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 भक्तिन 

 महादेवी वर्मा 

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 पाठ का सार 

इस पाठ में भक्तिन लेखिका महादेवी वर्मा की सेविका है, जिसका मूल नाम लछ्मिन या लक्ष्मी था। भक्तिन के जीवन को मुख्य रूप से तीन परिच्छेदों में बाँटा  गया है-


पहला परिच्छेद

इस परिच्छेद में भक्तिन के जन्म से लेकर ससुराल आने तक का वर्णन है। बचपन में ही भक्तिन की माँ का निधन हो गया था और सौतेली माँ ने पाँच वर्ष की छोटी सी आयु में ही उसका विवाह करवा दिया था | नौ वर्ष की उम्र में गौना करके ससुराल भी भेज दिया था। इस परिच्छेद में भक्तिन को माता का सुख न मिलकर विमाता की ईर्ष्या ही मिलती है।


दूसरा परिच्छेद

इस परिच्छेद में भक्तिन के ससुराल आने से लेकर पति की मृत्यु तक का वर्णन है। ससुराल में तीन बेटियों को जन्म देने के कारण उसे सास और जिठानियों की उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। भक्तिन और बेटियाँ दिन भर काम करती थीं और जिठानियाँ व उनके बेटे आराम फरमाते थे। जिठानियों के बेटों को दूध मक्खन मिलता था जबकि भक्तिन की बेटियाँ घूघरी आदि साधारण सा भोजन पाती थीं। भक्तिन पति की सहमति से अलगौझा कर लेती है। खेतों में सारा काम भक्तिन ही करती थी, जिससे अच्छे-अच्छे खेतों व जानवरों के बारे में उसका ही ज्ञान अधिक होता था अतः ऊपर से असंतोष और अंदर से प्रसन्न होती हुई सभी अच्छी चीजें प्राप्त करने में कामयाब हो जाती है। अलगौझा करने के बाद मेहनती दंपति अपनी बेटियों के साथ सुखपूर्वक रहने लगते हैं किंतु भक्तिन का भाग्य भी उससे कम हठी न था और बड़ी लड़की का विवाह करने के पश्चात पति ने दो कन्याओं और कच्ची गृहस्थी का भार 29 वर्षीय पत्नी पर छोड़कर इस संसार से विदा ले ली। भक्तिन के हरे-भरे खेतों, गाय-भैंसों तथा फलों से लदे पेड़ों को देखकर जेठ-जिठानियों के मुँह में पानी भर आया और उन्हे हड़पने के लिए भक्तिन की दूसरी शादि करने की सोचने लगे। भक्तिन ने भी गुरु से कान फुड़वाकर, कंठी बांधकर व केशों को पति के नाम पर समर्पित कर कभी न टलने की घोषणा कर दी और दोनों छोटी लड़कियों की शादी कर बड़े दामाद को घर जमाई बना लिया।


तीसरा परिच्छेद

भक्तिन का दुर्भाग्य उससे भी बड़ा था और बड़ी लड़की विधवा हो गई। भक्तिन की सम्पत्ति हड़पने के इरादे से जिठौत ने विधवा बहन का गठबंधन करवाने के लिए अपने तीतर लड़ाने वाले साले को बुला लिया, लेकिन भक्तिन की बेटी ने उसे अस्वीकार कर दिया। जिठौत हर तरीके से यह गठबंधन करवाना चाहते थे और एक दिन वो इस चाल में कामयाब भी हो जाते हैं। पंचायत ने अपीलहीन फैसला करते हुए भक्तिन की बड़ी बेटी का विवाह उस तीतरबाज साले से करवा दिया। गले पड़ा दामाद भक्तिन और इसकी बेटी के लिए दुर्भाग्य ही था, जिसके कारण दोनों को अनेक कष्ट झेलने पड़े। दामाद कुछ भी काम नहीं करता था तथा आपसी कलह में खेती-बाड़ी भी जल गई और लगान न देने के कारण जमींदार ने भक्तिन को दिन भर धूप में खड़ा कर के अपमानित भी किया। स्वाभिमानी और मेहनती भक्तिन यह अपमान सहन न कर सकी और अपना घर-बार सब कुछ छोड़कर काम की तलाश में शहर में लेखिका के पास आ जाती है और इसी के साथ उसके जीवन का तीसरा परिच्छेद समाप्त हो जाता है।


चौथा और अंतिम परिच्छेद

जब भक्तिन शहर आती है तो वह अपना वास्तविक नाम छुपाती है क्योकि उसके नाम और भाग्य में बहुत ज्यादा विरोधाभास था। उसकी वेशभूषा आदि देखकर लेखिका ने उसका नया नामकरण (भक्तिन) किया जिसे पाकर भक्तिन गदगद हो जाती है। भक्तिन एक समर्पित सेविका है और सेवक धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा तक करती है। भक्तिन के आ जाने के बाद लेखिका की दिनचर्या में अनेक बदलाव आए और लेखिका धीरे-धीरे भक्तिन के साथ रहते हुए ग्रामीण भोजन आदि करते हुए देहातिन सी होने लगी। भक्तिन जीवन के अंत तक लेखिका का साथ छोड़ने को तैयार न थी | युद्ध के कारण भक्तिन लेखिका को गाँव चलने का अनुरोध करती है तथा रूपये न होने का बहाना बनाने पर कुछ रुपये गड़े होने की बात बताई। समग्र रूप से देखें तो इस पाठ में भक्तिन और लेखिका के बीच सेवक-स्वामी का सम्बंध बताना कठिन है। भक्तिन को नौकर कहना भी असंगत है। लोग लेखिका के जेल जाने की बात कहकर भक्तिन को चिढ़ाते थे और यह सच भी है कि वह लेखिका के लिए बड़े लाट तक से लड़ने को तैयार हो जाती थी। लेखिका भी भक्तिन को बहुत ज्यादा चाहती थी और सोचती थी कि जब यमराज का बुलावा आएगा तब यह देहातिन वृद्धा क्या करेगी। भक्तिन और लेखिका दोनों ही एक दूसरे को नहीं छोड़ना चाहती थीं।

प्रश्न-1 निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 60-70 शब्दों में लिखिए-

“इस दंड-विधान के भीतर कोइ ऐसी धारा नहीं थी, जिसके अनुसार खोते सिक्कों की टकसाल –जैसी पत्नी से पति को विरक्त किया जा सकता | सारी चुगली-चबाई की परिणति, उसके पत्नी प्रेम को बढाकर ही होती थी | जिठानियाँ बात-बात पर धमाधम पीटी-कूटी जाती; पर उसके पति ने उसे कभी उँगली भी नहीं छुआई वह बड़े बाप की बड़ी बात वाली बेटी को पहचानता था | इसके अतिरिक्त परिश्रमी, तेजस्विनी और पति के प्रति रोम-रोम से सच्ची पत्नी को वह चाहता भी बहुत रहा होगा, क्योकि उसके प्रेम के बल पर ही पत्नी ने अलगौझा करके सबको अँगूठा दिखा दिया | काम वही करती थी, इसलिए गाय-भैंस, खेत-खलिहान, अमराई के पेड़ आदि के संबंध में उसी का ज्ञान बहुत बढ़ा-चढ़ा था | उसने छांट-छांट कर, ऊपर से असंतोष की मुद्रा के साथ और भीतर से पुलकित होते हुए जो कुछ भी लिया, वह सबसे अच्छा भी रहा , साथ ही परिश्रमी दम्पति के निरंतर प्रयास से उसका सोना बन जाना भी स्वाभाविक हो गया |”

1-  यहाँ दंड विधान की बात क्यों की गई है?

उतर- यहाँ दंड विधान के बात लछमिन (भक्तिन) के संदर्भ में की जा रही है | इसका कारण है कि उसने तीन–तीन बेटियों को जन्म दिया था | उसके कोई पुत्र नहीं था जबकि जिठानियों ने पुत्रों को जन्म दिया था | अतः उसे दंड देने की बात की गई है |

2-  चुगली-चबाई की परिणति पत्नी प्रेम को बढ़ाकर ही होती थी- इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए|

उत्तर- भक्तिन की जिठानियाँ भक्तिन के पति के सामने उसकी चुगली किया करते थी | वे चाहती थीं कि भक्तिन की पिटाई हो, किन्तु चुगलियों का प्रभाव उल्टा होता था | इन सबसे भक्तिन का पति भक्तिन को और अधिक चाहने लगता है |

3-  किस के बल पर लछमिन अलगौझा कर जीवन संघर्ष को जीत पाई ?

उत्तर- पति के प्रेम के बलबूते पर ही लक्षमिन बँटवारा करके सबको अँगूठा दिखा पाई थी | उसे खेती और पशुओं के बारे बहुत ज्ञान था और उसी के कारण परिश्रम करके वह इस जीवन संघर्ष को जीत पाई थी |


प्रश्न-2 निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 60-70 शब्दों में लिखिए-

“भक्तन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं | वह सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं बन सकती; पर नरो व कुंजरो वा’ कहने में भी विश्वास नहीं करती | मेरे इधर-उधर पड़े पैसे –रूपये, भण्डार गृह की किसी मटकी में कैसे अंतरहित हो जाते हैं, यह रहस्य भी भक्तिन जानती है | पर, उस संबंध में किसी के संकेत करते ही वह उसे शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे डालती है, जिसे स्वीकार कर लेना किसी तर्क शिरोमणी के लिए संभव नहीं | यह उसका अपना घर ठहरा, पैसा-रूपया जो इधर-उधर पड़ा देखा, संभाल के रख लिया | यह क्या चोरी है? उसके जीवन का परम कर्त्तव्य मुझे प्रसन्न रखना है- जिस बात से मुझे क्रोध आ सकता है, उसे बदलकर इधर-उधर करके बताना, क्या झूठ है! इतनी चोरी और इतना झूठ तो धर्मराज महाराज में भी होगा, नहीं तो वे भगवान जी को कैसे प्रसन्न रख सकते और संसार को कैसे चला सकते!”


(क) भक्तिन को अच्छा क्यों नहीं कहा जा सकता ?

उत्तर – भक्तिन के स्वाभाव में अनेक दुर्गुण थे | वह सत्य की अपनी ही परिभाषा मानती थी | वह लोक-व्यवहार पर भी खरी नहीं उतरती थी, इसलिए भक्तिन को अच्छा कहना कठिन है |

(ख) भक्तिन के अनुसार सच और झूठ की क्या परिभाषा है?

उत्तर- भक्तिन के अनुसार सच और झूठ से ज्यादा उसका आचरण करने वालों की नियत ज्यादा महत्त्वपूर्ण है | वह लेखिका के घर में इधर-उधर पड़े पैसों को मटकी में इकट्टा करती चली जाती है | कुछ लोग इसे चोरी मानते हैं परन्तु वह ऐसा नहीं मानती है | वहा पैसों को संभालकर रखने को चोरी नहीं मानती है |

(ग) झूठ बोलने के सन्दर्भ में भक्तिन के क्या तर्क थे?

उत्तर- भक्तिन का परम कर्तव्य मुझे खुश रखना था और इसके लिए वह बातों को इधर-उधर करके भी बताती थी और वह मानती थी कि इतना सा झूठ तो धर्मराज महाराज भी बोलते होंगे नहीं तो अपने भगवान को कैसे प्रसन्न रख पाते होंगे |

पाठ की विषयवस्तु से संबंधित बोधात्मक प्रश्न

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प्रश्न 1. पाठ के आधार पर भक्तिन की तीन विशेषताओं पर प्रकाश डालिए |
अथवा
‘भक्तिन’ पाठ के आधार पर भक्तिन की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए|

उत्तर- भक्तिन पाठ महादेवी के द्वारा लिखित प्रसिद्ध संस्मरण है जिसमें भक्तिन महादेवी की सेविका है | वह महादेवी से उम्र में 25 वर्ष बड़ी थी जिसकी वजह से उसने अपने आप सेविका से ज्यादा अभिभावक ही माना है | उसके सेवाभाव में अभिभावक जैसा अधिकार और माँ जैसी ममता है | वह स्वभाव से कर्कश, कठोर और रूखी है फिर भी उसके मन में महादेवी के प्रति विशेष आदर, प्रेम और समर्पण भाव है | वह लेखिका को महान मानती है और उसका भला करने के फेर में लेखिका की रूचियाँ और आदतों में भी बदलाव कर देती है | उसका सेवा भाव अनुकरणीय है | वह महादेवी की छाया के सामान उसके साथ रहती है | महादेवी जिधर भी जिज्ञासा से देखती है भक्तिन वहीं पहुँच जाती है | भक्तिन वैसे तो डरपोक है किंतु स्वामिन के लिए वह बड़े लाट तक से लड़ने को तैयार हो जाती है | वह सचमुच समर्पित सेविका है, जिसने अपनी सद्भावना के बल पर अभिभावक पद पा लिया है |

प्रश्न 2. भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई ?

उत्तर- भक्तिन तो देहाती थी ही, पर उसके आ जाने पर महादेवी भी देहाती हो गयी थी | भक्तिन ने महादेवी को देहाती खाने की विशेषताएँ बता-बताकर उसे खाने की आदत डाल देती है | वह बताती है कि रात को बना मकई का दलिया सवेरे मट्ठे से सोंधा लगता है | बाजरे के तिल लगाकर बनाए हुए पुए बहुत अच्छे लगते हैं | ज्वार के भुने हुए भुट्टे के हरे दाने की खिचड़ी बहुत स्वादिष्ट लगती है | उसके अनुसार सफ़ेद महुए की लपसी संसार भर के हलवे को लजा सकती है | भक्तिन ने धीरे-धीरे महादेवी को देहाती भाषा और दंतकथाएँ भी सिखा दी है | और भक्तिन की अनमोल आत्मीयता ने महादेवी को उसके अनुसार ढलने पर प्रेमपूर्वक मजबूर भी कर दिया था |

प्रश्न  3. भक्तिन के बेटी के विवाह के मामले में पंचायत के फैसले पर टिप्पणी कीजिए | और यह भी बताए की ऐसे रवैये से कैसे निपटा जाए?
अथवा
भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोंपा जाना स्त्री के मानवाधिकारों को कुचलने की परम्परा का प्रतीक है | इस कथन तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए |

उत्तर- भारतीय विवाह परंपरा में लड़कियों को अपनी इच्छानुसार वर चुनने की स्वतंत्रता नहीं होती थी तथा समाज व पंचायत द्वारा उनकी इच्छा को नजअंदाज भी कर दिया जाता था | इस पाठ में भक्तिन की बड़ी बेटी के साथ भी यही होता है | पति की मृत्य के बाद जिठौत ने अपने तीतरबाज साले से मिलकर जो किया, उसे उसकी सजा मिलनी चाहिए थी | लेकिन गाँव की पंचायत ने अपीलहीन फैसला करते हुए लड़की की इच्छा के विपरीत उसका विवाह उस तीतरबाज के साथ करा दिया | विवाह के नाम पर स्त्री के मानवाधिकारों को कुचलने की परंपरा इस देश में सदियों पुरानी है | आज भी हमारे समाज में स्त्रियों की यही दशा है, जो स्त्रियों के मानवाधिकारों के विरुद्ध है | विवाह जैसा गंभीर निर्णय लेने का लड़कियों को कोई अधिकार नहीं था, जो समाज की स्त्री विरोधी एवं पुरुषवादी मानसिकता का द्योतक है और सामजिक समानता का विरोधी है | ऐसी समस्याओं को शिक्षा द्वारा तथा स्त्रियों को आत्मनिर्भर बनाने से हल किया जा सकता है |

प्रश्न 4 . भक्तिन अपना नाम क्यों छुपाती थी ? उसे यह नाम किसने और क्यों दिया?

उत्तर- भक्तिन का मूल नाम लछमिन या लक्ष्मी था, जो उसके भाग्य से बिलकुल भी मेल नहीं खाता था | इसलिए भक्तिन अपना वास्तविक नाम छुपाती थी | भक्तिन को यह नाम लेखिका महादेवी वर्मा ने दिया था क्योकि उसकी वेशभूषा में उसके गले में कंठी माला आदि थे |


प्रायः पूछे जाने वाले महत्त्वपूर्ण प्रश्न

  • लेखिका ने सेवक धर्म में भक्तिन की तुलना किससे की है और क्यों?
  • भक्तिन अपना नाम क्यों छुपाती थी? उसके नाम में क्या विरोधाभास था?
  • लेखिका ने भक्तिन को यह नाम किस आधार पर दिया था?
  • विमाता ने लक्षमिन के साथ कैसा व्यवहार किया और क्यों ?
  • ससुराल में भक्तिन को किस बात का दंड मिला ?
  • भक्तिन और उसके पति का आपसी व्यवहार किस तरह का था?
  • जिठानियों के बच्चों की तुलना काकभुशुंडी से क्यों की है?
  • पाठ में ऐसा क्यों कहा कि भक्तिन का दुर्भाग्य भी कम हठी न था ?
  • भक्तिन के आ जाने से लेखिका अधिक देहातिन कैसे हो गई थी?
  • भक्तिन लाट साहब तक से लड़ने को क्यों तत्पर थी?



प्रश्न 1.  दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उचित उत्तर दीजिए |

पिता का उस पर अगाध प्रेम होने के कारण स्वभावत: ईर्ष्यालु और संपत्ति की रक्षा में सतर्क विमाता ने उनके मरणांतक रोग का समाचार तब भेजा जब वह मृत्यु की सूचना भी बन चुका था । रोने पीटने के अपशकुन से बचने के लिए सास ने भी उसे कुछ ना बताया। बहुत दिन से नैहर नहीं गई, सो जा कर देख आवे, यही कहकर और पहना -उढ़ाकर सास ने उसे विदा कर दिया। इस अप्रत्याशित अनुग्रह ने उसके पैरों में जो पंख लगा दिए थे, वह गांव की सीमा में पहुंचते ही झड़ गए।'हाय लक्षमिन अब आई' की अस्पष्ट पुनरावृतियां और स्पष्ट सहानुभूति पूर्ण दृष्टियां उसे घर तक ठेल ले गईं। पर वहां न पिता का चिह्न शेष था, न माता के व्यवहार में शिष्टाचार का लेश था। दुख से शिथिल और अपमान से जलती हुई वह उस घर में पानी भी बिना पिए उलटे पैरों ससुराल लौट पड़ी। सास को खरी-खोटी सुनाकर उसने विमाता पर आया हुआ क्रोध शांत किया और पति के ऊपर गहने फेंक-फेंक कर उसने पिता के चिर बिछोह की मर्म व्यथा व्यक्त की।

(i) विमाता से क्या आशय है?

क-सौतेली माँ 
ख-दयालु माँ 
ग-मौसी
घ -बड़ी माँ 

उत्तर क-सौतेली माँ  ।

(ii) भक्तिन की विमाता ने भक्तिन को उसके पिता के बारे में समाचार कब भेजा?

क-भक्तिन के पिता के बीमार होने के तुरंत बाद
ख-जब भक्तिन के पिता की मृत्यु करीब थी
ग- भक्तिन के पिता के बारे में कोई संदेश नहीं भेजा
घ-भक्तिन के पिता की मृत्यु के बाद

उत्तर घ- भक्तिन के पिता की मृत्यु के बाद।

(iii) भक्तिन की सास ने भी भक्तिन को उसके पिता की मृत्यु के बारे में क्यों कुछ नहीं बताया?

क-क्योंकि भक्तिन के सास को भी कुछ नहीं पता था।
ख-क्योंकि भक्तिन की सास भक्तिन को कभी दुखी देखना नहीं चाहती थी।
ग-क्योंकि भक्तिन की सास ने रोने -पीटने के अपशकुन से बचने के लिए उसे कुछ नहीं बताया।
घ-क्योंकि भक्तिन की ससुराल वालों ने भक्तिन की सास को मना कर दिया था।

उत्तर ग - क्योंकि रोने पीटने के अपशकुन से बचने के लिए भक्तिन की सास ने कुछ नहीं बताया।

(iv) भक्तिन को देख कर 'हाय लछमिन अब आई' किसने कहा?

क-भक्तिन की विमाता ने।
ख-भक्तिन के चाचा ने।
ग-गांव के लोगों ने।
घ-भक्तिन की सहेली ने।

उत्तर ग-गांव के लोगों ने।

(v) भक्तिन  अपने नैहर से पानी भी बिना पिए उलटे पैर ससुराल को क्यों लौट पड़ी?

क-भक्तिन को ससुराल में अधिक सुख मिलता था।
ख-भक्तिन अपनी अपनी विमाता ईर्ष्या करती थी।
ग-पिता की मृत्यु से अत्यंत दुखी और विमाता के व्यवहार से अपमानित होने के कारण।
घ-क्योंकि भक्तिन की सास ने भक्तिन को नैहर में रुकने से मना किया था।

उत्तर ग-पिता की मृत्यु से अत्यंत दुखी और विमाता के व्यवहार से अपमानित होने के कारण।


प्रश्न 2.दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उचित उत्तर दीजिए |

सेवक धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है -नाम है लछमिन अर्थात लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है वैसे ही लक्ष्मी की समृद्धि भक्तिन के कपाल की कुंचित रेखाओं में नहीं बंध सकी। वैसे तो जीवन में प्रायः सभी को अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है ; पर भक्तिन बहुत समझदार है, क्योंकि वह अपना समृद्धि सूचक नाम किसी को बताती नहीं । केवल जब नौकरी की खोज में आई थी, तब ईमानदारी का परिचय देने के लिए उसने शेष इतिवृत के साथ यह भी बता दिया; पर इस प्रार्थना के साथ कि मैं कभी नाम का उपयोग न करूं ।उपनाम रखने की प्रतिभा होती तो मैं सबसे पहले उसका उपयोग अपने ऊपर करती, इस तथ्य को वह देहातिन क्या जाने , इसी से जब मैनें कंठी माला देखकर उसका नया नामकरण किया तब वह भक्तिन जैसे कवित्वहीन नाम को पाकर भी गदगद हो उठी।

i) सेवा धर्म में भक्तिन किस की तरह समर्पित भाव से सेवारत थी?

क-गणेश जी
ख-लक्ष्मण जी
ग-भरत जी
घ-हनुमान जी

उत्तर: ग-हनुमान जी

ii) भक्तिन कन्या थीं?

क-एक अज्ञात नाम वाली गोपालिका की
ख-एक बिना नाम वाली गायिका की
ग-एक अज्ञात शिक्षिका की
घ-एक परिश्रमी सेविका की

उत्तर : क-एक अज्ञात नाम वाली गोपालिका की

iii) भक्तिन का मूल नाम क्या है?

क-पुरखिन
ख-लछमिन
ग-भक्तिन
घ-मालिन

उत्तर ख-लछमिन

iv) भक्तिन कैसी है?

क-शांत
ख-हठी जिद्दी
ग-समझदार
घ-अविवेकी

उत्तर: ग-समझदार

v) जीवन में प्रायः सभी को किसके साथ जीना पड़ता है?

क-बिना कोई कार्य किए
ख-बहुत सुख पूर्वक
ग-बेपरवाह होकर
घ-अपने-अपने नाम के विरोधाभास के साथ

उत्तर: घ-अपने-अपने नाम के विरोधाभास के साथ



लघु उत्तरीय प्रश्न
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i) भक्तिन का नामकरण किसने किया और क्यों?

उत्तर : भक्तिन का नामकरण लेखिका ने उसके वेशभूषा व गले में कंठी माला को देखते हुए किया क्योंकि भक्तिन गरीब थी और लक्ष्मी नाम उसकी स्थिति के अनुरूप नहीं था इसलिए उसने लेखिका से अपने वास्तविक नाम से न बुलाने की प्रार्थना की। इसलिए लेखिका को उसका उपनाम रखना पड़।

ii) भक्तिन का पति उससे प्रेम क्यों करता था?

उत्तर: भक्तिन का पति भक्तिन से इसलिए प्रेम करता था क्योंकि भक्तिन बात की पक्की, परिश्रमी , तेजस्विनी व कर्मठ थी। जिसे वह अलग होने के बाद अपने घर गृहस्थी को विधिवत संभाल कर साबित कर दिया था।

iii) भक्तिन की सास भक्तिन के साथ भेदभाव पूर्ण बुरा व्यवहार क्यों करती थी?

उत्तर: भक्तिन की सास भक्तिन के साथ इसलिए भेदभाव पूर्ण बुरा व्यवहार करती थी क्योंकि भक्तिन ने एक के बाद एक तीन कन्याओं को जन्म दिया। जबकि उसकी सास को तीन कमाऊ बेटे थे। भक्तिन के ससुराल में परिवार में लड़कों का अधिक महत्व था । जो आज भी समाज में लड़के- लड़कियों में भेद किए जाने को दर्शाता है।

iv) भक्तिन के मन में जेल जाने वालों के प्रति क्या भाव थे?

उत्तर: भक्तिन के मन में जेल जाने वालों के प्रति सहानुभूति के व आदर के भाव थे। वह अपनी व्यथा अपने शब्दों में कि 'विद्यार्थियों को इतनी कम उम्र में जेल भेजना बहुत ही अत्याचार व अन्याय पूर्ण है और इस अन्याय से प्रलय हो जाएगा' कहकर व्यक्त करती थी।

v) भक्तिन के आ जाने से लेखिका महादेवी वर्मा अधिक देहाती कैसे हो गई?

उत्तर-भक्तिन के आ जाने से महादेवी वर्मा का खाना पहनना देहाती शैली में ढल गया । भक्तिन जो कुछ बनाती थी लेखिका को वैसा ही खाना पड़ा। रात को उसे मकई के दलिया के साथ मट्ठा पीना पड़ा। बाजरे के तिल वाले पुए खाने पड़े। ज्वार के भुने भुट्टे से बनी खिचड़ी खानी पड़ी। महुए की लपसी का आनंद लेना पड़ा। इन सब चीजों को सामान्यता देहाती लोग खाते हैं जिससे साबित होता है लेखिका महादेवी अधिक देहाती हो गई।



 पाठ के साथ 


प्रश्न 1. भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?  

उत्तर: भक्तिन का वास्तविक नाम था-लछमिन अर्थात लक्ष्मी। लक्ष्मी नाम समृद्ध व ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है, परंतु यहाँ नाम के साथ गुण नहीं मिलता। लक्ष्मी बहुत गरीब तथा समझदार है। वह जानती है कि समृद्ध का सूचक यह नाम गरीब महिला को शोभा नहीं देता। उसके नाम व भाग्य में विरोधाभास है। वह सिर्फ़ नाम की लक्ष्मी है। समाज उसके नाम को सुनकर उसका उपहास न उड़ाए इसीलिए वह अपना वास्तविक नाम लोगों से छुपाती थी। भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया। उसके गले में कंठी-माला व मुँड़े हुए सिर से वह भक्तिन ही लग रही थी। उसमें सेवा-भावना व कर्तव्यपरायणता को देखकर ही लेखिका ने उसका नाम ‘भक्तिन’ रखा।

प्रश्न 2. दो कन्या रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जेठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है? क्यों इससे आप सहमत हैं?  

उत्तर: हाँ मैं इस बात से बिलकुल सहमत हूँ। जब भक्तिन अर्थात् लछिमन ने दो पुत्रियों को जन्म दिया तो उसके ससुराल वालों ने उस पर घोर अत्याचार किए। उसकी जेठानियों ने उस पर बहुत जुल्म ढाए। इसी कारण उसकी बेटियों को दिन भर काम करना पड़ता था। इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। उसकी जेठानियों ने तो जमीन हथियाने के लिए लछमिन की विधवा बेटी से अपने भाई का विवाह करने की योजना बनाई, जब यह योजना नहीं सफल हुई तो लछमिन पर अत्याचार बढ़ते गए।

प्रश्न 3. भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे?
 
उत्तर: भक्तिन की विधवा बेटी के साथ उसके ताऊ के लड़के के साले ने जबरदस्ती करने की कोशिश की। लड़की ने उसकी खूब पिटाई की, परंतु पंचायत ने अपीलहीन फ़ैसले में उसे तीतरबाज युवक के साथ रहने का फ़ैसला सुनाया। यह सरासर स्त्री के मानवाधिकारों का हनन है। भारत में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहाँ शादी करने का निर्णय सिर्फ़ पुरुष के हाथ में होता है। महाभारत में द्रौपदी को उसकी इच्छा के विरुद्ध पाँच पतियों की पत्नी बनना पड़ा। मीरा की शादी बचपन में ही कर दी गई तथा लक्ष्मीबाई की शादी अधेड़ उम्र के राजा के साथ कर दी गई। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहाँ अयोग्य लड़के के साथ गुणवती कन्या का विवाह किया गया तथा लड़की की जिंदगी नरक बना दी गई।

प्रश्न 4. भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?

उत्तर: जब भक्तिन लेखिका के घर काम करने आई तो वह सीधी-सादी, भोली-भाली लगती थी लेकिन ज्यों-ज्यों लेखिका के साथ उसका संबंध और संपर्क बढ़ता गया त्यों-त्यों वह उसके बारे में जानती गई। लेखिका को उसकी बुराइयों के बारे में पता चलता गया। इसी कारण लेखिका को यह लगा कि भक्तिन अच्छी नहीं है। उसमें कई दुर्गुण हैं अतः उसे अच्छी कहना और समझना लेखिका के लिए कठिन है।

प्रश्न 5.भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?

उत्तर: भक्तिन की यह विशेषता है कि वह हर बात को, चाहे वह शास्त्र की ही क्यों न हो, अपनी सुविधा के अनुसार ढाल लेती है। वह सिर घुटाए रखती थी, लेखिका को यह अच्छा नहीं लगता था। जब उसने भक्तिन को ऐसा करने से रोका तो उसने अपनी बात को ऊपर रखा तथा कहा कि शास्त्र में यही लिखा है। जब लेखिका ने पूछा कि क्या लिखा है? उसने तुरंत उत्तर दिया-तीरथ गए मुँड़ाए सिद्ध। यह बात किस शास्त्र में लिखी गई है, इसका ज्ञान भक्तिन को नहीं था। जबकि लेखिका जानती थी कि यह कथन किसी व्यक्ति का है, न कि शास्त्र का। अत: वह भक्तिन को सिर घुटाने से नहीं रोक सकी तथा हर बृहस्पतिवार को उसका मुंडन होता रहा।

प्रश्न 6. भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई?

उत्तर: भक्तिन के आ जाने से महादेवी ने लगभग उन सभी संस्कारों को, क्रियाकलापों को अपना लिया जो देहातों में अपनाए जाते हैं। देहाती की हर वस्तु, घटना और वातावरण का प्रभाव महादेवी पर पड़ने लगा। वह भक्तिन से सब कुछ जान लेती थी ताकि किसी बात की जानकारी अधूरी न रह जाए। धोती साफ़ करना, सामान बांधना आदि बातें भक्तिन ने ही सिखाई थी। वैसे देहाती भाषा भी भक्तिन के आने के बाद ही महादेवी बोलने लगी। इन्हीं कारणों से महादेवी देहाती हो गई।



पाठ के आसपास


प्रश्न 1. ‘आलो आँधारि’ की नायिका और लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?

उत्तर: ‘आलो आँधारि’ की नायिका एक घरेलू नौकरानी है। भक्तिन भी लेखिका के घर में नौकरी करती है। दोनों में यही समानता है। दूसरे, दोनों ही घर में पीड़ित हैं। परिवार वालों ने उन्हें पूर्णत: उपेक्षित कर दिया था। दोनों ने आत्मसम्मान को बचाते हुए जीवन-निर्वाह किया।भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं हैं। अखबारों या टी०वी० समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रस7 के साथ रखकर उस पर चचा करें। भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फ़ैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। अब भी पंचायतों का तानाशाही रवैया बरकरार है। अखबारों या टी०वी० पर अकसर समाचार सुनने को मिलते हैं कि प्रेम विवाह को पंचायतें अवैध करार देती हैं तथा पति-पत्नी को भाई-बहिन की तरह रहने के लिए विवश करती हैं। वे उन्हें सजा भी देती हैं। कई बार तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है। यह मध्ययुगीन बर्बरता आज भी विद्यमान है। पाँच वर्ष की वय में ब्याही जाने वाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं हैं, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं।

प्रश्न 2. भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है। अखबारों या टी०वी० समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।

उत्तर: पिछले दिनों अखबारों में पढ़ा और टी०वी० पर देखा कि राजस्थान के एक गाँव में केवल दो साल की बच्ची के साथ एक 20 वर्षीय युवक ने बलात्कार किया। आरोपी को बाद में लोगों ने पकड़ भी लिया। पंचायत हुई। इस पंचायत में फैसला सुनाया गया कि आरोपी को दस जूते लगाए जाएँ। दस जूते लगाकर उसे छोड़ दिया गया। यह निर्णय हैरतअंगेज़ करने वाला था क्योंकि पंच लोग केवल दबंग लोगों का साथ देते हैं। चाहे वे कितना ही गलत कार्य क्यों न करें।

प्रश्न 3.पाँच वर्ष की वय में ब्याही जानेवाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं। बाल-विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें।

उत्तर: हमारे देश में नारी पर आज भी अत्याचार हो रहे हैं। अनपढ़ जनता पुरानी लीक पर चल रही है। पाँच वर्ष तो क्या दुधमुँही बच्ची की शादी की जा रही है। पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के देहातों में एक महीने की बच्चियों का विवाह (गौना) किया जा रहा है। आए दिन अखबारों में पढ़ते हैं कि दो दिन की बच्ची की शादी कर दी। कई बार तो दस वर्ष की बच्ची की शादी तीस वर्ष के युवक के साथ कर दी जाती है।

प्रश्न 4. महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई-पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूँढ़कर पढ़े। जो ‘मेरा परिवार’ नाम से प्रकाशित है।

उत्तर: यह बात बिलकुल सत्य है कि महादेवी जी पशु-पक्षी के प्रति अधिक संवेदनशील थीं। उन्होंने कई प्रकार के पशु पक्षी पाल रखे थे। महादेवीजी ने अपने घर में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि के अतिरिक्त लक्का कबूतर, चित्रा बिल्ली, नीलकंठ मोर, कजली कुतिया, गिल्लू कौवा, दुर्मुख खरगोश, गौरा गऊ, रोजी कुतिया, निक्की नेवला और रानी घोड़ी आदि पशु पक्षी पाल रखे थे।



 भाषा की बात 


प्रश्न 1. नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा-प्रयोगों के उदाहरणों को ध्यान से पढ़िए और इनकी अर्थ-छवि स्पष्ट कीजिए-

(क) पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले

उत्तर: किसी पूर्व-प्रकाशित पुस्तक को पुन: प्रकाशित करना उसका नया संस्करण कहलाता है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता। भक्तिन ने एक कन्या के बाद पुन: दो और कन्याएँ पैदा कीं। ‘संस्करण’ से तात्पर्य यह है कि उसने एक लिंग की संतान को जन्म दिया।

(ख) खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी

उत्तर: टकसाल सिक्के ठालने वाली मशीन को कहते हैं। भारतीय समाज में ‘लड़के’ को खरा सिक्का तथा लड़कियों को ‘खोटा सिक्का’ कहा जाता है। समाज में लड़कियों का कोई महत्व नहीं होता। भक्तिन को खोटे सिक्कों की टकसाल की संज्ञा दी गई है क्योंकि उसने एक के बाद एक तीन लड़कियाँ उत्पन्न कीं, जबकि समाज पुत्र जन्म देने वाली स्त्रियों को महत्व देता है।

(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण

उत्तर: भक्तिन अपने पिता की मृत्यु के कई दिन बाद पहुँची। उसे सिर्फ़ पिता की बीमारी के बारे में बताया गया था। जब वह अपने मायके के गाँव की सीमा में पहुँची तो लोग कानाफूसी करते हुए पाए गए कि बेचारी लछमिन अब आई है। आमतौर पर शोक की खबर प्रत्यक्ष तौर पर नहीं कही जाती। कानाफूसी के जरिए अस्पष्ट शब्दों में एक ही बात बार-बार कही जाती है। इन्हें लेखिका ने अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ कहा है। पिता की मृत्यु हो जाने पर लोग उसे सहानुभूतिपूर्ण दृष्टि से देख रहे थे तथा ढाँढ़स बँधा रहे थे। ये बातें स्पष्ट तौर पर की जा रही थीं, अत: उन्हें स्पष्ट सहानुभूति कहा गया है।

प्रश्न 2. ‘बहनोई’-शब्द ‘बहन (स्त्री) + ओई’ से बना है। 

इस शब्द में हिंदी भाषा की एक अनन्य विशेषता प्रकट हुई है। पुल्लिंग शब्दों में कुछ स्त्री-प्रत्यय जोड़ने से स्त्रीलिंग शब्द बनने की एक समान प्रक्रिया कई भाषाओं में दिखती है, परे स्त्रीलिंग शब्द में कुछ पुं. प्रत्यय जोड़कर पुल्लिंग शब्द बनाने की घटना प्रायः अन्य भाषाओं में दिखलाई नहीं पड़ती। 

यहाँ पुं. प्रत्यय ‘ओई’ हिंदी की अपनी विशेषता है। ऐसे कुछ और शब्द और उनमें लगे पुं. प्रत्ययों की हिंदी तथा और भाषाओं की खोज करें।

उत्तर:
ननद + आई = ननदोई।

प्रश्न 3. पाठ में आए लोकभाषा के इन संवादों को समझकर इन्हें खड़ी बोली हिंदी में ढालकर प्रस्तुत कीजिए।

लोकभाषा- ई कउन बड़ी बात आय। रोटी बनाय जानित है, दाल रांध लेइत है, साग-भाजी बँउक सकित है, अउर बाकी का रहा।
खड़ी बोली हिंदी- यह कौन-सी बड़ी बात है। रोटी बनाना जानती हूँ, दाल बना लेती हूँ, साग-भाजी छौंक सकती हूँ, और शेष क्या रहा।

लोकभाषा-  हमारे मलकिन तौ रात-दिन कितबियन माँ गड़ी रहती हैं। अब हमहूँ पढ़ लागब तो घर-गिरिस्ती कउन देखी-सुनी।
खड़ी बोली हिंदी-  हमारी मालकिन तो रात-दिन किताबों में डूबी रहती हैं। अब हम भी पढ़ने लगे तो घर-गृहस्थी कौन देखेगा-सुनेगा।

लोकभाषा-  ऊ बिचरिअउ तौ रात-दिन काम माँ झुकी रहती हैं, अउर तुम पचै घूमती-फिरती हौ चलौ तनिक हाथ बटाय लेउ।
खड़ी बोली हिंदी-  वह बेचारी तो रात-दिन काम में लगी रहती हैं और तुम लोग घूमती-फिरती हो। चलो, तनिक हाथ बँटा लो।

लोकभाषा-  तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।
खड़ी बोली हिंदी-  तब वह कुछ करता-धरता नहीं होगा, बस गली-गली में गाता-बजाता फिरता होगा।

लोकभाषा-  तुम पचै का का बताई-यहै पचास बरिस से संग रहित है।
खड़ी बोली हिंदी-  तुम्हें हम क्या-क्या बताएँ-यही पचास वर्ष से साथ रहती हूँ।

लोकभाषा-  हम कुकुरी बिलारी न होयँ, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहिं त तुम्हार पचै की छाती पै होरहा पूँजब और राज करब, समुझे रहो।

खड़ी बोली हिंदी-  हम कुतिया-बिल्ली नहीं हैं। हमारा मन चाहेगा तो हम दूसरे के यहाँ (पत्नी बनकर) जाएँगे नहीं तो तुम्हारी छाती पर ही होरहा भूलूँगी और राज करूंगी-यह समझ लेना।


प्रश्न 4. भक्तिन पाठ में पहली कन्या के दो संस्करण जैसे प्रयोग लेखिका के खास भाषाई संस्कार की पहचान कराता है, साथ ही वे प्रयोग कथ्य को संप्रेषणीय बनाने में भी मददगार हैं। 

वर्तमान हिंदी में भी कुछ अन्य प्रकार की शब्दावली समाहित हुई है। नीचे कुछ वाक्य दिए जा रहे हैं जिससे वक्ता की खास पसंद का पता चलता है। 

आप वाक्य पढ़कर बताएँ कि इनमें किन तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ, है? इन शब्दावलियों या इनके अतिरिक्त अन्य किन्हीं विशेष शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए आप भी कुछ वाक्य बनाएँ और कक्षा में चर्चा करें कि ऐसे प्रयोग भाषा की समृद्धि में कहाँ तक सहायक हैं?

– अरे ! उससे सावधान रहना! वह नीचे से ऊपर तक वायरस से भरा हुआ है। जिस सिस्टम में जाता है उसे हैंग कर देता है।

– घबरा मत ! मेरी इनस्वींगर के सामने उसके सारे वायरस घुटने टेकेंगे। अगर ज्यादा फ़ाउल मारा तो रेड कार्ड दिखा के हमेशा के लिए पवेलियन भेज दूंगा।

– जॉनी टेंसन नयी लेने का वो जिस स्कूल में पढ़ता है अपुन उसका हैडमास्टर है।

उत्तर: इस प्रकार की शब्दावलियों का प्रयोग पिछले कुछ समय से बढ़ गया है। यह टपोरी शब्दावली है। वास्तव में यह हिंग्लिश शब्दावली के नाम से जानी जाती है। 

  • पहले वाक्य में कंप्यूटर शब्दावली का प्रयोग हुआ। 
  • दूसरे वाक्य में खेलात्मक शब्दावली का प्रयोग किया है। 
  • अंतिम वाक्य में मुंबईया शब्दावली का प्रयोग हुआ है। 


इन प्रयोगों से भाषा का मूल स्वरूप बिगड़ जाता है। ऐसी शब्दावली भाषा को समृद्धि नहीं बल्कि कंगाली देती है अर्थात् भाषा की अपनी सार्थकता खत्म हो जाती है। 
कुछ और उदाहरणों को देखें-

  • तुम अपन को जानताई छ नहीं है।
  • तेरा रामू के साथ टांका भिड्रेला है भेडू।
  • जो तुम कहते हो वह कंप्यूटर की तरह मेरे दिमाग में फीड हो जाता है।
  • इस बार दलजीत ने कुछ कहा तो उसे स्टेडियम की फुटबाल की तरह बाहर भेज दूंगा।
  • तेरे नखरे भी शेयर बाजार जैसे चढ़ते जा रहे हैं।



अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. भक्तिन की शारीरिक बनावट कैसी थी?

उत्तर: भक्तिन का कद छोटा था। उसका शरीर दुबला-पतला था। वह गरीब लगती थी। उसके होंठ पतले थे एवं आँखें छोटी थीं। इन सारी बातों से पता चलता है कि उसकी शारीरिक बनावट कुल मिलाकर 50 वर्षीया स्त्री की थी लेकिन वह बूढ़ी नहीं लगती थी।

प्रश्न 2. महादेवी जी ने भक्तिन के बारे में क्या लिखा है?

उत्तर: महादेवी वर्मा भक्तिन के बारे में लिखती हैं-सेवक धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है। नाम है लछमिन अर्थात् लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृधि भक्ति के कपाल की कैंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी।

प्रश्न 3. भक्तिन की कितनी संतानें थीं? उनका जीवन कैसा था?

उत्तर: भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया। इन तीनों बेटियों के कारण भक्तिने को जीवन भर दुख उठाने पड़े। सास और जेठानियाँ सभी उसे तंग करती रहती। उनकी बेटी को हर वक्त काम में लगाएं रखती। कोई भी नहीं चाहता था कि भक्तिन की बेटियाँ सुखी रहें।

प्रश्न 4. भक्तिन दुर्भाग्यशाली क्यों थी?

उत्तर: भक्तिन का पति उस समय मरा जब वह केवल 36 वर्ष की थी। वह तीन बेटियों को जन्म देकर चला गया। इस कारण भक्तिन को बहु कष्ट उठाने पड़े। भक्तिन की बेटी विवाह के कुछ वर्ष बाद विधवा हो गई। उसके जेठ जेठानियाँ सभी उसकी संपत्ति हड़पने की योजना बनाने लगे।

प्रश्न 5. भक्तिन का स्वभाव कैसा था?

उत्तर: यद्यपि भक्तिन मेहनती स्त्री थी लेकिन उसमें चोरी करने की आदत थी। जब वह महादेवी वर्मा के घर का कार्य करने आई तो वह घर में रखे खुले पैसे रुपये उठा लेती। उसने कभी सच नहीं बोला। वास्तव में उसमें कई दुर्गुण थे।


प्रश्न 6. पाठ के आधार पर भक्तिन की तीन विशेषताएँ बताइए। 

उत्तर: भक्तिन की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
जुझारू – भक्तिन जुझारू महिला थी। उसने कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना किया। शादी के बाद ससुराल में मेहनत से खेतीबाड़ी की। पति की मृत्यु के बाद बेटियों की शादी की। समाज के भेदभावपूर्ण व्यवहार का कड़ा विरोध किया।
भाग्य से पीड़ित – भक्तिन मेहनती थी, परंतु भाग्य उसके सदैव विपरीत रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता का देश उसे हमेशा झालता रहा। ससुराल में तीन पुत्रियों का जन्म देने के कारण उपेक्षा मिली। पति की अकाल मृत्यु हुई। फिर दामाद की मृत्यु व परिवार के षड्यंत्र ने उसे तोड़कर रख दिया।
सेवाभाव – भक्तिन महादेवी की सेविका थी। वह छाया के समान हर समय महादेवी के साथ रहती थी। महादेवी के कार्य को खुशी से करती थी।

प्रश्न 7. भक्तिन व लेखिका के बीच कैसा संबंध था।
अथवा
‘महादेवी वर्मा और भक्तिन के संबंधों की तीन विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: भक्तिन व लेखिका के बीच नौकरानी या स्वामिनी का संबंध नहीं था। वे आत्मीय जन की तरह थे। स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती थी भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलो वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। जिस प्रकार वे भी एक अस्तित्व रखते है जो सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के लिए लेखिका के जीवन को घेरे है।


प्रश्न 8. ‘भक्तिन’ अनेक अवगुणों के होते हुए भी महादेवी जी के लिए अनमोल क्यों थी?

उत्तर: भक्तिन उनके अवगुणों के होते हुए भी महादेवी के लिए अनमोल थी क्योंकि-

  • वह लेखिका के हर कष्ट को लेने को तैयार थी।
  • वह लेखिका की सेवा करती थी।
  • लेखिका के पास पैसे की कमी की बात सुनकर वह जीवन भर की अपनी कमाई उसे देना चाहती थी।


प्रश्न 9. ‘भक्तिन’ और ‘महादेवी’ के नामों में क्या विरोधाभास था?

उत्तर: ‘भक्तिन’ का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपना नाम छिपाती थी क्योंकि उसे कभी समृद्ध नहीं मिली। उसके भक्ति भाव को देखकर लेखिका ने उसे ‘भक्तिन’ कहना शुरू कर दिया। लेखिका को अपना नाम महादेवी था। वह किसी भी दृष्टि से देवी के समकक्ष नहीं थी। दोनों के नामों व उसके गुणों में कोई तारतम्य नहीं था।

प्रश्न 10. भक्तिन का अतीत परिवार और समाज की किन समस्याओं से जूझते हुए बीता है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। 

उत्तर: भक्तिन का जीवन सदैव परेशानी भरा रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता ने उससे भेदभाव किया। विवाह के बाद उसकी तीन लड़कियाँ हुईं जिसके कारण सास व जेठानियों ने उसके व लड़कियों के साथ भेदभाव किया। 36 वर्ष की आयु में पति की मृत्यु हो गई। ससुराल वालों ने संपत्ति हड़पने के तमाम प्रयास किए, परंतु उसने बेटियों की शादी की। एक घरजमाई बनाया, परंतु दुर्भाग्य से वह शीघ्र मृत्यु को प्राप्त हो गया। इसके बाद ससुराल वालों ने मिलकर उसकी विधवा पुत्री का बलात्कार कराने की कोशिश की। पंचायत ने बलात्कारी के साथ ही लड़की का विवाह जबरन कर दिया। इसके बाद भक्तिन की संपत्ति का विनाश हो गया | 

प्रश्न 11. भक्तिन की बेटी के मानवाधिकारों का हनन पंचायत ने किस प्रकार किया? स्पष्ट कीजिए।
 
उत्तर: भक्तिन ने घरजमाई रखा। वह अकालमृत्यु को प्राप्त हो गया। उसके जेठ के परिवार वाले संपत्ति हड़पना चाहते थे. परंतु सारी जायदाद लड़की के नाम थी, लड़की के ताऊ के लड़के के तीतरबाज़ साले ने उससे जबरदस्ती करने की कोशिश की। लक्ष्मी ने उसकी खूब पिटाई की। जेठ ने पंचायत में अपील की। वहाँ भी भ्रष्टतंत्र था। उन्होंने लड़की की न सुनकर अपीलहीन फैसले में उसे तीतरबाज युवक के साथ रहने का फैसला सुनाया। यह मानवाधिकारों का हनन था। दोषी को सजा न देकर उसे इनाम मिला।

प्रश्न 12. भक्तिन नाम किसने और क्यों दिया? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर: भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया। भक्तिन का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपने नाम को छिपाना चाहती थी क्योंकि उसके पास धन नहीं था। लेखिका ने उसके गले में कंठीमाला देखकर यह नामकरण कर दिया। वह इस कवित्वहीन नाम को पाकर गदगद हो उठी थी।

प्रश्न 13. ‘भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी’, पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए। 

उत्तर: यह कथन सही है कि भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी। उसके पास हर बात का सटीक उत्तर तैयार रहता था। लेखिका ने जब उसको सिर घुटाने से रोका तो उसका उत्तर था – तीरथ गए मुंडाए सिद्ध’ इसी तरह उसके बनाए खाने पर कटाक्ष करने पर उसने उत्तर दिया – वह कुछ अनाड़िन या फूहड़ नहीं। ससुर, पितिया ससुर, अजिया सास आदि ने उसकी पाक कुशलता के लिए न जाने कितने मौखिक प्रमाणपत्र दे डाले थे।


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1. भक्तिन पाठ के आधार पर पंचायतों की क्या तस्वीर उभरती है?

 A. पंचायतें गूंगी, लाचार और अयोग्य हैं
 B. वे सही न्याय नहीं कर पातीं
 C. वे दूध का दूध और पानी का पानी करती हैं
 D. वे अपने स्वार्थों को पूरा करती हैं
उत्तर:  A. पंचायतें गूंगी, लाचार और अयोग्य हैं

2. भक्तिन किस प्रकार का भोजन बनाती थी?

 A. तीखा और मसालेदार
 B. तीखा और मीठा
 C. सीधा-सरल भोजन
 D. स्वादिष्ट और गरिष्ठ
उत्तर:  C. सीधा-सरल भोजन


3. भक्तिन में कौन-सा भाव प्रबल था?

 A. वीरता का भाव
 B. स्वाभिमान का भाव
 C. घृणा का भाव
 D. ईर्ष्या का भाव
उत्तर:  B. स्वाभिमान का भाव

4. खोटे सिक्कों की टकसाल का अर्थ क्या है?

 A. निकम्मे काम करने वाली पत्नी
 B. बेकार पत्नी
 C. जिस टकसाल से खोटे सिक्के निकलते हैं
 D. कन्याओं को जन्म देने वाली पत्नी

उत्तर:  D. कन्याओं को जन्म देने वाली पत्नी


5. महादेवी ने लछमिन को भक्तिन कहना क्यों आरंभ कर दिया?

 A. उसके व्यवहार को देखकर
 B. उसके वैराग्यपूर्ण जीवन को देखकर
 C. उसके गले में कंठी माला देखकर
 D. उसकी शांत मुद्रा को देखकर
उत्तर:  C. उसके गले में कंठी माला देखकर


6. भक्तिन किसके लिए लड़ाई लड़ती रही?

 A. अपने अस्तित्व के लिए
 B. अपने पति के जीवन के लिए
 C. महादेवी के लिए
 D. अपनी बेटियों के हक के लिए
उत्तर:  D. अपनी बेटियों के हक के लिए

7. 'भक्तिन' पाठ की रचयिता हैं

 A. जैनेंद्र कुमार
 B. महादेवी वर्मा
 C. सुभद्रा कुमारी चौहान
 D. रांगेय राघव
उत्तर:  B. महादेवी वर्मा

8. भक्तिन महादेवी से कितने वर्ष बड़ी थी?

 A. पंद्रह वर्ष
 B. पच्चीस वर्ष
 C. तीस वर्ष
 D. बीस वर्ष
उत्तर:  B. पच्चीस वर्ष

9. भक्तिन किसके समान अपनी मालकिन के साथ लगी रहती थी?

 A. छाया के समान
 B. धूप के समान
 C. वायु के समान
 D. पालतु पशु के समान
उत्तर:  A. छाया के समान

10. भक्तिन का शूरवीर पिता किस गाँव का रहने वाला था?

 A. मूंसी
 B. लूसी
 C. झूँसी
 D. हँडिया
उत्तर:  C. झूँसी

11. भक्तिन का वास्तविक नाम क्या था?

 A. भक्तिन
 B. लछमिन (लक्ष्मी)
 C. दासिन
 D. पार्वती
उत्तर:  B. लछमिन (लक्ष्मी)

12. भक्तिन का विवाह किस गाँव में हुआ?

 A. हँडिया
 B. कँडिया
 C. पँडिया
 D. मँडिया
उत्तर:  A. हँडिया
 
13. भक्तिन का गौना किस आयु में हुआ?

 A. नौ वर्ष
 B. बारह वर्ष
 C. तेरह वर्ष
 D. दस वर्ष
उत्तर:  A. नौ वर्ष
 
14. भक्तिन की कितनी जिठानियाँ थीं?

 A. तीन
 B. चार
 C. दो
 D. पाँच
उत्तर:  C. दो

15. भक्तिन का विवाह किस आयु में हुआ?

 A. सात वर्ष
 B. चार वर्ष
 C. आठ वर्ष
 D. पाँच वर्ष
उत्तर:  D. पाँच वर्ष

16. महादेवी ने भक्तिन के जीवन को कितने परिच्छेदों में विभक्त किया है?

 A. तीन
 B. चार
 C. सात
 D. पाँच
उत्तर:  B. चार

17. भक्तिन का नामकरण किसने किया?

 A. सास ने
 B. पति ने
 C. जिठानियों ने
 D. महादेवी ने
उत्तर:  D. महादेवी ने

18. ससुराल में भक्तिन के साथ अच्छा बर्ताव किसने किया?

 A. जिठानियों ने
 B. पति ने
 C. सास ने
 D. ससुर ने
उत्तर:  B. पति ने

19. सास और जिठानियाँ भक्तिन के साथ कैसा व्यवहार करती थीं?

 A. क्रूरतापूर्ण
 B. स्नेहपूर्ण
 C. दयापूर्ण
 D. प्रेमपूर्ण
उत्तर:  A. क्रूरतापूर्ण

20. भक्तिन के ससुराल वालों ने उसके पति की मृत्यु पर उसे पुनर्विवाह के लिए क्यों कहा?

 A. ताकि भक्तिन सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सके
 B. ताकि वे भक्तिन की घर-संपत्ति को हथिया सकें
 C. ताकि वे भक्तिन से छुटकारा पा सकें
 D. ताकि वे भक्तिन को पुनः समाज में सम्मान दे सकें
उत्तर:  B. ताकि वे भक्तिन की घर-संपत्ति को हथिया सकें

 
21. हमारा समाज विधवा के साथ कैसा व्यवहार करता है?

 A. स्नेहपूर्ण
 B. असम्मानपूर्ण
 C. सहानुभूतिपूर्ण
 D. सम्मानपूर्ण
उत्तर:  B. असम्मानपूर्ण


जय हिन्द : जय हिंदी 
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