प्रतिदर्श प्रश्न पत्र 1
हिन्दी - अ
कोड ( 002)
कक्षा-9
निर्धारित समय: 3 घंटे अधिकतम अंक- 80
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सामान्य निर्देश:-
1. इस प्रश्न-पत्र में चार खंड हैं- क, ख, ग और घ
2. सभी खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
3. यथासंभव प्रत्येक खंड के प्रश्नों के उत्तर क्रम से लिखिए।
खण्ड क
( अपठित अंश) 10
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-5
गंगा का हमारे देश के लिए बहुत अधिक महत्त्व है। गंगा नदी भारत के तीन राज्यों से होकर गुजरती है। ये हैं-उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल भारत के इस मध्यम भाग को गंगा का मैदान कहा जाता है। यह प्रदेश अत्यधिक उपजाऊ, सम्पन्न तथा हरा-भरा है जिसका श्रेय गंगा को ही है। इन राज्यों में कृषि उपज से सम्बन्धित तथा कृषि पर आधारित अनेक उद्योग-धंधे भी फैले हुए हैं जिनसे लाखों लोगों की जीविका तो चलती ही है, राष्ट्रीय आय में वृद्धि भी होती है। पेयजल भी गंगा तथा उसकी नहरों के माध्यम से ही प्राप्त होता है। यदि गंगा न होती तो हमारे देश का एक महत्त्वपूर्ण भाग बंजर तथा रेगिस्तान होता। इसीलिए गंगा उत्तर भारत की सबसे पवित्र तथा महत्त्वपूर्ण नदी है। गंगा नदी भारतीय संस्कृति का भी अभिन्न अंग है। भारत के प्राचीन ग्रंथों, जैसे- वेद, पुराण, महाभारत आदि में गंगा की पवित्रता का वर्णन है। भारत के अनेक तीर्थ गंगा के किनारे पर ही स्थित हैं।
1. भारत के मध्यम भाग को गंगा का मैदान क्यों कहा जाता है ?
उत्तर: भारत के मध्यम भाग को गंगा का मैदान' इसलिए कहा जाता है क्योंकि गंगा तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल में से होकर गुजरती है।
2. गंगा उत्तर भारत की महत्त्वपूर्ण नदी क्यों है ?
उत्तर: कृषि पर आधारित अनेक उद्योग-धंधे जिनसे लाखों लोगों की जीविका चलती है एवं राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होती है। इसलिए गंगा उत्तर भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है।
3. गंगा भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग कैसे है ?
उत्तर : भारत के प्राचीन ग्रंथों जैसे वेद, पुराण और महाभारत आदि में गंगा की पवित्रता का वर्णन है। इस प्रकार से गंगा नदी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है ।
4. हमारे देश का एक महत्त्वपूर्ण भाग बंजर तथा रेगिस्तान होता | रेखांकित शब्द का अर्थ लिखिए-
उत्तर: बंजर-अनुपजाऊ जमीन।
5. गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर : गंगा।
2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 5
मैं मजदूर मुझे देवों की बस्ती से क्याअगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाए।अंबर पर जितने तारे उतने वर्षों सेमेरे पुरखों ने धरती का रूप सँवारा।धरती को सुन्दरतम करने की ममता मेंबिता चुका है कई पीढ़ियाँ वंश हमारा।और अभी आगे आने वाली सदियों मेंमेरे वंशज धरती का उद्धार करेंगेइस प्यासी धरती के हित में ही लाया थाहिमगिरि चीर सुखद, गंगा की निर्मल धारामैंने रेगिस्तानों की धरती धो-धोकरबंध्या धरती पर भी स्वर्णिम पुष्प खिलाए।
1. बंध्या धरती पर भी स्वर्णिम पुष्प खिलाए का क्या आशय है? 1
उत्तर : बंध्या धरती पर भी स्वर्णिम पुष्प खिलाए से यह आशय है कि ऊसर और मरु भूमि को सींचकर उपजाऊ बनाकर सोने जैसा अन्न पैदा किया।
2. मजदूरों के पूर्वजों को धरती का रूप सँवारने में कितने वर्ष लगे? 1
उत्तर : मजदूरों के पूर्वजों को धरती का रूप सँवारने में आकाश के तारों की संख्या के बराबर वर्ष लगे।
3. स्वर्णिम पुष्प खिलाए रेखांकित शब्द के पर्यायवाची शब्द लिखिए? 1
उत्तर : सुमन, प्रसून, कुसुम
4. मजदूरों ने पृथ्वी पर कितनी बार स्वर्ग का निर्माण किया है? 1
उत्तर: मजदूरों ने पृथ्वी पर अनगिनत बार स्वर्ग का निर्माण किया है।
5. धरती पर मजदूर किसकी निर्मल धारा लेकर आया और क्यों? 1
उत्तर: धरती पर मजदूर गंगा की निर्मल धारा लेकर आया प्यासी धरती को सींचने के लिए।
अथवा
जन्म दिया माता-सा जिसने किया सदा लालन-पालन
जिसने मिट्टी जल से ही है रचा गया हम सबका तन ।
गिरिवर नित रक्षा करते हैं, उच्च उठा के श्रृंग महान
जिसके लता द्रुमादिक करते हमको अपनी छाया दान |
माता केवल बाल-काल में निज अंक में धरती है
हम अशक्त जब तलक तभी तक पालन पोषण करती है।
मातृभूमि करती है सबका लालन सदा मृत्यु पर्यंत
जिसके दया प्रवाहों का होता न कभी सपने में अंत।
मर जाने पर कण देहों के इसमें ही मिल जाते हैं।
हिन्दू जलते यवन - ईसाई शरण इसी में पाते हैं |
ऐसी मातृभूमि मेरी है स्वर्गलोक से भी प्यारी उसके
चरण कमल पर मेरा तन-मन-धन सब बलिहारी ।
1. मातृभूमि को माँ क्यों कहा गया है? 1
उत्तर: मातृभूमि को माँ इसलिए कहा गया है क्योंकि मातृभूमि माँ के समान ही अपने अन्न जल तथा अनंत् उपकारों के द्वारा हमारा पालन-पोषण करती है।
2. कवि मातृभूमि के प्रति प्रेम किस प्रकार प्रकट करता है? 1
उत्तर: कवि मातृभूमि के प्रति अपना तन-मन-धन सब न्योछावर करके प्रेम प्रकट करता है।
3. ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हमें क्या देते हैं? 1
उत्तर : ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हमें सुरक्षा देते हैं।
4. माता कब तक हमारा पालन-पोषण करती है? 1
उत्तर: हम जब तक अशक्त होते हैं तभी तक माता हमारा पालन-पोषण करती है।
5. माता केवल बाल-काल में रेखांकित शब्द के पर्यायवाची लिखिए। 1
उत्तर : अम्बा, माँ, जननी।
खण्ड ख
(व्यावहारिक व्याकरण) 16
3. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-
1. किन्हीं दो शब्दों में प्रयुक्त उपसर्ग एवं मूल शब्द अलग करके लिखिए-2
अपयश, आजन्म, अनुशासन
उपसर्ग मूलशब्द
अप यश
आ जन्म
अनु शासन
2. किन्हीं दो शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय एवं मूल शब्द अलग करके लिखिए- 2
आवश्यकता, पठनीय, मनुष्यत्व
उत्तर : मूलशब्द प्रत्यय
आवश्यक ता
पठ अनीय
मनुष्य त्व
3.किन्हीं 4 शब्दों के विग्रह करके समास का नाम लिखिए-4
- स्नानगृह, भलामानस, तिरंगा, रात-दिन , वीणापाणि
उत्तर : विग्रह समास का नाम
स्नान के लिए गृह तत्पुरुष
भला है जो मानस कर्मधारय
तीन रंगों का समाहार द्विगु
रात और दिन द्वंद्व
वह जिसके पाणि ( हाथ )
में वीणा है- बहुव्रीहि
4. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-8
1. अर्थ के आधार पर किन्हीं दो वाक्यों में भेद लिखिए-2
1. चन्द्रमा शीतल होता है।
उत्तर : विधानवाचक
2. अगर वर्षा होगी तो सारे कपड़े भीग जाएँगे।
उत्तर : संदेहवाचक
3. मैं छुट्टी नहीं ले सकता।
उत्तर: निषेधवाचक
2. निर्देशानुसार किन्हीं दो वाक्यों में परिवर्तन करके लिखिए-2
1. तुम स्कूल जा सकते हो । (आज्ञावाचक में)
उत्तर: तुम स्कूल जाओ।
2. बहुत से अधिकारी ईमानदार होते हैं (निषेधवाचक में)
उत्तर : बहुत से अधिकारी ईमानदार नहीं होते हैं।
3. क्या सुमन ने खाना बना लिया है? (विधानवाचक में)
उत्तर: सुमन ने खाना बना लिया है।
5. निम्नलिखित काव्यांशों में से किन्ही चार अलंकार के भेद पहचान कर लिखिए-4
1. चरण कमल बंदौ हरि राई।
उत्तर : रूपक अलंकार
2. मखमल के झूले पड़े हाथी-सा टीला।
उत्तर: उपमा अलंकार
3. तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती है।
उत्तर: यमक अलंकार
4. कालिंदी कूल कदंब की डारन
उत्तर: अनुप्रास अलंकार
5. हँस रही सखियाँ मटर खड़ी।
उत्तर: मानवीकरण अलंकार
खण्ड - ग
(पाठ्य पुस्तक एवं पूरक पाठ्य पुस्तक) 34
6. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- 5
दोनों बैलों का ऐसा अपमान कभी न हुआ था। झूरी उन्हें फूल की छड़ी से भी न छूता था। उसकी टिटकार पर दोनों उड़ने लगते थे। यहाँ मार पड़ी। आहत सम्मान की व्यथा तो थी ही, उस पर मिला सूखा भूसा ! नाँद की तरफ आँखें तक न उठाई। दूसरे दिन गया ने बैलों को हल में जोता, पर इन दोनों ने जैसे पाँव न उठाने की कसम खा ली थी। वह मारते-मारते थक गया पर दोनों ने पाँव न उठाया। एक बार जब उस निर्दयी ने हीरा की नाक पर खूब डंडे जमाए, तो मोती का गुस्सा काबू के बाहर हो गया। हल लेकर भागा। हल, रस्सी, जुआ, जोत, सब टूट-टाट कर बराबर हो गया।
1. दोनों बैलों ने अपना विरोध कैसे प्रकट किया? 2
उत्तर: दोनों बैलों ने अपमान के प्रति अपना विरोध प्रकट करने के लिए भूसा खाने से मना कर दिया। उन्होंने गया के हल में जुतने से भी इंकार कर दिया।
2. मोती किस कारण गुस्से में आ गया? उसने अपना क्रोध किस प्रकार प्रकट किया?2
उत्तर: जब गया ने हीरा की नाक पर डंडे जमाए तो मोती क्रोध में आ गया। वह हल, रस्सी, जुआ, जोत सब लेकर बेहताश भाग पड़ा। इससे सब कुछ टूट-फूट गया। इस प्रकार गया के सामने अपना क्रोध प्रकट किया।
3. दोनों बैल किस भाषा को मानते थे?
उत्तर: हीरा और मोती दोनों बैल प्रेम की भाषा समझते थे। वे अपने मालिक झूरी की टिटकार सुनकर ही उड़ने लगते थे। उनके पाँवों में चुस्ती-फुर्ती आ जाती थी। उनका मालिक झूरी उन्हें फूल की छड़ी से भी न छूता था।
7. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लिखिए- 8
1. छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया? 2
उत्तर : छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। वह माँ के बिछुड़ने का दर्द जानती थी इसलिए उसने हीरा मोती की व्यथा देखी तो उसके मन में उनके प्रति प्रेम उमड़ आया। उसे लगा कि वे भी उसी की तरह अभागे हैं और अपने मालिक से दूर हैं।
2. ल्हासा की ओर पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि निर्जन स्थलों पर खून की सजा होना क्यों कठिन है? 2
उत्तर: निर्जन स्थलों पर न कोई कानून व्यवस्था है, न सरकारी नियंत्रण पहाड़ का अंतिम कोना होने के कारण वह स्थान बहुत बीहड़ है। यहाँ हुए खून का कोई गवाह भी नहीं मिलता। अतः खून की सजा नहीं हो पाती।
3. किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया? 2
उत्तर : एक बार बचपन में सालिम अली की एयरगन से एक गौरैया घायल होकर गिर पड़ी। इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया। वे गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में जुट गए। उसके बाद उनकी रुचि पूरे पक्षी संसार की ओर मुड़ गई। वे पक्षीप्रेमी बन गए।
4. साँवले सपनों की याद पाठ में वर्णित वृंदावन में सुबह-सवेरे क्या अनुभूति होती है और क्यों? 2
उत्तर : वृंदावन में सुबह-सवेरे सभी को कृष्ण लीलाओं की तथा वंशी वादन की अनुभूति होने लगती है क्योंकि भारत का प्रत्येक जन वृंदावन में हुई कृष्ण-लीलाओं पर मुग्ध है। ये लीलाएँ उनके मन में बसी हुई हैं।
5. महादेवी किस सपने के पूरा होने पर भारत की दशा बदलने की बात कहती हैं?
उत्तर : महादेवी हिंदू-मुस्लिम एकता का सपना पूरा होने की बात करती हैं। न केवल हिंदू-मुसलमान, बल्कि वे किसी भी प्रकार के भेदभाव से रहित जीवन जीना चाहती हैं। उनका विश्वास है कि यदि ऐसा हो जाए तो भारत का नक्शा बदल सकता है भारत हर दृष्टि से उन्नत, शांत और समृद्ध देश बन सकता है।
8. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- 5
मानुष हाँ तो वही रसखानिबसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।जो पसु हौं तो कहा बस मेरोचरौं नित नंद की धेनु मँझारन ||पाहन हौं तो वही गिरि कोजो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन।जौ खग हाँ तो बसेरों करोंमिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन ।।
1. रसखान मनुष्य के रूप में अगले जन्म में क्या बनना चाहते हैं? 2
उत्तर : रसखान अगले जन्म में ग्वाला बनना चाहते हैं। और कृष्ण के बाल सखा के रूप में ब्रजभूमि में निवास करना चाहते हैं।
2. रसखान पत्थर क्यों बनना चाहते हैं? 2.
उत्तर : रसखान गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनने को इसीलिए तैयार हैं ताकि श्रीकृष्ण उन्हें भी अपनी अँगुली पर कर लें। इस प्रकार वे कृष्ण के सम्पर्क में आ सकें।
3. रसखान खग बनकर कहाँ बसेरा करना चाहते हैं? 1
उत्तर : रसखान पक्षी के रूप में यमुना तट पर खड़े कदंब के पेड़ों की डाल पर बसेरा बनाना चाहते हैं।
9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर लिखिए- 8
1. कवि को कारागृह में किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा? कैदी और कोकिला कविता के आधार पर बताइए । 2
उत्तर: कवि को कारागृह में चोरों डाकुओं के बीच रहना पड़ा उसे पेट भर खाने को भी नहीं मिला। ऊपर से कड़ा पहरा रखा गया। इस प्रकार उसे हर प्रकार की कठिनाइयों के बीच रहना पड़ा।
2. रसखान कवि कृष्ण की लाठी और कंबल के बदले क्या त्यागने को तैयार हैं? 2
उत्तर : रसखान कवि के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण हैं-कृष्ण, इसलिए कृष्ण की एक-एक चीज उनके लिए महत्त्वपूर्ण है। यही कारण है कि वह कृष्ण की लाठी और कंबल के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार हैं।
3. कवयित्री किससे क्या खींच रही है? 'वाख' नामक कविता के आधार पर लिखिए। 2
उत्तर : कवयित्री कच्चे धागे की रस्सी से नाव खींच रही है। आशय यह है कि वह नश्वर साँसों की सहायता से जीवन जी रही है।
4. सरसों को सयानी कहकर कवि क्या कहना चाहता है? 2
उत्तर : सरसों को सयानी' कहकर कवि यह कहना चाहता है कि अब उसकी फसल पककर तैयार हो चुकी है। उसका पूरा विकास हो चुका है।
5. मेघ आए कविता में मेघ के आगमन का चित्रण किस रूप में हुआ है? 2
उत्तर : कविता में मेघ के आगमन का चित्रण एक ऐसे सजे-सँवरे शहरी अतिथि के रूप में हुआ है जो बड़ी प्रतीक्षा करवाने के बाद गाँव में आया है।
10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए | 8
1. भारतीय माँ का आम चरित्र कैसा होता है? लेखिका की माँ उनसे किस प्रकार अलग थी? उनके कार्यभार को किसने उठाया? 'मेरे संग की औरतें पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। 4
उत्तर: एक आम भारतीय माँ ममता की मूर्ति होती है। उसके जीवन का केन्द्र उसकी संतान होती है। भारतीय माँ अपने बच्चों से अपूर्व लाड़ करती है। वह 2 उन्हें खिलाने-पिलाने और उनकी देखभाल के लिए पूरी तरह समर्पित होती है। बच्चों को जीवनोपयोगी संस्कार धारण भी देती है। उन्हें अच्छी बेटी और बहू बनने की सीख देती है। लेखिका की माँ न बच्चों से लाड़ करती थी, न खाना पकाती थी, न उन्हें सीख देती थी। इसलिए वह आम भारतीय माताओं से भिन्न थीं।
2. “…आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं…” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है? 4
उत्तर : उमा गोपाल प्रसाद जी के विचारों से पहले से ही खिन्न थी। परन्तु उनके द्वारा अनगिनत सवालों ने उसे क्रोधित कर दिया था। आखिर उसे अपनी चुप्पी को तोड़कर गोपाल प्रसाद को उनके पुत्र के विषय में अवगत करना पड़ा।
(1) शंकर एक चरित्रहीन व्यक्ति था। जो हमेशा लड़कियों का पीछा करते हुए होस्टल तक पहुँच जाता था। इस कारण उसे शर्मिंदा भी होना पड़ा था।
(2) दूसरी तरफ़ उसकी पीठ की तरफ़ इशारा कर वह गोपाल जी को उनके लड़के के स्वास्थ्य की ओर संकेत करती है। जिसके कारण वह बीमार रहता है तथा सीधी तरह बैठ नहीं पाता।
(3) शंकर अपने पिता पर पूरी तरह आश्रित है। उसकी रीढ़ की हड्डी नहीं है अर्थात् उसकी अपनी कोई मर्ज़ी नहीं है।
खण्ड घ
(लेखन) - 20
11 . निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200-250 शब्दों में निबन्ध लिखिए- 6
(1) समय का महत्त्व
संकेत विन्दु:
समय का सदुपयोग विकास की कुंजी
अमूल्य धन
समय गतिशील- किसी की प्रतीक्षा नहीं करता
हमारा कर्त्तव्य
उपसंहार
(2) भारत की ऋतुएँ
संकेत- बिन्दु :
छः ऋतुएँ - भारत में विशेष
ऋतुओं का क्रम और प्रत्येक ऋतु में प्राकृतिक सौंदर्य की छटा
हमारे जीवन में महत्त्व
उपसंहार
(3) हमारे सच्चे मित्र पेड़-पौधे
संकेत बिन्दु:
भूमिका
पेड़-पौधों के बिना जीवन असंभव
उपयोगिता
पेड़-पौधों की निरंतर की जा रही क्षति का परिणाम
पेड़-पौधों को बचाने के लिए जरूरी उपाय
उपसंहार
समय का महत्त्व
1. समय का सदुपयोग विकास की कुंजी जीवन नदी की धारा के समान है। जैसे नदी की धारा ऊँची-नीची भूमि को पार करती निरंतर आगे बढ़ती रहती है उसी प्रकार जीवन की धारा भी सुख-दुख तथा सफलता-असफलता के अनेक संघर्षो को सहते - भोगते आगे बढ़ती रहती है। बहना जीवन है और ठहराव मृत्यु जीवन का उद्देश्य निरंतर आगे बढ़ते रहने में है- इसी में सुख है, आनंद है। लेकिन सुख-आनंद और आगे बढ़ने में जो वस्तु काम करती है, वह है समय जो भागते हुए समय को पकड़कर इसके साथ-साथ चल सकते हैं, वही तो जीवन में कामयाब होते हैं। वस्तुतः समय का सदुपयोग ही विकास की कुंजी है।
2. अमूल्य धन- अंग्रेजी में समय को 'धन' कहा है, पर समय 'धन' से कहीं ज्यादा कीमती है, अमूल्य हैं। धन आज है, कल नष्ट हो गया, परसों फिर आ सकता है। लेकिन जो समय अतीत के गर्त में समा गया, लाख चेष्टा करने पर भी वह लौटकर नहीं आ सकता। इसीलिए जितने भी संत-महात्मा हुए हैं, सभी ने समय के मूल्य को पहचानने का उपदेश दिया है। समय जीवन है और समय को नष्ट करना जीवन को नष्ट करना है। एक आम कहावत है कि "जो समय को नष्ट कर देता है समय उसे नष्ट कर देता है।" न जाने कितने पुण्यों के प्रताप से हमें मनुष्य जीवन मिला है अगर हमने इसे नहीं पहचाना तो बाद में पछताना ही पछताना बाकी रह जाता है। इसलिए समय को पहचान कर काम करना चाहिए। कुछ लोग अपना आलस्य और अकर्मण्यता छिपाने के लिए प्रायः कहते सुने जाते हैं कि- "साहब ! क्या करें? समय ही नहीं मिलता। और अगर ऐसे लोगों की दिनचर्या देखें तो पता लगेगा कि जनाब 9-10 बजे तक सोते ही रहते हैं। जो इतना समय सोने में नष्ट कर देंगे, उनके पास अच्छे और अधिक काम के लिए समय ही कहाँ रहेगा? सोना, सैर-सपाटा करना आदि जीवन के आवश्यक अंग हैं, पर इनकी सीमा होनी चाहिए। फ्रैंकलिन ने कहा था, "अगर तुम्हें अपने जीवन से प्रेम है, तो समय को व्यर्थ मत गँवाओ क्योंकि जीवन इसी से बनता है। गतिशील समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता।
3. समय गतिशील किसी की प्रतिक्षा नहीं करता- समय मानव के लिए वरदान है जो इसका सदुपयोग करता है, उसके लिए खुशियों के तथा सफलता के ढेर लगा देता है और जो इसका दुरुपयोग करता है, उसे यह अवनति के ऐसे गहरे गर्त में फेंक देता है जहाँ से उभरना असंभव हो जाता है। संसार की बड़ी से बड़ी लडाइयों का भाग्य निर्णय समय कर देता है। आज संसार में जिन व्यक्तियों को महान कहा जाता है, उनका जीवन इतिहास इस बात का साक्षी है कि उनका एक-एक पल गिना हुआ था। उनके प्रत्येक कार्य का समय तय था, क्योंकि वे जानते थे कि समय का सदुपयोग ही सफलता की कुंजी है। हिन्दी में एक कहावत है-
बीती ताहि बिसारि दे,आगे की सुध लेह
अर्थात् जो समय बीत गया, उसे भूलकर वर्तमान और भविष्य का ध्यान करो। सदियों की गुलामी के बाद आजाद हुए अपने देश की उन्नति और विकास के चरम शिखर तक ले जाना है। हमारे देखते-देखते संसार के अन्य देश हमसे आगे और बहुत आगे निकल गए हैं। उनके यान चाँद - सूरज की दूरियाँ नाप रहे हैं और हम भी उनसे बहुत पीछे हैं क्यों? इस प्रश्न का एक ही उत्तर है कि उन्होंने समय को पहचाना है, उसकी कीमत को समझा है. और दिन-रात परिश्रम करके देश का निर्माण किया है। उन्हीं की तरह यदि हम समय की कीमत को समझें तो प्राकृतिक संपदा से भरपूर अपने देश कोअधिक समुन्नत और विकासशील बना सकते हैं।
4. हमारा कर्त्तव्य- देश को उन्नति और विकास के चरम शिखर तक ले जाने के लिए समय के महत्त्व को समझना प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है। मानवीय जीवन में समय का अत्यंत महत्त्व है।
5. उपसंहार हम सभी भारत देश के निर्माता हैं। हमें हमेशा अपने देश की उन्नति के लिए अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना चाहिए। अगर हम काम को निश्चित समय पर पूरा करते हैं तो इससे समय भी बच जाता है जिसका प्रयोग हम समाज के कल्याण के लिए भी कर सकते हैं। हमें याद रखना चाहिए कि कभी भी समय व्यर्थ न हो सके। समय का पूरा उपयोग करना चाहिए और समय के महत्त्व को समझाना चाहिए।
भारत की ऋतुएँ
1. छः ऋतुएँ भारत में विशेष भारत की धरा प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से विश्व में अनूठा स्थान रखती है। विश्व के अन्य देशों में प्रायः तीन ही ऋतुएँ होती हैं, पर भारत में ग्रीष्म, वर्षा, शरद्, हेमंत, शिशिर तथा बसंत - इन छः ऋतुओं का चक्र गतिशील रहता है। 2. ऋतुओं का क्रम और प्रत्येक ऋतु में प्राकृतिक सौंदर्य की छटा बसंत ऋतु को 'ऋतुराज' कहा गया है। बसंत में पृथ्वी का श्रृंगार देखते ही बनता है। चारों ओर पुष्पों तथा फलों की भरमार सबका मन मोह ले लेती है। न अधिक सर्दी, न अधिक गर्मी। समस्त चराचर में नई स्फूर्ति का संचार होता है। बसंत पंचमी और रंगों का त्यौहार होली इसी ऋतु में मनाए जाते हैं।
2.बसंत के बाद धीरे-धीरे शुरू होता है, ग्रीष्म का साम्राज्य । भयंकर गर्मी, लू तथा तेज धूप में पृथ्वी तवे की तरह जलने लगती है। चारों तरफ त्राहि-त्राहि मच जाती है। सभी की नजरें आकश पर जा टिकती हैं। पेड़-पौधे झुलस जाते हैं। कुओं, तालाबों आदि का पानी सूखने लगता है। इसका अर्थ यह नहीं कि ग्रीष्म ऋतु का कोई महत्त्व नहीं । ग्रीष्म ऋतु के बिना अन्न नहीं पक सकता। इसीलिए अन्न के उत्पादन में इस ऋतु का बहुत महत्त्व है।
ग्रीष्म की भयंकर तपन के बाद आती है- सुहावनी वर्षा जो अपने साथ नवजीवन का संदेश लाती है। आकाश में काले-काले बादल छाने लगते हैं और वर्षा की बूँदों से धरती की प्यास बुझनी प्रारम्भ हो जाती है। पशु-पक्षियों को चैन की साँस मिलती है। वर्षा के जल से धरती की प्यास तो बुझती ही है, खेतों में अन्न भी उगता है। चारों ओर हरियाली ही हरियाली छा जाती है। इस ऋतु में चारों ओर जल ही जल दिखाई देने लगता है। मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं, प्रायः बाढ़ें आ जाती हैं तथा मच्छर-मक्खियों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। लेकिन इस ऋतु के अभाव में जीवन सम्भव नहीं, क्योंकि जल ही जीवन का आधार है। इस ऋतु में तीज, रक्षाबंधन तथा श्री कृष्ण जन्माष्टमी जैसे त्यौहार आते हैं।
धीरे-धीरे वर्षा समाप्त होने लगती है तथा आगमन होता है- शरद ऋतु का गुलाबी जाड़े से। इस ऋतु में भी अधिक सर्दी नहीं पड़ती। यह ऋतु वर्षा के प्रकोप से राहत दिलाती है। आकाश में बादल दिखाई नहीं देते तथा मौसम भी सुहावना रहता है। विजयदशमी और दीपावली- ये दो बड़े पर्व भी इस ऋतु में ही मनाए जाते हैं। शरद के बाद सर्दी बढ़ने लगती है तथा आगमन होता है-हेमंत ऋतु का सूर्य दक्षिणायन की ओर अपनी यात्रा आरम्भ कर देता है। वायु में ठंड बढ़ जाती है, जिससे लोग ठिठुरने लगते हैं। यह ऋतु स्वास्थ्य के लिए अच्छी बहुत है। इस ऋतु में पाचन शक्ति के बढ़ने से खाया पिया हजम हो जाता है। इन्हीं दिनों में पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फ गिरती है। बर्फ गिरने से ठंडी हवाएँ चलती हैं तथा मैदानी भागों में भी ठंड बढ़ जाती है।
हेमंत के बाद आती है- शिशिर ऋतु इस ऋतु को पतझड़ भी कहते हैं। इस ऋतु में वृक्षों से पत्ते गिरने लगते हैं। ऐसा लगता है मानो प्राचीन को त्यागकर 'नवीन' के लिए स्थान दिया जा रहा है। प्रातः तथा सायंकाल कोहरा भी छाने लगता है। इस ऋतु में यदि पुराने पत्ते न झड़ें तो नए कैसे आ पाएँगे? अतः यह ऋतु भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
3. हमारे जीवन में महत्त्व ऋतुओं का यह चक्र प्रकृति नटी द्वारा अभिनीत नृत्य नाटिका की भाँति लगता है, जिसमें एक के बाद एक दृश्य आते हैं। सभी ऋतुओं का अपना-अपना महत्त्व है तथा सभी अपनी-अपनी विशेषताओं से इस देश को अनुप्राणित करती हैं। भारत की इन्हीं विशेषताओं पर मुग्ध होकर इकबाल ने ठीक ही कहा था- सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ता हमारा।'
4. उपसंहार हर किसी के जीवन में ऋतुएँ बहुत महत्त्वपूर्ण होती हैं। इन सभी ऋतुओं की वजह से हमारे भारत देश को ऋतुओं का देश कहा जाता है। यह सभी ऋतुएँ एक नई उमंग और उत्साह लेकर आती हैं। भारत देश की यह सब ऋतुएँ हमारे जीवन कुछ नया परिवर्तन करती हैं।
हमारे सच्चे मित्र पेड़-पौधे
1. भूमिका- मनुष्य और पेड़-पौधों का साथ आदिकाल से रहा है। यदि कहा जाए कि पेड़-पौधे मनुष्य के पहले साथी हैं तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। भूखे मनुष्य को पेड़ों ने फल-फूल दिया और तन ढकने को अपनी छाल एवं पत्तियाँ उसने अपनी शीतल छाया में मानव को आश्रय दिया। शायद इसी बात को वर्तमान और भावी पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए वृक्षों की पूजा की जाती है।
2. पेड़-पौधों के बिना जीवन असंभव- पेड़-पौधों के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना करना भी व्यर्थ है। वे हमें प्राणदायी ऑक्सीजन देकर हमें जीवन देते हैं और विषरूपी कार्बन डाई ऑक्साइड एवंअन्य विषैली गैसों का पान करते हैं। इस प्रकार वे साक्षात् शिव के समान कल्याणकारी हैं। वृक्ष हमारे पालन-पोषण कर्ता भी हैं। वे फल-फूल, पत्तियाँ, तना, जड़ आदि विविध रूपों में भोज्य उपलब्ध कराते हैं वे दूध और मांस उपलब्ध कराने वाले जानवरों को चारा एवं भोजन उपलब्ध कराकर उनके जीवन का आधार बनते हैं।
3. उपयोगिता पेड़-पौधे हमें क्या-क्या नहीं देते हैं। वे आजीवन प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में कुछ-न-कुछ देते ही रहते हैं। पेड़ हमें पहनने को वस्त्र (रेशे), मूल्यवान लकड़ी तथा दैनिकोपयोगी अनेक वस्तुएँ तथा उन्हें बनाने के कच्चा माल उपलब्ध करवाते हैं। पेड़ों से हमें नाना प्रकार की औषधियाँ, जड़ी-बूटियाँ आदि प्राप्त होती हैं। इनसे लाख, गोंद एवं शहद मिलता है वन और पेड़-पौधे आज भी आदिवासियों के लिए वरदान बने हुए हैं। पेड़-पौधों से ही उनकी सारी आवश्यकताएँ पूरी हो जाती हैं। ये पेड़-पौधे ही उनकी आजीविका का साधन हैं। वन एक ओर जंगली जानवरों को आश्रय एवं भोजन प्रदान करते हैं, वहीं दूसरी ओर स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करते हैं। हरे-भरे पेड़ धरती का श्रृंगार हैं। उनकी हरियाली मनोहर एवं नेत्रज्योति बढ़ाने वाली होती है।
पेड़-पौधे उपजाऊ मृदा को कटने-बहने से बचाते हैं, ये वर्षा लाने में सहायक होते हैं तथा बाढ़ रोकने में सहायक बनते हैं। पेड़-पौधे ऋषियों-मुनियों के समान कल्याणकारी होते हैं जो स्वयं आतप सहकर दूसरों को शीतल छाया प्रदान करते हैं और मनुष्य का बहुविधि कल्याण करते हैं।
4. पेड़-पौधों की निरंतर की जा रही क्षति का परिणाम- जनसंख्या वृद्धि और औद्योगीकरण ने पेड़-पौधों को अपूर्ण क्षति पहुँचाई है स्वार्थी मानव अपनी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए इनकी अंधाधुंध कटाई करता जा रहा है। इसके अलावा सड़कों को चौड़ा करने, उद्योग लगाने के लिए भी इनकी कटाई की जा रही है। बाढ़ और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक प्रकोप इसी के परिणाम हैं।
5. पेड़-पौधों को बचाने के लिए जरूरी उपाय- पेड़-पौधों को बचाने के लिए यद्यपि सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं परन्तु सभी लोगों के सहयोग के बिना यह प्रयास अधूरा होगा। लोगों में वनों के प्रति जागरूकता फैलानी होगी। नए आरोपित पौधों को पेड़ बनने तक देखभाल करनी होगी तथा खाली जमीन में अधिकाधिक पेड़ लगाकर धरती का श्रृंगार करना होगा, जिससे यह धरती जीवों के रहने योग्य बनी रह सके।
6. उपसंहार- हम सभी के जीवन में पेड़ों का बहुत महत्त्व हैं। इसलिए पेड़ों की कटाई नहीं करनी चाहिए बल्कि उनकी रक्षा करनी चाहिए और पेड़ों के महत्त्व को समझना चाहिए। सरकार ने भी पेड़ों को बचाने के लिए बहुत सारे कदम उठाये हैं। पूरे देश में 'वन महोत्सव' 7 जुलाई को पेड़ों की रक्षा के लिए मनाया जाता है। इसके कारण पेड़ हमारे मित्र हैं।
12. अपने जन्म दिवस पर मित्र द्वारा भेजे गए उपहार के लिए धन्यवाद-पत्र लिखिए- 5
उत्तर :
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक 11 जनवरी, 2020
प्रिय मित्र अनुज
नमस्कार
कल तुम्हारा भेजा हुआ एक पार्सल मिला खोलकर देखा तो उसमें एक बहुत सुन्दर घड़ी थी, जो तुमने मेरे जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में मुझे उपहारस्वरूप भेजी थी। जब इसे मैंने अपने मित्रों को दिखाया, तो सभी ने उसकी बहुत प्रशंसा की। मेरे जन्म-दिवस पर तुम्हारे न आने से मैं सचमुच तुमसे नाराज था, परन्तु घड़ी के साथ भेजा गया तुम्हारा पत्र पढ़कर जब मुझे ज्ञात हुआ कि उस दिन तुम सचमुच अस्वस्थ थे, मेरी नाराजगी जाती रही। इस सुन्दर उपहार के लिए धन्यवाद । अब तुम्हारा स्वास्थ्य कैसा है? मित्र अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना, क्योंकि ये परीक्षा के दिन हैं। मेरी परीक्षाएँ 23 मार्च से शुरू होंगी। परीक्षा के बाद तुमसे अवश्य मिलूँगा तब ढेर सारी बातें करेंगे।तुम्हारे इतने सुन्दर और आकर्षक उपहार के लिए एक बार पुनः धन्यवाद ।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
शिवराज
अथवा
अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को शुल्क - मुक्ति (फीस माफ) करने हेतु प्रार्थना पत्र लिखिए-
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य
मयूर विहार, दिल्ली।
बाल भवन पब्लिक स्कूल विषय- शुल्क मुक्ति हेतु प्रार्थना पत्र
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं इस विद्यालय का दसवीं-अ कक्षा का छात्र हूँ। मेरे पिता जी एक प्राइवेट फैक्ट्री में मशीन ऑपरेटर हैं, जिनका वेतन कम है। घर में कुलपाँच सदस्य हैं, जिनका निर्वाह पिता जी की कमाई पर निर्भर है। मेरा एक छोटा भाई भी इस स्कूल की छठी कक्षा में पढ़ता है। हम दो भाइयों की फीस देना पिताजी के लिए काफी मुश्किल हो रहा है। मैंने पिछली कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। मैं विद्यालय की क्रिकेट टीम का सदस्य हूँ।
आपसे प्रार्थना है कि मेरी फीस माफ करने की कृपा करें ताकि मैं अपनी पढ़ाई आगे भी जारी रख सकूँ। आपकी इस कृपा के लिए मैं आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद सहित
आपका आज्ञाकारी शिष्य
रघुनंदन
दसवीं- अ
दिनांक : 15 जुलाई, 2019
13. फल खरीदते समय फल वाले और ग्राहक के बीच संवाद लिखिए-4
उत्तर :
ग्राहक -सेब कितने रुपये किलो हैं?
फलवाला -100 रुपए किलो ।
ग्राहक- अनार कितने रुपये किलो हैं?
फलवाला- अनार 80 रुपये किलो हैं।
ग्राहक- एक किलो अच्छे-अच्छे सेब छाँटकर तौल दो।
फलवाला - (एक किलो सेब तौल देता है) लीजिए बाबू जी।
ग्राहक- 500 ग्राम अनार भी दे दो।
फलवाला- 500 ग्राम अनार तौलकर ये लीजिए 500 ग्राम अनार ।
ग्राहक- तुमने एक अनार अच्छा नहीं दिया, इसे बदल दो। कितने रुपये देने हैं?
फलवाला (अनार बदल देता है) कहता है- 140 रुपये दे दीजिए। बाबू जी!
अथवा
पढ़ाई में कमजोर छात्रा के अभिभावकों और कक्षा अध्यापिका के बीच संवाद लिखिए-
उत्तर :
अभिभावक-नमस्ते! मेरी बेटी ठीक से पढ़ाई कर रही है अथवा नहीं?
कक्षा-अध्यापिका- यह पढ़ाई तो ठीक से नहीं कर रही है।
अभिभावक- किस विषय में कमजोर है?
कक्षा-अध्यापिका- अंग्रेजी में तो यह बहुत ही कमजोर है अंग्रेजी पढ़ाने वाली अध्यापिका इसकी शिकायत कर चिंता जता रही थी।
अभिभावक- इस माह इसके अंग्रेजी में कितने अंक आए हैं?
कक्षा-अध्यापिका- 25 अंक में से 7 अंक मिले हैं, जो चिंता का विषय है।
अभिभावक- अन्य विषयों में इसकी पढ़ाई कैसी चल रही है?
कक्षा -अध्यापिका -अन्य विषयों में भी ज्यादा अच्छे अंक नहीं आए हैं, गणित में 25 अंक में से 12 अंक, हिन्दी में 25 अंक में से 13 अंक, सामाजिक विज्ञान में 25 अंक में से 11 अंक, विज्ञान में 25 में से 9 अंक आए हैं।
अभिभावक- यह तो वास्तव में चिंताजनक बात है। हम इसके लिए सभी विषयों के ट्यूशन का प्रबन्ध करेंगे और स्वयं भी नजर रखेंगे।
कक्षा अध्यापिका- हाँ यही उचित होगा तभी वार्षिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त हो सकते हैं। आप लोगों का सहयोग अति आवश्यक है। धन्यवाद! नमस्ते ।
14. दिए गए विषय पर जिज्ञासा, प्रभावी संवाद और रचनात्मकता समाहित करते हुए एक लघुकथा लिखिए | शब्द सीमा - 100 ( 5)
-हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं
अथवा
कलेक्टर महोदय को ई मेल लिखो जिसमें बाल मजदूरी की समस्या को उद्घाटित किया गया है और उसे रुकवाने की गुहार लगाईं गई है |
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ई मेल लिखने का तरीका
प्राप्तकर्ता का ई-मेल पता ... @gmail.com
प्रतिलिपि (सीसी) abc@gmail.com
गुप्त/ गोपनीय प्रतिलिपि (बी सी सी )- xyz@gmail.com
विषय : मँगवाई गई खस्ताहाल पुस्तकें लौटाने के संदर्भ में
22.6.22
5:15 सायं
सेवा में
क्षेत्रीय प्रबंधक
ई-कमर्शियल कंपनी
अ ब स नगर
महोदय /महोदया
सस्नेह शुभकामनाएँ!
सविनय आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि मेरा आर्डर नंबर 123 456 78 है इस पर मुझे आपकी प्रतिष्ठित ई-कमर्शियल कंपनी अ ब स से मँगवाई गई पाँचों पुस्तकें प्राप्त हो गई हैं, किंतु उनमें से एक पुस्तक के पहले पाँच पेज पर पाठ सूची नहीं है तथा एक पुस्तक मेरे द्वारा भेजे गए लेखक की नहीं है,जबकि मुझे उन्हीं की पुस्तक चाहिए। इतनी प्रतिष्ठित कंपनी द्वारा सामान भेजते समय इन बातों का ध्यान अवश्य रखना रखा जाना चाहिए था। मैं जानता हूँ कि कंपनी उपभोक्ता हितों का ध्यान रखती है, इसलिए विश्वास है कि भविष्य में कभी ऐसा नहीं होगा। मैं ये दोनों पुस्तकें वापस लौटाना चाहता हूँ। कृपया मेरे आवासीय पते से इन्हें वापस मँगवा लें तथा अविलंब सही पुस्तकें भिजवाने का कष्ट करें। विश्वास है कि आप इस पर त्वरित संज्ञान लेंगे।बिल की कॉपी मेल के साथ संलग्न है।
कृपया मेल स्वीकार करें।
धन्यवाद
सहयोगकांक्षी
अ ब स
अटेचमेंट - बिल की कॉपी और स्क्रीन शॉट
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अभ्यास प्रश्न-पत्र
कक्षा -IX
विषय:- हिंदी (पाठ्यक्रम-अ)
समय- 3 घंटे
पूर्णांक - 80
निर्देश -
1. प्रश्न पत्र के चार खंड हैं क,ख,ग और घ -
2. चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य हैं ।
3. यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दें।
खंड-क
1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सही उत्तर वाला विकल्प चुनकरलिखिए |1X5
जिंदगी को ठीक से जीना हमेशा ही जोखिम झेलना है और जो आदमी सकुशल जीने के लिए जीवन का हर जगह पर एक घेरा डालता है, वह अंततः अपने ही घेरों के बीच कैद हो जाता है और जिंदगी का कोई मजा उसे नहीं मिल पता क्योकि जोखिम से बचने की कोशिश में असल में उसने जिन्दगी को आने से रोक रखा है। जिंदगी से अंत में उतना ही पाते हैं जितनी की उसमें पूंजी लगाते हैं। यह पूंजी लगाना जिंदगी के संकटों का सामना करना है। उसके उस पन्ने को पलट कर पढना है, जिसके सभी अक्षर फूलों से नहीं काँटों से लिखे गये हैं । जिन्दगी का भेद कुछ उसे ही मालूम है जो यह जानकर चलता है कि जिन्दगी कभी भी ख़त्म न होने वाली चीज है । अरे! ओ जीवन के साधकों! अगर किनारों की मरी हुई सीपियों से तुम्हें संतोष हो जाये तो समुद्र की गहराई में छिपे मोती के खजाने को कौन बाहर लायेगा ? कामना का आँचल छोटा मत करो, जिन्दगी के फूल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ों, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए ही बह सकती है।
1. सकुशल जीने का इच्छुक व्यक्ति-
(क) सीमित परिवेश एवं घेरे में जीकर सुखी रहता है।
(ख) विस्तृत परिवेश बनता है
(ग) स्वयं नहीं सोचता, जहाँ जैसा मिले रह लेता है।
(घ) जीवन ईश्वर पर छोड़ देता है।
2. फूल और कांटे प्रतीक हैं-
(क) आसानी से जीवन जीने के लिए
(ख) फूलों के हार एवं माला के
(ग) सुख एवं दुःख के
(घ) संघर्ष एवं मौज मस्ती के
3. जीवन के साधक को प्रेरणा दी गयी है कि वह-
(क) परिश्रम करे
(ख) जो कुछ मिले उसी में संतुष्ट हो जाए
(ग) आसानी से प्राप्ति की धुन छोड़कर श्रम और संघर्ष का मार्ग अपनाये
(घ) अपने सीमित परिवेश में जीवन यापन करें |
4. लेखक के अनुसार जिन्दगी होती है।
(क) जोखिम झेलना
(ख) नश्वरता का खेलता
(ग) अनंत और कभी न मिटने वाली चीज़
(घ) मौज-मस्ती का दृश्य
5. 'कामना का आँचल छोटा न करना का आशय है।
(क) उच्च कोटि की क्षेष्ठ कामनाएं करना |
(ख) जो मिल जाये उसी में खुश रहना
(ग) सोच समझ कर कम करना
(घ) अभिलाषाओं के अनुसार जीना |
2. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़ कर पूछे गये प्रश्नों के सही उत्तर वाला विकल्प चुनकर लिखिए | 1X5=5
शैशव के सुन्दर प्रभाव का,मैंने नव विकास देखा |यौवन की मादक लाली में,जीवन का हुलास देखा |जीवन में न निराशा मुझको,कभी रुलाने को आई |जग झूठा है यह विरक्ति भीनही सिखाने को आई ।अरिदल की पहचान कराने,नहीं घृणा आने पाई |नहीं अशांति हृदय तक,अपनी भीषणता लाने पाई |मैंने सदा किया है,सबसे मधुर प्रेम का ही व्यवहार ।विनिमय में पाया सदैव ही,कोमल अन्तस्तल का ब्यार |मैं हूँ प्रेममयी जग दिखतामुझे प्रेम का पारावार |भरा प्रेम से मेरा जीवन,लुटा रहा है निर्मल प्यार |मैं न कभी रोई जीवन में,रोता दिखा न यह संसार |मृदुल प्रेम के ही गिरते हैं,आँखों से मोती दो चार
1. शैशव के सुन्दर प्रभात से लेखिका का आशय है-
(क) बुढ़ापे से
(ख) यौवन से
(ग) बचपन से
(घ) ये सभी
2. कौन सी विरक्ति लेखिका नहीं सिख पाई?
(क) यौवन की मादक लाली
(ख) अरिदल की पहचान
(ग) अशांत हृदय
(घ) जग झूठा है।
3. 'मैं हूँ प्रेम मयी' जग दिखता मुझे प्रेम का पारावार, पंक्ति से क्या आशय है-
(क) मुझे प्रेम का पारा चढ़ा हुआ प्रतीत होता है।
(ख) मुझमें प्रेम है, इसलिए सम्पूर्ण संसार प्रेममय दिखता है।
(ग) जग मुझे प्रेम की पराकाष्ठा दिखाता है।
(घ) उपरोक्त सभी ।
4. 'अरिदल' का अर्थ है।
(क) भौरों का झुण्ड
(ख) शत्रुसेना
(ग) शत्रु राजा
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
5. प्रभात का विलोम है'
(क) सुबह
(ख) दोपहर
(ग) अपराहन
(घ) संध्या
खंड-ख
3. निर्देशानुसार उत्तर दीजिये:1x4=4
(क) उप' उपसर्ग का प्रयोग करके दो शब्द बनाइये |
(ख) 'पराजय' शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग एवं मूल शब्द को स्पष्ट कीजिये |
(ग) पन' प्रत्यय जोड़कर दो शब्द बनाइए ।
(घ) 'स्वाभिमानी' शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय बनाइये |
4. निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह कर समास का भेद लिखिए ।1x3=3
(क) गुणहीन
(ख) निडर
(ग) त्रिभुवन
5. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर निर्देशानुसार दीजियें ।1x4=4
(क) वाह! कितना सुंदर उपवन है।
(अर्थ के आधार पर वाक्य भेद लिखें )
(ख) सुमन रोज मंदिर जाती है।
(प्रश्नवाचक वाक्य में बदलें )
(ग) क्या वह इतना नालायक है।
(विधानवाचक वाक्य में बदलें)
(घ) दुआ है कि वह कक्षा में प्रथम आये
( अर्थ की दृष्टि से वाक्य लिखें)
6. निम्नलिखित काव्यांशों में निहित अलंकार का नाम लिखिए | 1x4=4
(क) तु मोहन के उर बसी हवै उरबसी समान |
(ख) पीपर पात सरिस मन डोला ।
(ग) विज्ञान यान पर चढ़ी सभ्यता डूबने जाती है।
(घ) तब तो बढ़ता समय शिला-सा जम जायेगा |
खंड-ग
7. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये |1+2+2=5
तो मांगे गये कोट से वर दिखाई करते हैं। और मांगे की मोटर से बारात निकालते हैं। फोटो खिचवाने तुम फोटो का महत्व नहीं समझते। समझते होते तो किसी से फोटो खिचानेके लिये जूते मांग लेते| लोग के लिए बीवी तक मांग ली जाती है., तुमसे जूते ही मांगते नहीं बने। तुम फोटो का महत्व नहीं जानते | लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिचाते है। जिस से फोटो में खुशबू आ जाये । गंदे-से-गंदे आदमी की फोटो. भी खुशबू देती है।
(क) 'तुम' शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?
(ख) लोग फोटो खिंचवाने के लिए क्या-क्या उधार मांग लेते है और क्यों?
(ग) प्रेमचंद फोटो का महत्व क्यों नही समझते?
अथवा
आज से कई वर्ष पहले गुरुदेव के मन में आया कि शांति निकेतन को छोड़कर कहीं अन्यत्र जाएँ | स्वास्थ्य बहुत अच्छा नही था। शायद इसलिए या पता नही क्यों, तय किया की वे श्रीनिकेतन के पुराने तिमंजिले मकान में कुछ दिन रहें । शायद मौज में आकर ही उन्होंने यह निर्णय किया हो । वे सबसे ऊपर के तल्ले में रहने लगे | उन दिनों ऊपर तक पहुँचने के लिए लोहे की चक्करदार सीढियाँ थी, और वृद्ध और क्षीणवपु रवींद्रनाथ के लिये उस पर चढ़ सकना असंभव था। फिर भी बड़ी कठिनाई से उन्हें वहाँ ले जाया सका ।
(क) 'गुरुदेव' शब्द किसके लिए आया है?
(ख) शांतिनिकेतन छोड़कर गुरुदेव अन्यत्र कहाँ और क्यों जाने के लिए सोचा?
(ग) गुरुदेव को कहाँ ले जाना कठिन था और क्यों?
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिये - 2x5=10
(क) कोकिला के स्वर से क्या-क्या भाव गूँज रहे थे ?
(ख) प्रेमचंद को दिखावा करना नही आता था इस कथन से आप कहाँ तक सहमत है?
(ग) लेखिका ने अपने माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है? मेरे बचपन के दिन' पाठ के आधार पर बताइए ।
(घ) शांत घाटी( साइलेंट वेळी ) की क्या समस्या थी ?
(ङ) रसखान की भक्ति किस प्रकार की है ?
9. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये- 2+1+2=5
क्या अंतरीक्ष में गिर गयी है सारी गेंदेक्या दीमको ने खा लिया हैक्या रंग-बिरंगी किताबों कोक्या काले पहाड़ के नीचे दब गये हैं सारे खिलौनेक्या किसी भूकंप में ढह गयी हैसारे मदरसों की इमारतेंक्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घर के आँगनखत्म हो गये एकाएक
(क) काम पर जाते बच्चों को देखकर कवि के मन में क्या-क्या प्रश्न उठते है?
(ख) इससे कवि के किस भावना का पता चलता है?
(ग) कवि समाज और सरकार से क्या उपेक्षा करता है?
अथवा
बूढे पीपल ने आगे बढकर जुहार की,"बरस बाद सुधि लीन्ही' - बोलीअकुलाई लता ओट हो किवार की,हरसाया ताल लाया पानी परात भर के ।मेघ आये बड़े बन-ठन के संवर के ।
(क) बरस बाद सुधि लीन्ही किसने कहा व क्यों?
(ख) काव्यांश से मानवीकरण अलंकार का एक उदहारण ढूंढकर लिखिए |
(ग) ताल के आनंदित होने का कारण स्पष्ट कीजिये ।
10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए | 2X5=10
(क) 'बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता में निहित उद्देश्य पर प्रकाश डालिए |
(ख) माँ के समय और वर्तमान परिस्थितियों की तुलना करें और अंतर स्पष्ट करें |
(ग) बगुला जल में शांत भाव से क्यों खड़ा रहता हैं?
(घ) 'गांठ खुलना' मुहावरे का प्रयोग कवि ने कविता 'मेघ आये' में किस अर्थ में किया हैं ?
(ड.) सरोवर के किनारे पड़े पत्थर कवि के मन में क्या भव जाग्रत करते हैं?
11. हमारे किन किन प्रयासों से समाज में महिलाओं को सम्मान तथा महत्त्व मिल सकता है? 5
अथवा
लेखक ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है? उदाहरण सहित लिखें |
खंड-घ
12. किसी एक विषय पर दिए गये संकेत बिन्दुओं के आधार पर 200-250 शब्दों में निबंध लिखें| 10
बेरोजगारी की समस्या
(संकेत बिंदु ) :-
प्रस्तावना,
बेरोजगारी का अर्थ,
कारण कम करने के उपाय,
बेरोजगारी के दुष्प्रभाव,
उपसंहार
अथवा
शिक्षा का गिरता स्तर
संकेत बिंदु: -
शिक्षा का उद्देश्य,
वर्तमान शिक्षा प्रणाली,
पुस्तकीय ज्ञान,
नैतिक शिक्षा का अभाव,
प्रभाव )
13. अपने विद्यालय के प्राचार्य को फीस माफ़ करने हेतु ई-मेल लिखिए | 5
अथवा
'सच कभी पराजित नहीं होता है ' यह शिक्षा देने वाली लघुकथा लिखो जिसमें कुतूहल का समावेश हो |
14. आपके विद्यालय में खेल दिवस मनाया गया उस पर एक सूचना तैयार कीजिये | 5
अथवा
आपके नगर में गाँधी जयंती बड़े धूम-धाम से मनाई गई । आप उस पर एक सूचना लिखिए |
जय हिन्द : जय हिंदी
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