Diary writing in Hindi | diary Lekhan in Hindi | डायरी लेखन

what is diary writing ? | diary writing examples


 diary writing 

 डायरी लेखन  




'डायरी ' कैसे लिखते हैं?
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डायरी-लेखन क्या है?

डायरी लिखने का उद्देश्य क्या होता है ?

डायरी लिखते समय किन बातों का ध्यान रखा जाता है ?
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डायरी लेखन के उदाहरण.......
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डायरी-लेखन क्या है?

what is diary writing


‘डायरी’ अर्थात ‘जो प्रतिदिन लिखी जाए’। हर दिन की विशेष घटनाएँ-प्रिय अथवा अप्रिय, जिन्होंने भी मन पर प्रभाव छोड़ा हो, डायरी में लिखी जाती हैं। डायरी लेखन व्यक्ति के द्वारा लिखे गए व्यक्तिगत अनुभवों, सोच और भावनाओं को लिखित रूप में अंकित करके बनाया गया एक संग्रह है। विश्व में कई महान व्यक्ति डायरी लेखन करते थे. उनके निधन के बाद भी डायरी से प्राप्त उनके अनुभवों से कई लोगों को प्रेरणा मिलती है। 

डायरी गद्य साहित्य की एक प्रमुख विधा है इसमें लेखक आत्म साक्षात्कार करता है। वह अपने आपसे सम्प्रेषण की स्थिति में होता है। वह स्वयं से बातचीत करता चलता है .


डायरी लेखन हिन्दी साहित्य में मुख्यतः छायावादोत्तर युग ( छायावाद के बाद का समय ) की आत्मपरक विधा है। किसी भी घटना के प्रति व्यक्ति की तात्कालिक उद्वेग या अभिव्यक्ति का माध्यम डायरी बनती है वैसे तो डायरी एक निजी सम्पत्ति मानी जाती है जो किसी व्यक्ति की अपनी मानसिक सृष्टि और अंतर्जगत है परन्तु व्यापक कलेवर धारण करके डायरी एक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक विधा के रूप में सामने आई है |



डायरी लिखने का उद्देश्य 


(1) व्यक्ति जो बात दूसरों को समझा पाने अथवा व्यक्त कर पाने में असमर्थ होता है, उसे वह डायरी में लिख लेता है। डायरी सही अर्थ में एक ‘सच्चे मित्र’ की तरह होती है, जिसे हम सब कुछ बता सकते हैं। इसमें प्रतिदिन की विशेष घटनाओं को लिखकर हम उन्हें यादगार बना लेते हैं।


(2) जिस प्रकार हम फोटो देखकर उस अवसर की याद ताजा कर लेते हैं, उसी प्रकार डायरी के माध्यम से हम अतीत में लौट सकते हैं तथा अपने खट्टे-मीठे अनुभवों को पुनर्जीवित कर सकते हैं।


(3) प्रसिद्ध व महान व्यक्ति भी डायरी लिखते थे। उनकी डायरी पढ़कर हम पूरा युग देख सकते हैं। कई बार यही डायरी आगे चलकर ‘आत्मकथा’ का रूप ले लेती है। जिससे हम महान व्यक्तियों के विचारों, अनुभवों व दिनचर्या के बारे में जान पाते हैं।

मानव के समस्त भावों मानसिक उद्वेगों,अनुभूति विचारों को अभिव्यक्त करने में साहित्य का सर्वोच्च स्थान है। समीक्षकों ने डायरी को साहित्य की कोटि में इसलिए रखा है क्योंकि वह किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के व्यक्तित्व का उदघाटन करती है या मानव समाज के विभिन्न पक्षों का सूक्ष्म और जीवंत चित्र उपस्थित करती हैं। डायरी लेखक अपनी रूचि और आवश्यकतानुसार राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, साहित्यिक विभिन्न पक्षों के साथ निजी अनुभूतियों का चित्रण कर सकता है।






डायरी लिखते समय कुछ बातों का ध्यान रखें.

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(1) पृष्ठ में सबसे ऊपर तिथि, दिन तथा लिखने का समय अवश्य लिखें।

(2) इसे प्रायः सोने जाने से पहले लिखें, ताकि पूरे दिन में घटित सभी विशेष घटनाओं को लिख सकें।

(3) डायरी के अंत में अपने हस्ताक्षर करें, ताकि वह आपके व्यक्तिगत दस्तावेज बन सकें।

(4) डायरी लिखते समय सरल व स्पष्ट भाषा का प्रयोग करें।

(5) डायरी में दर्ज विवरण यथा संभव संक्षिप्त रहें .

(6) अपने अनुभवों  को स्पष्टता से व्यक्त करें.

(7) डायरी में स्थान और तिथि का जिक्र करें .

(8) इसमें अपना विश्लेषण, समाज आदि पर प्रभाव और निष्कर्ष भी  दर्ज होता है.


प्राचीन काल में राजा महाराजाओं के समय भी एक रोजनामचा तैयार किया जाता था जो रोजाना के कार्य और घटनाओं का विवरण देता था। व्यापारियों दुकानदारों द्वारा भी हिसाब-किताब और लेन-देन का ही विवरण सुरक्षित रखने हेतु बही-खाते का प्रयोग किया जाता है यह भी डायरी लेखन माना जाता है। अतः डायरी लेखन अतिथि मित्रों को और जीवन की बीती हुई घटनाओं को याद करने का एक माध्यम है। आजकल महत्वपूर्ण कार्यों को याद रखने के लिए डायरी लेखन का चलन बढ़ चला है. यह रोजमर्रा के कार्यों की समीक्षा और संभावित आंकलन के लिए उपयोगी साबित हो रहा है .




डायरी लेखन के उदाहरण

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1. पुरस्कार प्राप्त होने के बाद  हुई प्रसन्नता ।



भुवनेश्वर 

18 नवम्बर , 20XX, सोमवार 

रात्रि 9: 30 बजे

आज का दिन बहुत अच्छा बीता। विद्यालय की प्रार्थना सभा में समस्त विद्यार्थियों के सामने मुझे अंतर्विद्यालयी काव्य-पाठ प्रतियोगिता में जीता गया पुरस्कार दिया गया। घर आने पर मैंने माँ-पिता जी को पुरस्कार दिखाया, तब वे फूले नहीं समाए। दादी माँ ने मुझे आशीर्वाद दिया। अब मैं खाना खाने के बाद सोने जा रहा हूँ।


सोहन कुमार 



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2. सत्रांत परीक्षा की तिथि की घोषणा पर होनेवाली प्रतिक्रिया।



भावनगर 

22 फरवरी, 2019

सब को छोड़कर पीछे अव्वल आना है .
है वक्त पूरा करने का जो ठाना है .....

आज वार्षिक परीक्षा की सूचना मिली। न जाने क्यूँ मन में तरह-तरह की आशंकाएँ तिरने लगीं। जब-जब परीक्षा की घोषणा होती है, दिल दहल जाता है। हर बार सोचता हूँ कि कक्षा में प्रथम स्थान लाने के लिए अपेक्षित मेहनत करूँगा; लेकिन दीर्घ सूत्रता के कारण असफल हो जाता हूँ। ‘परीक्षा’ शब्द से ही मन में झुरझुरी होने लगती है। ऐसा लगता है मानो कोई बड़ी दुर्घटना होनेवाली है। देखता हूँ, इस बार क्या होता है? मन में उत्साह की तरंगें उठ रहीं हैं . 



हितेश पांडा 


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3. परीक्षा में प्रथम अंक लाने पर  मन पुलकित हुआ ।



सिकंदराबाद 

07 मार्च , 20XX, बुधवार

रात्रि 10: 45 बजे

गर्वित है मन मेरा उड़ता सा. 
नयी हवाओं संग जुड़ता सा ..

आज मैं बहुत खुश हूँ, क्योंकि आज मेरी इच्छा पूरी हो गई है। आज कक्षा में अध्यापिका ने सबके सामने परीक्षा परिणाम घोषित किया। जब उन्होंने सबसे अधिक अंक प्राप्त करके प्रथम आने वाली छात्रा का नाम लिया, तब मुझे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ, क्योंकि वह छात्रा कोई और नहीं मैं ही थी। सभी साथियों ने मेरी प्रशंसा की। घर आने पर मैंने माँ-पिता जी व दादा-दादी को रिपोर्ट कार्ड दिखाया, तो वे बहुत प्रसन्न हुए और मुझे न जाने कितने आशीर्वाद दिए। 


विपाशा 



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4. अच्छे दोस्त के चले जाने के बाद जो दुःख हुआ।



भोपाल 

12 अगस्त , 20XX, शुक्रवार

रात्रि 9 : 00 बजे

छिड़कता रहूँगा तुम्हारी यादों का इत्र .
मेरी जिन्दगी तुमसे महकती रहेगी मित्र ..

आज मेरा मन बहुत उदास है, क्योंकि मेरे बचपन का दोस्त कुणाल भोपाल छोड़कर रांची जा रहा है। उसके पिता जी का तबादला हो गया है। शाम को वह मुझसे मिलने आया था। वह भी बहुत दुखी था, परंतु उसने मुझसे वादा किया है कि वह फोन और पत्रों द्वारा मुझसे संपर्क बनाए रखेगा। कुणाल जैसा मित्र पाना बड़ी खुशकिस्मती की बात है। मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करूँगा कि दूर जाने पर भी हमारी मित्रता में दूरी न आए।


सर्वग्य 


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5. परीक्षा में कम अंक लाने पर अपने गुण-दोष का आंकलन ।



दिल्ली 

28 मार्च, 2019

आज वार्षिक परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ। इस बार फिर मैं द्वितीय स्थान पर ही आई। मुझे ऐसा लगता था कि इस बार मैं प्रथम स्थान प्राप्त करूँगी। अब मेरी समझ में आ रहा है कि हर बार मुझे दूसरा स्थान ही क्यों मिलता रहा है। मुझे स्मरण है कि मैंने चार-पाँच प्रश्नों के उत्तर कई बार काटकर लिखे हैं। 'ओवर राइटिंग' भी हुई है। मेरी लिखावट भी साफ-सुथरी नहीं होती है। एक बात और है, मुझमे आत्मविश्वास की जबर्दस्त कमी है। मैं कक्षा में भी चुपचाप बैठी रहती हूँ। यदि यही स्थिति रही तो निस्सन्देह, मैं हर जगह मात खा जाऊँगी। मुझे आत्मविश्वास जगाना ही होगा।

होश,हुनर और होंसला होगा .
सबसे ऊँचे पेड़ पर मेरा घोंसला होगा ...

सुगंधा 




डायरी लेखन के  प्रकार 



1. व्यक्तिगत डायरी 

2. वास्तविक डायरी 

3. काल्पनिक डायरी 

4. साहित्यिक डायरी 



डायरी लेखन का संबंध सीधे-सीधे लेखक के ह्रदय से होता है उसके अपने व्यक्तिगत अनुभव, उसकी विचारधारा और समाज की वर्तमान परिस्थिति का आकलन करने पर जो शब्द उसके ह्रदय से निकलते हैं। उन सभी को  उस सारांश के रूप में संग्रहित करना ही डायरी लेखन होता है।



डायरी लेखन कार्य -


-विद्यालय के यादगार पलों को डायरी में लिखो .

-सबसे अधिक रोमांचक यात्रा का अनुभव डायरी में लिखो .

-पहली हवाई यात्रा के अनुभव पर डायरी विधा में लेखन करो .

-अपनी दिनचर्या के बेहद खास पलों को डायरी में लिखो .




एक साहित्यिक की डायरी


 भारत के प्रसिद्धि प्रगतिशील कवि और हिन्दी साहित्य की स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व गजानन माधव 'मुक्तिबोध' द्वारा लिखी गई पुस्तक है। यह पुस्तक 'भारतीय ज्ञानपीठ' द्वारा 25 जून, सन 2000 में प्रकाशित की गई थी। हिन्दी साहित्य में सर्वाधिक चर्चा के केन्द्र में रहने वाले मुक्तिबोध एक कहानीकार होने के साथ ही समीक्षक भी थे।


पुस्तक अंश

‘डायरी’ शब्द एक भ्रम पैदा करता है और यह गलतफहमी भी हो सकती है कि मुक्तिबोध की ये डायरियाँ भी तिथिवार डायरियाँ होंगी। लेकिन वास्तविकता यह है कि ‘एक साहित्यिक की डायरी’ केवल उस स्तम्भ का नाम था, जिसके अन्तर्गत समय-समय पर मुक्तिबोध को अनेक प्रश्नों पर विचार करने की छूट न केवल सम्पादन की ओर से बल्कि स्वयं अपनी ओर से भी होती थी।

‘वसुधा’ के पहले नागपुर के ‘नया खून’ साप्ताहिक में वह ‘एक साहित्यिक की डायरी’ स्तम्भ के अन्तर्गत कभी अर्द्ध-साहित्यिक और कभी गैर-साहित्यिक विषयों पर छोटी-छोटी टिप्पणियाँ लिखा करते थे, जो एक अलग संकलन के रूप में प्रकाशन के लिए प्रस्तावित हैं। डायरी में केवल ‘वसुधा’ में प्रकाशित किस्तों-जो स्वयं में स्वतन्त्र निबन्ध हैं-को शामिल करने का उनका उद्देश्य ही यही था कि वे न तो सामयिक टिप्पणियों को साहित्य मानते थे और न साहित्य को सामयिक टिप्पणी वस्तुतः जैसा कि श्री ‘अदीब’ ने लिखा है, मुक्तिबोध की डायरी उस सत्य की खोज है, जिसके आलोक में कवि अपने अनुभव को सार्वभौमिक अर्थ दे देता है।


मुक्तिबोध की मृत्यु के पहले श्रीकांत वर्मा ने उनकी केवल 'एक साहित्यिक की डायरी' प्रकाशि‍त की थी, जिसका दूसरा संस्करण 'भारतीय ज्ञानपीठ' से उनकी मृत्यु के दो महीने बाद प्रकाशि‍त हुआ।



कुछ महत्त्वपूर्ण डायरियाँ 

  • द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल – ऐनी फ्रैंक
  • पैरों में पंख बाँधकर – रामवृक्ष बेनीपुरी
  • रूस में पच्चीस मास – राहुल सांस्कृत्यायन
  • सुदूर दक्षिण पूर्व – सेठ गोविंद दास
  • हरि घाटी – डॉ.रघुवंश

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डायरी के पन्ने  का सार

‘डायरी के पन्ने’ 

ऐन फ्रेंक द्वारा लिखित ‘द डायरी ऑफ़ ए यंग गर्ल’ नामक डायरी से लिया गया है। इस डायरी को ऐन फ्रेंक ने दो साल के अज्ञातवास के दौरान लिखी थी। 1938 के बाद से जर्मनी में यहूदियोँ का जीना दूभर हो गया था और 1940 के बाद से तो यहूदियों के उत्पीडन का दौर ही शुरु हो गया था। 1942 के जुलाई मास में फ्रैंक परिवार,जिसमें माता-पिता, तेरह वर्ष की ऐन उसकी बड़ी बहन मार्गोट तथा दूसरा वानदान परिवार जिसमे उनका बेटा पीटर तथा इनके साथ एक अन्य व्यक्ति मिस्टर डसेल आदि दो साल तक गुप्त आवास में रहे। गुप्त आवास में इनकी सहायता मिस्टर फ्रैंक के दप्तर में काम करने वाले कर्मचारियों ने की थी | ऐन फ्रेंक को यह डायरी उसके तेरहवें  जन्मदिन पर उपहार में मिली थी उसमें उसने अपनी एक गुड़िया किट्टी को संबोधित किया है |

अज्ञातवास के दौरान ऐन पूरा दिन अंग्रेजी व फ्रेंच बोलती थी, पहेलियाँ बुझती थी, किताबों की समीक्षा करती, राजसी परिवारों की वंशावली देखती, सिनेमा और थियेटर की पत्रिका पढ़ती और उनमें से नायक-नायिकाओं के चित्र काटते बिताती थी | वह गुप्त आवास के बाहर की दुनिया के बारे में भी बताती थी कि सरकार ने गिल्डर नोट को अमान्य कर दिया है और हालैंड के समाज में गिरी हुई स्थिति के बारे में बताती है| चरों तरफ भूख, गरीबी, चोरी, अनैतिकता और बेरोजगारी फ़ैली हुई है| उसे लगता है कि खराब हालत के बाद भी बहुत कम लोग गलत के पक्ष में हैं|

ऐन ने इस डायरी में युद्ध संबंधी जानकरियाँ भी दी है- कैबिनेट मंत्री मि. बोल्के ने लंदन से डच प्रसारण में यह घोषणा की थी कि युद्ध के बाद युद्ध के दौरान लिखी गई डायरियों का संग्रह किया जाएगा | ऐन फ्रैंक ने नारी स्वतंत्रता के विषय को प्रमुखता से उठाया है और नारी को एक सिपाही के बराबर सम्मान देने की बात कही है| वह दुनियाँ में स्त्रियों की वास्तविक एवं प्रमाणिक स्थिति का उल्लेख करती है| उसने भविष्य के संबंध में जिन बातों की आशा की थी, आज वह सब पूरी हो रही है और स्त्रियों का जीवन बदल रहा है |

ऐन फ्रैंक की डायरी के द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध की भयानकता, हिटलर और नाजियों द्वारा यहूदियों का नरसंहार, डर, भुखमरी, गरीबी, मानवीय संवेदनाएँ प्रेम, घृणा, बचपन के सपने, कल्पनाएँ बाहरी दुनिया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ा, मानसिक और शारीरिक जरूरतें, अकेलापन आदि का सजीव वर्णन देखने को मिलता है|



जय हिन्द : जय हिंदी 
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