - डरा हुआ

नाहक -बेकार

अश्रद्धा - अनादर

चपल - चंचल



पागुर करना (जुगाली करना ) -गाय बैल जैसे पशुओं द्वारा निगले हुए चारे को फिर से चबाने की क्रिया

बधिक-वध करने वाला

पुर चलाना -चमड़े के बड़े से थैले से पानी खींचना

नगीच - निकट

उन्मत्त -पागल

नीलामी- बोली में सबसे ज्यादा मूल्य देकर खरीदना

अख्तियार -अधिकार

रपट- सूचना

उछाह - उत्साह


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DO BAILON KI KATHA
पाठ में प्रयुक्त  मुहावरे


गम खाना- कष्ट को चुपचाप सहन कर लेना

ईंट का जवाब पत्थर से देना -भरपूर या जोरदार जवाब देना

बछिया का ताऊ होना- महामूर्ख होना

दांतों पसीना आ जाना -बहुत अधिक परिश्रम करना

कसर न उठा रखना -भरपूर कोशिश करना

दिल भारी होना -बहुत दुखी होना

मजा चखाना -बदला ले लेना

आंखें न उठाना -देखने की कोशिश भी न करना

आफत आना - मुसीबत आना

बगलें झांकना -किसी बात से बचने का प्रयास करना

ज्वाला दहक उठना - बहुत अधिक बढ़ जाना

चेत उठना - सजग हो जाना

खलबली मचना - अफरा-तफरी मचना

मरम्मत होना -पिटाई होना

मन फीका करना -निराशा हाथ लगना

बोटी-बोटी कांपना -बहुत डरना

गिरते पड़ते भागना -किसी तरह से जल्दी जल्दी भागना

खबर लेना -धमकाना या मारना



दो बैलों की कथा प्रश्न उत्तर
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प्रश्नोत्तर

प्रश्न- कांजी हाउस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी ?

उत्तर- कांजी हाउस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी क्योंकि -

  • पशुओं की संख्या का ठीक-ठीक पता चल सके
  • कोई पशु बीमार तो नहीं है इसका पता लगाया जा सके
  • समूह में उत्पात मचाने वाले पशुओं की अलग व्यवस्था की जा सके
  • पशुओं की संख्या नीलामी के लायक है या नहीं इस बात की जानकारी के लिए
  • सभी पशु समय से खाना खा रहे हैं या नहीं इस बात को जानने के लिए.




प्रश्न- छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?

उत्तर- छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम उमड़ने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं -

  • छोटी बच्ची को उसकी सौतेली मां सताती थी .यहां गया हीरा मोती पर अत्याचार कर रहा था .
  • छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी उसे अपनों से बिछड़ने के दुख का ज्ञान था .
  • छोटी बच्ची मां के मरने को अपना दुर्भाग्य मानती थी वह हीरा मोती को उनका घर छोड़ने के कारण अपने जैसा ही अभागा समझती थी.
  • छोटी बच्ची छल-प्रपंच से अभी दूर थी . उसका मन हीरा मोती पर अत्याचार देख द्रवित हो गया और प्रेम उमड़ आया .




प्रश्न- कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति विषयक मूल्य उभर कर आए हैं?

उत्तर- कहानी में बैलों के माध्यम से अनेक नीति विषयक मूल्य उभर कर आए हैं, उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं -

  • सच्ची मित्रता -मुसीबत के समय हीरा मोती एक दूसरे का साथ देकर सच्ची मित्रता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं . एक की मुसीबत में दूसरे ने हमेशा साथ दिया.
  • मिलजुल कर रहने की भावना- हीरा मोती अपने से ज्यादा शक्तिशाली सांड को हराकर एकता में शक्ति की कहावत को चरितार्थ करते हैं और किसी भी प्रकार की समस्या या मुसीबत आने पर हमेशा मिलजुलकर कर सामना करते हैं.
  • निस्वार्थ परोपकार की भावना - हीरा और मोती कांजी हाउस की दीवार गिरा कर पहले दूसरे जानवरों को जाने में मदद करते हैं और ऐसा करते हुए वे स्वयं बंधन में ही पड़े रहते हैं अतः इस परोपकार के पीछे उनका कोई स्वार्थ नहीं रहता है.
  • नारी जाति का सम्मान- हीरा और मोती नारी का सम्मान करते हैं और छोटी बच्ची को सताने वाली उसकी सौतेली मां के साथ बुरा व्यवहार नहीं करते हैं.
  • स्वतंत्रता प्रेमी- हीरा और मोती गया के घर, कंजीहोस तथा बधिक के हाथों में रहते हुए अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हैं और इसमें अंततः सफल होते हैं.




प्रश्न- प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ ‘मूर्ख’ का प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है ?

उत्तर- गधे को उसके स्वभाव के आधार पर मूर्खता का पर्याय समझा जाता है पर प्रेमचंद ने उसकी स्वाभाविक विशेषताओं सरलता और सहनशीलता के आधार पर एक नए अर्थ की ओर हमारा ध्यान खींचा है . गधे में निहित गुणों के आधार पर लेखक ने उसकी तुलना ऋषि-मुनियों से की है सुख दुख, लाभ-हानि तथा विपरीत परिस्थितियों में एक जैसा बने रहने के गुण के कारण लेखक ने उसके सरल और सहनशील होने की ओर संकेत किया है.



प्रश्न- किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी ?

दो बैलों की कथा में ऐसी अनेक घटनाएं हैं जिनसे पता चलता है कि हीरा और मोती दोनों पक्के मित्र थे-

  • हीरा और मोती एक दूसरे को चाटकर और सूँघकर एक दूसरे के प्रति अपना प्रेम प्रकट करते थे.
  • हल में जोते जाते समय दोनों की यही कोशिश रहती थी कि ज्यादा से ज्यादा भार वे अपनी ओर करें.
  • गया द्वारा हीरा की पिटाई से दुखी मोती हल लेकर भागा जिससे हल, जोत, जुआ सब टूट गए.
  • सांड से लड़ते समय दोनों ने योजनाबद्ध तरीके से लड़ाई की और अंत में विजयी हुए.
  • मटर खाते समय मोती के पकड़े जाने पर हीरा भी वापस आ गया और दोनों को कांजीहोस में बंदी बना दिया गया.
  • कांजीहोस की दीवार गिराने की कोशिश करने के कारण हीरा को मोटी रस्सी में बांध दिया गया .मोती चाहता तो भाग सकता था लेकिन हिरा का साथ देने के लिए वहीं रुका रहा.

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प्रश्न-’ लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो.’ हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए.

उत्तर- हीरा के कथन से लेखक का दृष्टिकोण ज्ञात होता है कि उस समय समाज में स्त्रियों की स्थिति अच्छी नहीं थी वे पुरुषों द्वारा शोषित थी .सामाजिक नियमों के अनुसार स्त्रियों को शारीरिक दंड देना अनुचित है. लेखक स्त्रियों की प्रताड़ना का विरोधी है और नारियों के सम्मान का पक्षधर है . लेखक स्त्रियों तथा पुरुषों की समानता का पक्षधर है.



प्रश्न- किसान-जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?

उत्तर- पशु आदि काल से ही मनुष्यों के साथ ही रहे हैं मनुष्य ने कभी उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए पाला तो कभी आर्थिक लाभ के लिए . किसान जीवन में किसान हल चलाने ,बोझा ढोने ,पानी खींचने तथा सवारी करने के लिए पशुओं का प्रयोग करते हैं. पशु भी अपने चारे के लिए मानव जाति पर निर्भर रहते हैं . पशुओं को सुरक्षित आवास भी मिलता है .कहानी में झूरी अपने बैलों से प्यार करता है तथा उनके खाने-पीने का ध्यान रखता है तभी वे हर मुसीबत पर विजय पाते हुए प्रेम न करने वाले गया कि घर से भागकर अपने आत्मीय मालिक झूरी के पास आ जाते हैं.



प्रश्न- ‘इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई’ .वे सब तो आशीर्वाद देंगे’- मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएं बताइए.

मोती के उक्त कथन के आलोक में उसकी निम्नलिखित विशेषताएं प्रकट होती हैं

  • मोती स्वभाव से उग्र जरूर है पर दयालु है. 
  • मोती का स्वभाव परोपकारी है. वह कांजीहोस में बंद जानवरों की जान बचाता है .
  • मोती सच्चा मित्र है वह मुसीबत के समय हीरा का साथ नहीं छोड़ता है . 
  • मोती अत्याचार का विरोधी है वह कांजीहौस की दीवार तोड़कर अत्याचार का विरोध करता है.
  • मोती साहसी है वह हीरा की मदद से सांड को पराजित करता है.



प्रश्न- आशय स्पष्ट कीजिए

अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है.

उत्तर- हीरा और मोती गहरे मित्र थे . वे एक दूसरे से बिना कुछ कहे एक दूसरे के भावों को समझते थे . उनके पास अवश्य कोई ऐसी शक्ति थी जिससे ऐसा होता था . मनुष्य स्वयं को प्राणियों में श्रेष्ठ मानता पर उसके पास ऐसी शक्ति नहीं है कि वह दूसरों के मनोभावों को समझ सके.



उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया.

उत्तर- गया के घर हीरा मोती को काम तो बहुत करना पड़ता था पर उन्हें खाने में सूखा भूसा ही दिया जाता था. बैलों पर यह अत्याचार देख उसी घर की छोटी सी लड़की रात में उनको एक-एक रोटी दे जाती थी यद्यपि इससे उनकी भूख कम नहीं होती थी तथापि उस बच्ची का प्रेम और त्याग उनमें एक उत्साह तथा शक्ति का संचार कर देता था. उसी से उनका पेट भर जाता था.



प्रश्न- गया ने हीरा मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि-

वह हीरा मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था.




DO BAILON KI KATHA
रचना और अभिव्यक्ति



प्रश्न-हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही. हीरा मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें.

उत्तर- हीरा और मोती को गया के घर से लेकर कान्जिहोउस तक शोषण का शिकार होना पड़ता है. शोषण का अपने तरीके से विरोध करते हैं इसके परिणाम स्वरूप भी दोनों पीटे जाते हैं तथा अंततः कांजी हाउस में बंद कर दिए जाते हैं .

                 पर मेरा विचार है कि शोषण का विरोध करके उन्होंने बिल्कुल ठीक किया .शोषण का विरोध करते हुए इतना दुख तो उठाना पड़ता ही है. शोषित रहकर घुट-घुट कर जीने और हर सांस के लिए दूसरे पर आश्रित रहने से अच्छा उनका विरोध है इससे शोषक अपनी मनमर्जी नहीं कर पाता है.




प्रश्न- क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है?

उत्तर- यह कहानी अप्रत्यक्ष रूप से आजादी के आंदोलन से जुड़ी है . ये दो बैल सच्चे भारतीय हैं जिनमें से एक गांधीजी के अहिंसा का समर्थक है (हीरा) तो दूसरा उग्र स्वभाव वाला है (मोती) .

                                                                                                              दोनों मिलकर आजादी पाने के लिए संघर्ष करते हैं. झूरी का घर स्वदेश का प्रतीक है जहां आने के लिए दोनों व्याकुल रहते हैं उन्हें इसके लिए अनेक बाधाएं झेलनी पड़ती हैं .जैसे क्रांतिकारियों को काला पानी की सजा होती थी उसी तरह इनको भी कांजी हाउस में बंद कर दिया जाता है. वहां यह अपने साथियों को मुक्त कराते हैं. दोनों को मारने के लिए बधिक के हाथों बेच दिया जाता है परंतु अंततः ये झूरी के घर अर्थात स्वदेश वापस आ ही जाते हैं .इस प्रकार यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है.


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DO BAILON KI KATHA
भाषा अध्ययन



बस इतना ही काफी है.

फिर मैं भी जोर लगाता हूं.

'ही'  , 'भी 'वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं .ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं. कहानी में से पांच ऐसे वाक्य निकालो जिनमें निपात का प्रयोग हुआ हो.


उत्तर- निपात वाले पांच वाक्य-

निपात ‘ही’ -

  • एक ही चोट ने उसे जीवन का सबक सिखा दिया.
  • अवश्य ही हीरा और मोती आजादी के लिए बेचैन थे.
  • सम्मान तो गया ही साथ में भूखा भी रहना पड़ा
  • यह अपनापन ही है जो हीरा और मोती को रिश्ते में बांधे रखता था.
  • अभी चार ग्रास ही खाए थे कि लाठियां लेकर लोग पीछे आने लगे.

निपात 'भी' -
  • अगर वह भी ईंट का जवाब पत्थर से देते तो शायद समझदार कहलाते .
  • एक मुँह उठा लेता तो दूसरा भी उठा लेता.
  • झूरी कभी गुस्से में बैलों को छूता भी नहीं था.
  • यहां भी किसी सज्जन का वास है.
  • मैं मरूंगा लेकिन सांड भी नहीं बचेगा.


प्रश्न- रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए तथा उपवाक्य छांटकर उसके भी भेद लिखिए.

1- दीवार का गिरना था कि अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर शेर हो उठे

उत्तर-
वाक्य भेद- मिश्र वाक्य
प्रधान वाक्य- दीवार का गिरना था
संज्ञा आश्रित उपवाक्य- अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर शेर हो उठे



२- सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखें लाल और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया.

उत्तर-
वाक्य भेद- मिश्र वाक्य
प्रधान वाक्य- सहसा एक दढ़ियल आदमी आया
विशेषण आश्रित उपवाक्य -जिसकी आंखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर



3- हीरा ने कहा- गया के घर से नाहक भागे .

उत्तर-
वाक्य भेद- मिश्र वाक्य
प्रधान वाक्य- हीरा ने कहा
संज्ञा आश्रित उपवाक्य- गया के घर से नाहक भागे.


4 - मैं बेचूंगा , तो बिकेंगे

उत्तर-
वाक्य भेद- मिश्र वाक्य
प्रधान वाक्य- बिकेंगे
क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य- मैं बेचूँगा तो



5- अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं भी बे-मारे ना छोड़ता .

उत्तर-
वाक्य भेद- मिश्र वाक्य
प्रधान वाक्य- तो मैं भी बे-मारे ना छोड़ता
क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य-- अगर वह मुझे पकड़ता.


प्रश्न- कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है कोई 5 मुहावरे छांटिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए.


उत्तर-

  • जी तोड़ काम करना- गया के घर हीरा मोती को जी तोड़ काम करना पड़ता था.
  • ईंट का जवाब पत्थर से देना- हीरा और मोती ने मिलकर ईंट का जवाब पत्थर से दिया.
  • टाल जाना- पहले उसने पैसे देने का वादा किया लेकिन बाद में टाल गया .
  • जान से हाथ धोना- सांड के सामने जरा सी लापरवाही से हीरा और मोती जान से हाथ धो सकते थे.
  • नौ दो ग्यारह होना- दीवार गिरते ही कुछ जानवर नौ दो ग्यारह हो गए.


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DO BAILON KI KATHA
 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न 


उच्च चिंतन एवं मनन क्षमताओं पर आधारित प्रश्न


1- जानवरों में भी मानवीय संवेदना होती है . दो बैलों की कथा पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए.


२- स्वतंत्रता सहज नहीं मिलती इसके लिए संघर्ष करना पड़ता है .’’दो बैलों की कथा ‘पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए.

3- कांजी हाउस में किन्हें कैद किया जाता है? और उनके साथ कैसा व्यवहार होता है?

4- हीरा-मोती गया के साथ क्यों नहीं जाना चाहते थे?

5- मोती के चरित्र की चार विशेषताएँ लिखो.

6- दो बैलों की कथा के आधार पर सिद्ध कीजिए कि एकता में ताकत होती है.

7- गया के साथ जाते समय हीरा-मोती के मन में आए भावों का उल्लेख कीजिए.

8- हीरा और मोती में से आप किसे अधिक सभ्य और सहनशील मानते हैं.




लघु उत्तरीय प्रश्न


1- गया के घर हीरा और मोती ने स्वयं को अपमानित महसूस किया .क्यों?

२- कदम कदम पर अपमानित होने के बाद भी हीरा मोती को ऐसा क्यों लगा कि यहां भी किसी सज्जन व्यक्ति का वास है ?

3- किस घटना से पता चलता है कि हीरा मोती के मन में औरत जाति के प्रति सम्मान था.

4 - शत्रुओं के बारे में हीरा मोती के विचार किस तरह भिन्न थे

5- हीरा मोती ने कांजी हाउस में बंद जानवरों का जीवन किस प्रकार बचाया?

6- दढ़ियल के साथ जाते-जाते हीरा मोती को जानवर स्वार्थी क्यों नजर आ रहे थे?

7- लेकिन औरत जाति पर सींग चलाना मना है, यह भूल ही जाते हो- इस कथन के द्वारा लेखक ने समाज की किस विडंबना की ओर संकेत किया है?

8- ‘दो बैलों की कथा’ पाठ में आए किन्हीं दो जीवन मूल्यों को प्रसंग सहित लिखिए.

9- हीरा मोती किस प्रकार सहयोग एवं प्रेम करते थे ?इससे आपको क्या शिक्षा मिलती है?



दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


1- कैसे कह सकते हो कि हीरा मोती की अपेक्षा अधिक सहनशील था?

2- गया के घर से भागकर आए हीरा मोती को देख झूरी बच्चे और उसकी पत्नी ने किस प्रकार प्रतिक्रिया व्यक्त की?

3- दो बैलों की कथा के आधार पर सिद्ध कीजिए कि एकता में शक्ति होती है.

4- सिद्ध कीजिए हीरा नरम विचारों वाला तथा मोती गरम विचारों वाला क्रांतिकारी है?



निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-



1- हीरा और मोती आपसी मित्रता किस तरह प्रकट करते हैं ?

2-मोती के चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए .

3- इतना तो हो ही गया कि दस प्राणियों की जान बच गई ,वे सब तो आशीर्वाद देंगे मोती के इस कथन के आलोक उसकी विशेषताएं लिखिए.

4 - हीरा मोती को रास्ते में कौन मिला ? उसके बाद क्या हुआ?

5 - गया के घर से लौटे बैलों को देखकर झूरी की पत्नी ने क्या प्रतिक्रिया प्रकट की?

6- लेखक ने गधे का छोटा भाई किसे कहा है, और क्यों?

7- दढ़ियल कौन था? हीरा और मोती उसके किस व्यवहार के कारण उससे भयभीत हो उठे?

8- गया के साथ जाते समय हीरा मोती की भावनाओं का वर्णन कीजिए ?

9- बाड़े के सामने डुग्गी क्यों बजी थीऔर वहां लोग क्यों एकत्रित हो गए थे?

10- क्या आपको लगता है कि दो बैलों की कथा आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है?

11- जब हीरा और मोती झूरी के घर वापस आए तो उनका स्वागत कैसे हुआ?

12-कृषि प्रधान समाज में पशुओं का क्या महत्व होता है?

13- झूरी अपने दोनों बैलों के साथ कैसा व्यवहार करता था?

14- छोटी बच्ची हीरा और मोती को रोटियां क्यों खिलाती थी?

15- बैलों की आंखों में स्नेहमय विद्रोह क्यों झलक रहा था?

16- ‘उस एक रोटी से मानो दोनों के हृदय को भोजन मिल गया’ - का आशय स्पष्ट कीजिए?

17- हीरा और मोती के स्वभाव में क्या अंतर था ? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए.

18- हीरा मोती कांजी हाउस में बंद जानवरों के लिए भगवान बन कर आए, कैसे? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए.

19- छोटी बालिका ने बैलों के भागने में किस तरह मदद की?


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Mere Sang ki Aurte class 9 | मेरे संग की औरतें |


MCQ

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Work-sheet

 कार्य-पत्रक  







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