Arth ke Aadhar par Vakya Bhed | अर्थ के आधार पर वाक्य भेद |

वाक्य- पदों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं. वाक्य के लिए एक उद्देश्य और एक विधेय का होना आवश्यक है.
जैसे- आशा विद्यालय जा रही है.
इसमें ‘आशा ’उद्देश्य है और ‘स्कूल जा रही है’ विधेय है.

वाक्य को दो आधारों पर बाँटा जाता है-

1.अर्थ के आधार पर 
2.रचना के आधार पर

Arth ke Aadhar par Vakya Bhed | अर्थ के आधार पर वाक्य भेद |


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अर्थ के आधार पर वाक्य भेद



अर्थ के आधार पर आठ (8) प्रकार के वाक्य होते हैं –
arth ke aadhar par vakya ke bhed

  • 1-विधान वाचक वाक्य
  • 2- निषेधवाचक वाक्य
  • 3- प्रश्नवाचक वाक्य
  • 4- विस्मयादिवाचक वाक्य
  • 5- आज्ञावाचक वाक्य
  • 6- इच्छावाचक वाक्य
  • 7-संकेतवाचक वाक्य
  • 8-संदेहवाचक वाक्य

arth ke aadhar par vakya ke bhed

विधानवाचक वाक्य - वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है।

जिन वाक्यों  में क्रिया के करने या होने का बोध हो और ऐसे वाक्यों में  किसी काम के होने या किसी के अस्तित्व का बोध होता हो, उन्हें विधिवाचक या विधानवाचक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण -


  • भारत एक देश है।
  • विद्यार्थी प्रतिदिन विद्यालय जाता है .
  • श्रीराम के पिता का नाम दशरथ था।
  • मजदूर ने श्रमपूर्वक कार्य किया .
  • दशरथ अयोध्या के राजा थे।
  • पाँच दिन से लगातार वर्षा हो रही है .
  • सूर्य गर्मी देता है।
  • वह देहरादून गया होगा।
  • भारत हमारा देश है।
  • वह बालक है।
  • हिमालय भारत के उत्तर दिशा में स्थित है।
  • राधा सुबह गाती है .
  • गाय रोज घास चरने जाती है .
  • माँ आज रोटी बनाएगी.



निषेधवाचक वाक्य : जिन वाक्यों से कार्य न होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं।

एक ऐसा सन्देश जो किसी काम को न करने का आदेश दे रहा हो, वह निषेधवाचक वाक्य कहलाता है। इसे नकारात्मक वाक्य भी कहते हैं . इन वाक्यों में प्रायः न, नहीं या मत जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है। 'नहीं' का प्रयोग सामान्यतः सभी स्थितियों में किया जाता है, लेकिन 'मत' का प्रयोग प्रायः आज्ञावाचक वाक्यों में और 'न' का प्रयोग 'अगर' या 'यदि' जैसे शब्दों से शुरू होने वाले वाक्यों में किया जाता है।

जैसे-

  • मैंने दूध नहीं पिया।
  • कई कर्मचारी ईमानदार नहीं होते हैं .
  • मैंने खाना नहीं खाया.
  • आज मोहन घर नहीं आएगा .
  • कल वर्षा नहीं हुई थी .
  • बच्चे नहीं पढ़ रहे हैं .
  • अभी महामारी का खतरा नहीं टला .



प्रश्नवाचक वाक्य - वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार का प्रश्न किया जाता है, वह प्रश्नवाचक वाक्य कहलाता है।

उदाहरण -

  • मौसम कैसा है ?
  • कृष्ण के पिता कौन थे?
  • दशरथ कहाँ के राजा थे?
  • तुम कैसे हो?
  • मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ?
  • तुमने ऐसा क्यों किया ?
  • सूरज किस दिशा से निकलता है ?
  • भारत कब स्वतंत्र हुआ था ?
  • मृत्यु पर किसका वश है ?



आज्ञावाचक वाक्य - वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार की आज्ञा दी जाती है या प्रार्थना की जाती है, वह विधिसूचक वाक्य कहलाता है।


उदाहरण -

  • बैठो।
  • मेरे लिए किताब लाओ .
  • बैठिये।
  • आज की पढ़ाई पूरी करो .
  • कृपया बैठ जाइये।
  • शांत रहो।
  • कृपया शांति बनाये रखें।
  • तुम वहाँ जाओ।
  • यह पाठ तुम पढ़ो।
  • अपना–अपना काम करो।
  • आप चुप रहिए।
  • तुम पानी लाओ।
  • आप वहाँ जा सकते हो.



विस्मयादिबोधक वाक्य - वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की गहरी अनुभूति का प्रदर्शन किया जाता है, वह विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाता है।

जिन वाक्यों में आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा आदि के भाव व्यक्त हों, उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण -

  • अहा! कितना सुन्दर उपवन है।
  • अरे वाह ! भारत की दीपिका ने स्वर्ण पदक जीत लिया .
  • ओह! कितनी ठंडी रात है।
  • अहा! झील का दृश्य बहुत मनोरम है।
  • बल्ले! हम जीत गये।
  • अरे! इतनी लम्बी रेलगाड़ी!
  • ओह! बड़ा जुल्म हुआ!
  • छिः! कितना गन्दा दृश्य!
  • शाबाश! बहुत अच्छे!


इच्छावाचक वाक्य - जिन वाक्य‌ों में किसी इच्छा, आकांक्षा या आशीर्वाद का बोध होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं।

उदाहरण-

  • भगवान तुम्हें दीर्घायु करें ।
  • नववर्ष मंगलमय हो।
  • ईश्वर करे, सब कुशल लौटें।
  • दूधो नहाओ, पूतो फलो।
  • कल्याण हो।
  • नव वर्ष की हार्दिक बधाई।
  • तरक़्क़ी की हार्दिक बधाई।
  • भगवान करे कि आप सुखी वैवाहिक जीवन बिताएँ।


संकेतवाचक वाक्य- जिन वाक्यों में किसी संकेत का बोध होता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं।इन वाक्यों में किसी-न-किसी शर्त की पूर्ति का विधान किया जाता है इसीलिए इनको शर्तवाची वाक्य भी कहते हैं।

उदाहरण-

  • यदि तुम भी मेरे साथ रहोगी तो मुझे अच्छा लगेगा।
  • वर्षा होती तो अनाज पैदा होता।
  • यदि पेड़ नहीं कटते तो ऑक्सीजन पर्याप्त होती .
  • यदि महामारी समाप्त हो जाती तो विद्यालय खुल जाते .


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संदेहवाचक वाक्य - जिन वाक्यों में संदेह का बोध होता है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं।


उदाहरण-

  • क्या वह यहाँ आ गया ?
  • संभवतः कोरोना इस वर्ष समाप्त हो जाए .
  • क्या उसने काम कर लिया ?
  • सम्भवतः वह सुधर जाए।
  • शायद मैँ कल बाहर जाऊँ।
  • आज वर्षा हो सकती है।
  • शायद वह मान जाए।


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वाक्य परिवर्तन के उदाहरण



उदाहरण 1
vakya parivartan arth ke aadhar par
 

  • विधान वाचक- दीपिका बहुत अच्छी तीरंदाज है .
  • निषेधवाचक- दीपिका बहुत अच्छी तीरंदाज नहीं  है .
  • आज्ञावाचक- दीपिका तुम  बहुत अच्छी तीरंदाज बनो .
  • प्रश्नवाचक- क्या दीपिका बहुत अच्छी तीरंदाज है ?
  • विस्मयवाचक- अरे वाह ! दीपिका बहुत अच्छी तीरंदाज है .
  • संदेशवाचक- संभवतः दीपिका बहुत अच्छी तीरंदाज होगी .
  • इच्छावाचक- मेरी इच्छा है कि दीपिका बहुत अच्छी तीरंदाज बने .
  • संकेतवाचक- यदि दीपिका मेहनत करती तो बहुत अच्छी तीरंदाज होती  .


उदाहरण 2
vakya parivartan arth ke aadhar par
 

  • विधान वाचक- राहुल  विद्यालय जाता है .
  • निषेधवाचक- राहुल  विद्यालय नहीं जाता है .
  • आज्ञावाचक- राहुल  विद्यालय जाओ .
  • प्रश्नवाचक- क्या राहुल  विद्यालय जाता है ?
  • विस्मयवाचक- वाह ! राहुल  विद्यालय जाता है .
  • संदेशवाचक- संभव है राहुल विद्यालय जाता होगा .
  • इच्छावाचक- राहुल  विद्यालय जाए .
  • संकेतवाचक- यदि राहुल विद्यालय जाता है, तो वह अवश्य पढ़ाई करता .


उदाहरण 3
vakya parivartan arth ke aadhar par


  • निषेधवाचक- तुम कल बाजार नहीं जाओगे .
  • विधानवाचक- तुम कल बाजार जाओगे .
  • आज्ञावाचक- तुम कल बाजार जाओ .
  • प्रश्नवाचक- क्या तुम कल बाजार  जाओगे ?
  • विस्मयवाचक- वाह ! तुम कल बाजार जाओगे . 
  • संदेहवाचक- शायद तुम कल बाजार  जाओगे .
  • इच्छावाचक- काश, तुम कल बाजार  जाते .
  • संकेतवाचक- यदि तुम कल बाजार जाओगे तो मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा .





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हिंदी व्याकरण को आसान तरीके से समझने के लिए अध्ययन सामग्री को निर्मित किया गया है . व्याकरण किसी भी भाषा का अभिन्न अंग होता है . भाषा की समझ व्याकरण से ही बढ़ती है . विद्यार्थियों को रुचिकर और उत्सुकता बढ़ाने वाले ढंग से मार्गदर्शन देना जरुरी है . सरल भाषा में विभिन्न विषयों के साथ संयोजन करते हुए पढ़ाई करना आज की आवश्यकता है . प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं की तैयारी के लिए आधार बनाना भी जरुरी है . बच्चों के लिए हिंदी सीखें और बच्चे भी हिंदी सीखें.



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