mira class 11 hindi | मीरा

mira class 11 hindi | मीरा
mira class 11 hindi | मीरा 

meera class 11 hindi pdf


NCERT Solutions for Class 11 Hindi 
Aroh
Chapter 2
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
पग घुँघरू बाधि मीरां नाची

mira class 11 hindi question answer 
mira class 11 hindi prashnottar 



 पद के साथ 


प्रश्न. 1. मीरा कृष्ण की उपासना किस रूप में करती हैं? वह रूप कैसा है?

उत्तर: मीरा कृष्ण की उपासना पति के रूप में करती हैं। उनका रूप मन मोहने वाला है। वे पर्वत को धारण करने वाले हैं तथा उनके सिर पर मोर का मुकुट है। मीरा उन्हें अपना सर्वस्व मानती हैं। वे स्वयं को उनकी दासी मानती हैं।

प्रश्न. 2. भाव व शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –

अंसुवन जल सींचि-सचि, प्रेम-बेलि बोयी
अब त बेलि फैलि गई, आणंद-फल होयी

उत्तर: भाव सौंदर्य – प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा यह स्पष्ट कर रही हैं कि कृष्ण से प्रेम करने का मार्ग आसान नहीं है। इस प्रेम की बेल को सींचने, विकसित करने के लिए बहुत से कष्ट उठाने पड़ते हैं। वह कहती हैं कि इस बेल को उन्होंने आँसुओं से सींचा है। अब कृष्ण-प्रेमरूपी यह लता इतनी विकसित हो चुकी है कि इस पर आनंद के फल लग रहे हैं अर्थात् वे भक्ति-भाव में प्रसन्न हैं। सांसारिक दुख अब उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाते।

शिल्प सौंदर्य – राजस्थानी मिश्रित व्रजभाषा में सुंदर अभिव्यक्ति है। साँगरूपक अलंकार का प्रयोग हैं; जैसे- प्रेमबेलि, आणंद फल, अंसुवन जल। ‘सींचि-सचि’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। अनुप्रास अलंकार भी है- बेलि बोयी गेयता है।


दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलोयी
दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी

उत्तर: भाव सौंदर्य – प्रस्तुत पंक्तियों में मीराबाई ने दूध की मथनियाँ का उदाहरण देकर यह समझाने का प्रयास किया है। कि जिस प्रकार दही को मथने से घी ऊपर आ जाता है, अलग हो जाता है, उसी प्रकार जीवन का मंथन करने से कृष्ण-प्रेम को ही मैंने सार-तत्व के रूप में अपना लिया है। शेष संसार छाछ की भाँति सारहीन है। इन में मीरा के मन का मंथन और जीवन जीने की सुंदर शैली का चित्रण किया गया है। संसार के प्रति वैराग्य भाव है।

शिल्प सौंदर्य – अन्योक्ति अलंकार है। यहाँ दही जीवन का प्रतीक है। प्रतीकात्मकता है- ‘घृत’ भक्ति का, ‘छोयी’ असार संसार का प्रतीक है। ब्रजभाषा है। गेयता है। तत्सम शब्दावली भी है।


प्रश्न. 3.लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं?

उत्तर:मीरा कृष्ण-भक्ति में अपनी सुध-बुध खो बैठी हैं। उन्हें किसी परंपरा या मर्यादा का ध्यान नहीं है। कृष्ण-भक्ति के लिए उन्होंने राज-परिवार छोड़ दिया, लोकनिंदा सही तथा मंदिरों में भजन गाए, नृत्य किया। भक्ति की यह पराकाष्ठा बावलेपन को दर्शाती है इसलिए लोगों ने उन्हें बावरी कहा।


प्रश्न. 4. विस का प्याला राणा भेज्या, पीवत मीरां हाँसी-इसमें क्या व्यंग्य छिपा है?

उत्तर:मीरा के व्यवहार को उनके ससुरालवाले अपने कुल की मर्यादा के विरुद्ध मानते थे। अत: मीरा को मर्यादित व्यवहार करने के लिए उन्होंने कई बार समझाया और जब वह कृष्ण-भक्ति से नहीं हटीं तो उन्होंने मीरा को मारने का प्रयास किया। राणा (मीरा के ससुर) ने मीरा को मारने के लिए ज़हर का प्याला भेजा जिसे मीरा हँसते-हँसते पी गई। उसे मारनेवालों की सभी योजनाएँ धरी रह गईं। वे जिसे मारना चाहते थे, वह हँस रही थी।


प्रश्न. 5मीरा जगत को देखकर रोती क्यों हैं?

उत्तर:मीरा देखती हैं कि संसार के लोग मोह-माया में लिप्त हैं। उनका जीवन व्यर्थ ही जा रहा है। सांसारिक सुख-दुख को असार मानती हैं, जबकि संसार उन्हें ही सच मानता है। यह देखकर मीरा रोती हैं।

meera class 11 hindi Q&A

 पद के आस-पास 

प्रश्न. 1.कल्पना करें, प्रेम प्राप्ति के लिए मीरा को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा।

उत्तर:प्रेम-प्राप्ति के लिए मीरा को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा-

  • सबसे पहले उन्हें घर में विरोध का सामना करना पड़ा। उन पर पहरे बिठाए गए होंगे तथा घर से बाहर नहीं निकलने दिया गया होगा।
  • परिवारवालों की उपेक्षा व ताने सहने पड़े होंगे।
  • समाज में लोगों की फ़ब्तियाँ सही होंगी।
  • मंदिरों में रहना पड़ा होगा।
  • भूख-प्यासे भी झेला होगा।
  • उन्हें मारने के लिए कई प्रयास किए गए होंगे।


प्रश्न. 2.लोक-लाज खोने का अभिप्राय क्या है?

उत्तर:उस समय समस्त राजस्थान में पर्दा-प्रथा थी। मुगल शासकों की अय्याशी और अत्याचारों से बचने के लिए स्त्रियाँ घर से बाहर भी नहीं निकलती थीं। वे ऐसे समाज में मीरा कृष्ण का भजन, सत्संग करती गली-गली घूमती थीं। इसे लोक अर्थात् समाज की लाज-मर्यादा का उल्लंघन मानकर लोक-लाज खोना अर्थात् त्यागना कहा गया है।

प्रश्न. 3.मीरा ने ‘सहज मिले अविनासी’ क्यों कहा है?

उत्तर:मीरा का कहना है कि कृष्ण अनश्वर हैं। उन्हें पाने के लिए सच्चे मन से सहज भक्ति करनी पड़ती है। इस भक्ति से प्रभु प्रसन्न होकर भक्त को मिल जाते हैं।

प्रश्न. 4.लोग कहै, मीरा भइ बावरी, न्यात कहै कुल-नासी-मीरा के बारे में लोग (समाज) और न्यात (कुटुंब) की ऐसी धारणाएँ क्यों हैं?

उत्तर:समाज मीरा के भक्ति भाव को समझ न सका। संसारी ने धन-दौलत, राजमहल, आभूषण, छप्पन प्रकार के भोजन, राजसी सुख आदि को सब कुछ माना था। उन्हें छोड़कर मीरा गलियों में भटक रही हैं। यह पागलपन ही तो है कि चित्तौड़ में राजमहल छोड़कर मंदिर में रहने लगीं, फिर वृंदावन में भटकीं और कृष्ण की आज्ञा से द्वारिका आईं, इसे लोगों ने पागलपन माना। न्यात ने कहा कि राजघराने का वंश चलाने के लिए मीरा ने सांसारिक धर्म को पूरा नहीं किया। इसलिए मीरा कुल का नाश करनेवाली कहलाईं। मीरा कृष्ण के प्रेम के सामने संसार को कुछ नहीं मानती थीं।


अन्य  प्रश्नोत्तर

प्रश्न. 1.‘कुल की कानि’ का आशय स्पष्ट करें।

उत्तर:इसका अर्थ है- परिवार की मर्यादा का पालन न करना। मीरा राजपरिवार से संबंधित होने पर भी संतों के साथ बैठकर कृष्ण भजन करती थी। उसे समाज की परवाह नहीं थी। यह परिवार की मर्यादा के खिलाफ था।

प्रश्न. 2.मीरा का कृष्ण से क्या संबंध था?

उत्तर:मीरा कृष्ण को अपना पति मानती थी। वह पूर्णतः उसकी भक्ति में डूबी हुई थी।

प्रश्न. 3.मीरा कृष्ण से क्या प्रार्थना करती हैं?

उत्तर:मीरा कृष्ण से कहती हैं कि हे गिरधर ! अब आप मुझे तार दो अर्थात् इस भवसागर से पार उतार दो, यही मेरी विनम्र प्रार्थना है।

प्रश्न. 4.पैरों में घुघरू बाँधकर नाचना मीरा की किस स्थिति का परिचायक है?

उत्तर:मीरा द्वारा समाज की मर्यादा, लोक-लाज और जाति-बिरादरी की सभी परंपराओं को छोड़ दिया गया है। कृष्ण को रिझाने के लिए उनका इस तरह नाचना दर्शाता है कि वे सुध-बुध खो चुकी हैं।

प्रश्न. 5.‘आपहि हो गई साची’ का आशय बताइए।

उत्तर:मीरा अपने कृष्ण के संपर्क में आकर स्वतः सहज ही सत्य रूप हो गई हैं। वे अपनी अनोखी अनुभूति को सरल शब्दों में व्यक्त करते हुए बता रही हैं कि वे नारायण कृष्ण से एकाकार हो गई हैं। सत्य रूप कृष्ण की सहज-स्वाभाविक अंग बनकर वे स्वयं भी सत्य हो गई हैं।

प्रश्न. 6.मीरा के लिए बावरी, कुलनासी, साची आदि विशेषणों का प्रयोग किसने और क्यों किया है?

उत्तर:मीरा ने स्वयं के लिए साची शब्द (विशेषण) का प्रयोग किया है, क्योंकि वे सहज रूप से कृष्ण की हो गई हैं। लोग अर्थात् समाज कहता है कि मीरा बावरी हो गई हैं अर्थात् वह संसार से विरक्त कृष्ण-प्रेम में पागल हो चुकी हैं। न्यात अर्थात् जाति और बिरादरी के लोग उसे कुलनासी कहते हैं, क्योंकि मीरा का इस तरह लोक-लाज (पर्दा) छोड़कर नाचना राजघराने की गरिमा को नष्ट करता है।

प्रश्न. 7.मीरा को आनंद-फल कहाँ से प्राप्त होंगे?

उत्तर:मीरा ने आँसुओं के जल से सींच-सींचकर कृष्ण-प्रेम की बेल बोई थी। अब वह बेल फैल गई है। इसी बेल से मीरा को आनंदरूपी फल प्राप्त होंगे।

प्रश्न. 8.मीरा ने जीवन का सार कैसे बताया है?

उत्तर:मीरा कहती हैं कि दही को मथकर उसका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्व घृत (घी) निकाल लेने पर शेष छाछ नीचे रह जाती है। इसी प्रकार जीवन का मंथन करने से मीरा ने कृष्ण भक्ति को सार-तत्व के रूप में पाया है, शेष संसार छाछ की भाँति साररहित है। इस सामान्य लोक प्रचलित व्यवहार से मीरा ने गहन ज्ञान दे दिया है।

प्रश्न. 9.‘सहज मिले अविनासी’ का भाव स्पष्ट करें।

उत्तर:मीराबाई अपने आराध्य श्रीकृष्ण के विषय में कहना चाहती हैं कि सहजता, सरलता तथा स्वाभाविक रूप से श्रीकृष्ण जैसे आराध्य उन्हें मिले हैं जो हर प्रकार के विनाश से बचानेवाले हैं। मीरा भयमुक्त हैं। इसी अर्थ में वे कृष्ण के लिए ‘अविनासी’ शब्द का प्रयोग कर रही हैं।



जय हिन्द : जय हिंदी 
-----------------------------

Post a Comment

0 Comments