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1. 'बाज़ार दर्शन' के रचयिता हैं-

 A. महादेवी वर्मा
 B. फणीश्वर नाथ रेणु
 C. धर्मवीर भारती
 D. जैनेंद्र कुमार

उत्तर:   D. जैनेंद्र कुमार

2. 'बाज़ार दर्शन' का प्रतिपाद्य है-

 A. बाज़ार के उपयोग का विवेचन
 B. बाजार से लाभ
 C. बाज़ार न जाने की सलाह
 D. बाज़ार जाने की सलाह

उत्तर:   A. बाज़ार के उपयोग का विवेचन

3. लेखक का मित्र किसके साथ बाज़ार गया था?

 A. अपने पिता के साथ
 B. मित्र के साथ
 C. पत्नी के साथ
 D. अकेला

उत्तर:   C. पत्नी के साथ

4. क्या फालतू सामान खरीदने के लिए पत्नी को दोष देना उचित है?

 A. हाँ
 B. नहीं
 C. कह नहीं सकता
 D. बाज़ार का दोष है

उत्तर:   B. नहीं

5. लेखक के अनुसार पैसा क्या है?

 A. पावर है
 B. हाथ की मैल है
 C. माया का रूप है
 D. पैसा व्यर्थ है

उत्तर:   A. पावर है

6. भगत जी किस प्रकार के व्यक्ति हैं?

 A. लोभी
 B. संतोषी
 C. ईर्ष्यालु
 D. मूर्ख

उत्तर:   B. संतोषी

7. बाज़ार के जादू का प्रभाव कब पड़ता है?

 A. जब ग्राहक का मन खाली होता है
 B. जब ग्राहक का मन भरा हुआ होता है
 C. जब ग्राहक के साथ उसकी पत्नी होती है
 D. जब ग्राहक गरीब होता है

उत्तर:   A. जब ग्राहक का मन खाली होता है

8. हमें किस स्थिति में बाजार जाना चाहिए?

 A. जब मन खाली हो
 B. जब मन खाली न हो
 C. जब मन बंद हो
 D. जब मन में नकार हो

उत्तर:   B. जब मन खाली न हो

9. बाज़ार किसे देखता है?

 A. लिंग को
 B. जाति को
 C. धर्म को
 D. क्रय-शक्ति को

उत्तर:   D. क्रय-शक्ति को

10. 'बाज़ारूपन' से क्या अभिप्राय है?

 A. बाजार से सामान खरीदना
 B. बाज़ार से अनावश्यक वस्तुएँ खरीदना
 C. बाजार से आवश्यक वस्तुएँ खरीदना
 D. बाज़ार को सजाकर आकर्षक बनाना

उत्तर:   B. बाज़ार से अनावश्यक वस्तुएँ खरीदना

11. कौन लोग बाज़ार का बाजारूपन बढ़ाते हैं?

 A. गरीब लोग
 B. असली ग्राहक
 C. दुकानदार
 D. पर्चेजिंग पावर वाले लोग

उत्तर:   D. पर्चेजिंग पावर वाले लोग

12. बाज़ार दर्शन में किस प्रकार की भाषा का प्रयोग हुआ है?

 A. साहित्यिक ब्रज भाषा का
 B. तत्सम प्रधान हिंदी भाषा का
 C. सामान्य हिंदी भाषा का
 D. बाजारू भाषा का

उत्तर:   C. सामान्य हिंदी भाषा का

13. बाज़ार में जादू को कौन सी इन्द्रिय पकड़ती है ?

A- आँख 
B- नाक 
C- कान 
D- इनमे से कोई नहीं 

उत्तर - A

14. लेखक के मित्र ने बाज़ार को किसका जाल कहा है ?

A- धन का जाल 
B- शैतान का जाल 
C- माया का जाल 
D- आस्था का जाल 

उत्तर - B

15. भारत सरकार ने जैनेन्द्र कुमार को कौन सी उपाधि प्रदान की ? 

A- पद्मश्री 
B- पद्मभूषण 
C- वीरचक्र 
D- इनमे से कोई नहीं  

उत्तर - B

16. ऊँचे बाजार का आमंत्रण कैसा होता है?

(क) आकर्षक

(ख) मूक

(ग) वाचाल

(घ) भयंकर।

उत्तर - (ख) मूक

17. बाजार की असली कृतार्थता किस में है ?

(क) लोगों को लुभाना

(ख) सामान खरीदने के लिए विवश करना

(ग) मोल-आव करना

(घ) आवश्यकता के समय काम आना।

उत्तर - (घ) आवश्यकता के समय काम आना।

18. मन को किसकी छूट नहीं होनी चाहिए ?

(क) निरोध की

(ख) मनमानेपन की

(ग) विरोध की

(घ) संवेग की।

उत्तर- (ख) मनमानेपन की।

19. बाजार को सार्थकता कैसा व्यक्ति प्रदान करता है?

(क) जिसे पता है कि उसने क्या खरीदना है

(ख) जिसके पास बहुत पैसे होते हैं।

(ग) जो कुछ भी खरीद सकता है

(घ) जिसे पता नहीं है कि उसने क्या खरीदना है।

उत्तर - (क) जिसे पता है कि उसने क्या खरीदना है।

20. जो लोग बाजारूपन बढ़ाते हैं, वे साथ ही साथ अन्य किस दोष को बढ़ाते हैं  

(क) महंगाई
(ख) लोभ
(ग) कपट
(घ) ईर्ष्या।

उत्तर-(ग) कपट।

21. किसी की समृद्धि को देखकर अपने प्रति हीन भावना पैसे की कौन-सी शक्ति है।

(क) क्रय शक्ति 
(ख) प्रच्छन  शक्ति 
(ग) महान
(घ) व्यंग्य।

उत्तर-(घ) व्यंग्य

22. 'बाज़ार दर्शन' पाठ में चूरन वाले द्वारा रोजाना छह आने कमाए जाने का वर्णन लेखक ने किया है। यहां एक आना कितने पैसे के बराबर है ?

(क) 2 पैसे
(ख) 4 पैसे
(ग) 6 पैसे
(घ) 12 पैसे।

उत्तर - (ख) 4 पैसे

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यह पाठ गद्य लेखन की किस विधा में लिखा गया है – 
निबंध

बाजार दर्शन का प्रतिपादन है – 
बाजार के उपयोग का विवेचन (या विवेचना करना)

बाजार का पोषण करने वाले अर्थशास्त्र को लेखक ने क्या नाम दिया है – 
अनीतिशास्त्र

लेखक का मित्र किसके साथ बाजार गया था – 
अपनी पत्नी के साथ

लेखक के मित्र ने खरीदारी का श्रेय किसे दिया – 
अपनी पत्नी को

“और पैसा होता तो और सामान आता” , क्या देखकर लेखक के मन में यह बात आयी – 
मित्र के द्वारा खरीदे गए सामान और मनी बेग को

लेखक के अनुसार पैसा क्या है – 
पावर

पैसे की पर्चेजिंग पावर के प्रयोग में क्या है – 
पावर का रस

बाजार का काम क्या है – 
ग्राहकों को आकर्षित करना।

बाजार के जादू का प्रभाव कब पड़ता है – 
जब ग्राहक का मन खाली होता है

न चाहते हुए या जरूरत न होने पर भी लोग , कब बाजार से सामान खरीदते हैं – 
जब मन खाली हो

हमें बाजार कब जाना चाहिए – 
जब मन खाली न हो

लेखक क्या सलाह देता है – 
बाजार जाते वक्त , मन को बंद रखने की

बाजार को “शैतान का जाल” किसने कहा – 
लेखक के मित्र ने

बाजार क्या देखता है – 
क्रय शक्ति

बाजारवाद को बढ़ावा कौन देता है – 
मन का खालीपन

बाजार जाते समय , बाजार के जादू के प्रभाव से बचने का सरल उपाय क्या है – 
 मन का खाली न होना

बाजार का आमंत्रण कैसा होता है – 
मूक (मौन) और चाह जगाने वाला

“बाजारुपन” से क्या अभिप्राय है – 
बाजार से अनावश्यक वस्तुएँ खरीदना

कौन लोग “बाजारुपन” को बढ़ाते हैं – 
पर्चेजिंग पावर वाले लोग या ऐसे लोग जो बाजार से अनावश्यक वस्तुएँ खरीदते हैं

बाजार को सार्थकता कौन देता है – 
वो जो जानते है कि उन्हें क्या खरीदना है या ऐसे लोग जो बाजार से जरूरत की चीजें ही खरीदते हैं।

लोगों द्वारा बाजार से सामान किस हिसाब से खरीदा जाता है – 
पर्चेजिंग पावर के

पर्चेजिंग पावर वाले लोग बाजार को क्या देते है – 
शैतानी ताकत / शक्ति

लेखक ने किसे “पावर” कहा है – 
पैसे को

लेखक के अनुसार संयमी लोग कैसे होते हैं – 
जरूरत भर का सामान खरीदकर अपने पैसे को बचाने वाले बुद्धिमान लोग

“बाजार दर्शन” पाठ में किसके जादू की बात कही गई हैं – 
बाजार के जादू

कमजोर इच्छा शक्ति वाले लोग किसके जादू से मुक्त नही हो सकते हैं – 
 बाजार के जादू से

लेखक ने बाजार के जादू को किस प्रकार का जादू कहा है – 
रूप का जादू यानि चीजों को ऐसे सजा – धजा कर रखना जो देखने में आकर्षक लगे।

भरे मन से बाजार जाने पर क्या होगा – 
बाजार के जादू का प्रभाव नही पड़ेगा

बाजार में सामान को कैसे रखा जाता है – 
सजा -धजा कर आकर्षित तरीके से

व्यक्ति कहाँ खड़े होकर बाजार को देखता है – 
चौक बाजार में

लेखक के अनुसार लोभ की जीत क्या है – 
हठपूर्वक लोभ को दबाना

लोभ से बचने का क्या उपाय है – 
 मन को बंद करना चाहिए

मनुष्य की सबकुछ खरीदने की इच्छा कब जागती है या मनुष्य को सब ओर की चाह कब घेरती है – जब उसे अपनी जरूरत का ज्ञान न हो

बाजार के जादू की तुलना किससे की है – 
चुंबक के जादू से

बाजार के जादू की क्या खासियत हैं – 
 यह खाली मन और जेब , दोनों पर अपना गहरा प्रभाव डालते है।

शून्य होने का अधिकार किसके पास है – 
परमात्मा

मन को किस बात की छूट नहीं मिलनी चाहिए – 
मनमानी करने की

बाजार कब फैला का फैला ही रह जाएगा – 
जब मन में दृढ़ लक्ष्य हो

लेखक ने चूरन वाले को “अकिंचित्कर” कहा है जिसका अर्थ होता है – 
अर्थहीन

लेखक के पड़ोसी कौन थे – 
भगत जी

भगतजी किस प्रकार के व्यक्ति थे – 
संतोषी

भगतजी कितने वर्षों से लेखक के पड़ोस में रहते थे – 
10 वर्ष

भगतजी क्या बेचते थे – 
चूरन

भगतजी चूरन किसमें रख कर बेचने जाते थे – 
पेटी में

भगतजी हर दिन कितनी कमाई करते थे – 
छः आने की

छः आने की कमाई होते ही , भगत जी बचे चूरन का क्या करते थे – 
बच्चों में मुफ्त बांट देते थे।

लेखक भगतजी को श्रेष्ठ क्यों मानते हैं – 
क्योंकि वो संतोषी व्यक्ति थे।

लेखक के अनुसार , अगर भगतजी व्यवसाय करने के गुर सीख जाते तो , आज उनकी माली हालत कैसी होती – 
वो बहुत अमीर होते

“पैसा किससे भीख मांगता है कि उसे ले लो …..” – 
भगतजी से

लेखक ने भगतजी का , क्या बोलकर अभिवादन किया – 
जयराम कहकर

बाजार में भगतजी कहाँ रुके – 
पंसारी की दुकान में

पाठ के अनुसार , किस पात्र पर बाजार के जादू का प्रभाव बिलकुल नहीं पड़ता है – 
भगतजी पर

पाठ में लेखक के कुल कितने मित्रों का जिक्र हुआ है – 
दो

जो लोग बाजारों में बाजारूपन बढ़ाते हैं वो साथ ही साथ अन्य किस दोष को भी बढ़ाते हैं – 
छल-कपट

कौन मनुष्य को असंतोष , तृष्णा और ईर्ष्या से घायल करके बेकार बनाता है – 
बाजार का चौक

बाजार का जादू किस माध्यम से काम करता है – 
आंखों के

बाजार से कब आनंद मिलता है -
जब ग्राहक के मन में लक्ष्य निश्चित होता है

बाजार की असली उपयोगिता किसमें है – 
जरूरत के समय काम आने में

बाजार की सार्थकता किसमें हैं – 
लोगों की आवश्यकता पूरी करने में

“संचय की तृष्णा” और “वैभव की चाह” , में व्यक्ति की क्या प्रमाणित होती है – 
निर्बलता

कौन सा योग , लोभ से बचने का उपयुक्त तरीका नहीं है – 
हठयोग

हठयोग का क्या प्रभाव होता है – 
मन कमजोर , पीला और अशक्त हो जाता है

लेखक ने पाठ में दिल्ली के किस बाजार का जिक्र किया है – 
चांदनी चौक

बाजारवाद का प्रमुख कारण क्या है – 
मनी बैग

“स्त्री माया ना जोड़ें तो , क्या मैं जोडूँ” , इस कथन से आशय है कि धन संचय के लिए सिर्फ कौन जिम्मेदार है – 
स्त्री

फिजूल सामान को फिजूल समझने वाले लोगों को क्या कहा जाता है – 
संयमी

“क्यों न , मैं मोटर वालों के  यहाँ हुआ?” यह किसने और किससे कहा – 
लेखक ने खुद अपने आप से

लेखक के अनुसार किस प्रकार का व्यक्ति धन की ओर झुकता है – 
 निर्बल

व्यक्ति की निर्बलता किस से प्रमाणित होती है – 
 वैभव की चाह रखने से

पाठ में “आंखें फोड़ डालने का दृष्टांत” क्यों दिया गया है – 
आत्म संयम के लिए

लेखक किन शब्दों के सूक्ष्म अंतर में नहीं पड़ना चाहता है – 
आत्मिक , धार्मिक और नैतिक

लेखक का दूसरा मित्र बाजार से खाली हाथ क्यों लौट आया – 
क्योंकि वह कुछ भी नहीं छोड़ना चाहता था यानी सबकुछ खरीद लेना चाहता था।

मित्र ने लेखक के सामने अपना क्या फैला दिया था – 
मनी बैग

ठाठ देख कर मन को बंद करना क्या है – 
जड़ता



लेखक से संबंधित प्रश्न


जैनेंद्र कुमार जी का जन्म किस सन में हुआ था – 
2 जनवरी 1905

जैनेंद्र कुमार जी का जन्म कहां हुआ था – 
कौड़ियागंज , अलीगढ़ (उत्तरप्रदेश)

जैनेंद्र कुमार जी का निधन कब हुआ था – 
सन 1990

जैनेंद्र कुमार जी पर किस वाद का प्रभाव अधिक था – 
गाँधीवाद

जैनेंद्र कुमार जी कौन -कौन से पुरस्कारों से सम्मानित थे – 
 साहित्य अकाडेमी पुरस्कार , भारत – भारती सम्मान , पदमभूषण।

जैनेंद्र कुमार जी के प्रमुख उपन्यास – 
सुनीता , त्यागपत्र , परख , मुक्तिबोध , कल्याणी।

जैनेंद्र कुमार जी की प्रमुख कहानी – 
पाजेब , खेल , नीलम देश की राजकुमारी , अपना – अपना भाग्य , तत्सत।

जैनेंद्र कुमार जी के प्रमुख निबंध – 
जड़ की बात , प्रस्तुत प्रश्न , पूर्वोदय , साहित्य का श्रेय और प्रेय , सोच -विचार , समय और हम।


 पठित गद्यांश 

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए |

पैसा पावर है | पर उसके सबूत में आस-पास माल-टाल न जमा हो, तो क्या वह खाक पावर है। पैसे को देखने के लिए बैंक- हिसाब देखिए, पर माल असबाब मकान- कोठी तो अनदेखे भी दिखते हैं। पैसे की उस ‘पर्चेजिंग पावर’ के प्रयोग में ही पावर का रस है, लेकिन नहीं। लोग संयमी  भी होते हैं।  वेफिजूल सामान को फिजूल समझते हैं। वे पैसा बहाते नहीं हैं और बुद्धिमान  होते हैं। बुद्धि और संयमपूर्वकवह पैसे को जोड़ते जाते हैं, जोड़ते जाते हैं। वह पैसे की पावर को इतना निश्चित समझते हैं कि उसके प्रयोग की उन्हें दरकार नहीं है। बस पैसे के जुड़ा होने पर खुद उनका मन गर्व से भरा-फूला रहता है।

निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्पों का चयन कीजिए ।


क. संयमी व्यक्ति पैसे के प्रयोग की आवश्यकता क्यों नहीं समझते हैं?

1-पैसे जोड़ने पर मन गर्व से भरा रहने के कारण
2-पैसे की आवश्यकता न समझ पाने के कारण
3-पैसे को फिजूल सामान समझने के कारण 
4-पैसे की पावर का सही उपयोग करने के कारण

ख. पैसे की पर्चेजिंग पावर के प्रयोग को पावर का रस नहीं मानते। ऐसेकौन लोग  फिजूल सामान को फिजूल समझते हैं?

1.  बुद्धिहीन     
2. संयमी   
3. क्रूर  .   
4 .अमानवीय

ग. पैसे को जोड़कर...........गर्व का अनुभव करते हैं ।

1.  बुद्धिमान व संयमी व्यक्ति
2. मन की इच्छा पूरी करने वाले व्यक्ति 
3. स्वार्थी व्यक्ति   
4. लाचार व बेबस व्यक्ति

घ. कथन(A) पैसे की ‘पर्चेजिंग पावर’ के प्रयोग में ही पावर का रस है ।
कथन(R) पैसे की पावर मकान- कोठी, माल- असबाब से दिखाई देती है।

कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R)और कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
 कथन (A) गलत है, परंतु कारण(R) सही है।
 कथन(A) तथा कारण (R) दोनों गलत है।
 कथन (A)सही है, परंतु कारण(R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

ङ. गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 

1. संयमी व बुद्धिमान व्यक्ति केवल पैसा जोड़ते हैं।
 2.  बुद्धिमान व्यक्ति पैसे को खर्च करते हैं।
3.  पैसा जुड़ा होने पर बुद्धिमान व्यक्ति गर्व महसूस करता है।
4.  उपरोक्त कथनों में से कौन- सा / से सही है / हैं ?

1. केवल 1    
2.  केवल 3
3. 1 और 2   
4. 1 और 3


उत्तर

क.1. पैसे जोड़ने पर मन गर्व से भरा रहने के कारण 

ख. 2. संयमी 

ग.  1. बुद्धिमान व संयमी व्यक्ति

घ.  4. कथन (A) सही है ,परंतु कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

ङ.  4. 1 और 3



जय हिन्द : जय हिंदी 
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