sita ki khoj class 6 | सीता की खोज

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सीता की खोज
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शब्दार्थ



  • विलीन होना- गायब होना। 
  • विक्षिप्त- पागल। 
  • परिहास- हंसी मजाक। 
  • विधान- नियम। 
  • तृप्त- जिसकी इच्छा पूरी हो गई हो।

  • आशंकाएँ – भय, डर।
  • पगडंडी – कच्चे स्थानों या घास पर पैदल चलने से बना रास्ता। 
  • कटुवचन – कड़वी बातें। 
  • कटाक्ष – व्यंग्य, ताना। 
  • उलाहना – शिकायत। 
  • उल्लंघन – आदेश न मानना। 
  • ठिकाना – स्थान। 
  • संदेह – शक।
  • उपस्थित – हाज़िर होना। 
  • अनुपस्थित – गैरहाजिर। 
  • विलीन – खो जाना। 
  • असहनीय – जो सहा न जा सके। 
  • शोकसंतप्त – दुख में डूबा हुआ। 
  • आघात – धक्का। 
  • विरह – बिछुड़ना। 
  • मौन – चुप। 
  • परिहास – मजाक। 
  • निकट – पास। 
  • धैर्य – हिम्मत। 
  • प्रतीक्षा – इंतज़ार।
  • ढाढ़स – हिम्मत। 
  • मृग – हिरण। 
  • संकेत – इशारा। 
  • मृत – मरे। 
  • प्रयोजन – मतलब। 
  • असमंजस – दुविधा। 
  • संघर्ष – टक्कर। 
  • पुष्पमाला – फूलों की माला। 
  • बेणी – चोटी। त्यागना – छोड़ना। 
  • लहूलुहान – खून से लथपथ। 
  • अंतिम साँसें गिनना – मरने की हालत में होना। 
  • विधान – नियम, रीति।
  • तत्परता – चुस्ती। 
  • आक्रमण – हमला। 
  • स्पष्ट – साफ। 
  • आग्रह – हठ । 
  • सहमति – रजामंदी। 
  • मदद – सहायता। 
  • पर्वत – पहाड़।
  • जर्जर – कमज़ोर। 
  • काया – शरीर। 
  • तृप्त – संतुष्ट। 
  • विलक्षण – अद्भुत।


Bal Ram Katha Class 6 Chapter 8 Summary
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सारांश 

राम के मन में कई तरह की शंकाएँ थीं, कई तरह के प्रश्न थे। राम को अनिष्ट की आशंकाएँ थीं। उन्होंने सोचा कि सीता अकेली रहीं तो राक्षस उन्हें मार डालेंगे। मन में अनेक भय लिए वे आगे बढ़ रहे थे तभी उनकी नज़र लक्ष्मण पर पड़ी। लक्ष्मण को देखते ही राम की शंका और बढ़ गई। लक्ष्मण ने उन्हें बताया कि देवी सीता के कटु वचनों ने मुझे यहाँ आने के लिए बाध्य किया। राम ने लक्ष्मण से कहा कि “तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन करके अच्छा नहीं किया। मेरा मन काफ़ी चिंतित है पता नहीं सीता किस हाल में होगी।” कुटिया अभी दूर थी। राम ने वहीं से पुकारा-‘सीते तुम कहाँ हो?’ पर कोई जवाब नहीं आया। राम सीता को पुकारते रहे पर आवाज़ पेड़ों से टकराकर हवा में विलीन हो जाती थी। राम भागते हुए आश्रम पहुँचे। कुटिया में जाकर देखा। सीता का कहीं पता नहीं था। वे अपना सुध-बुध भुला बैठे। राम रोने लगे। सीता से बिछुड़ना उनके लिए असहनीय था। राम की स्थिति विक्षिप्त जैसे हो गई थी।

विरह में राम गोदावरी नदी के पास गए। उन्होंने नदी, पेड़-पौधे, हाथी, शेर, फूल, चट्टान पत्थरों से भी सीता के बारे में पूछा। वे अपनी सुध-बुध खो बैठे थे। राम का दुख लक्ष्मण से देखा नहीं जा रहा था। विलाप करते हुए राम ने लक्ष्मण से कहा- “मैं सीता के बिना नहीं रह सकता।” राम कह रहे थे-“लक्ष्मण तुम अयोध्या लौट जाओ। मैं वहाँ नहीं जाऊँगा। यहीं प्राण दे दूंगा।”

लक्ष्मण ने राम को समझाते हुए कहा कि “आप आदर्श पुरुष हैं। आपको धैर्य रखना चाहिए। हम लोग मिलकर सीता की खोज करेंगे।” राम शांत हो गए। इसी बीच आश्रम के आस-पास भटकने वाला हिरणों का झुंड राम-लक्ष्मण के निकट आ गया। राम ने हिरणों से सीता के बारे में पूछा। हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण की ओर भाग गए। राम ने संकेत समझ लिया। उन्होंने लक्ष्मण से कहा-हमें सीता की खोज दक्षिण दिशा में करनी चाहिए। उन्होंने वन में भटकते हुए टूटे रथ के टुकड़े देखे। इसके अलावा मरा सारथी और मृत घोड़े भी देखे। लक्ष्मण समझ गए कि यहाँ थोड़ी देर पहले ही संघर्ष हुआ है। सीता की वेणी में गुंथी पुष्पमाला को वहाँ पड़े देखा। वहाँ से थोड़ी ही दूरी पर राम ने पक्षीराज जटायु को देखा। जटायु के पंख कटे हुए थे। वह अंतिम साँस गिन रहा था। उसी ने राम को बताया, “रावण सीता को उठा ले गया है। मेरे पंख उसी ने काटे हैं। मैंने रावण से युद्ध किया और लड़ते-लड़ते उसका रथ तोड़ डाला था। मैं सीता को बचा नहीं सका। रावण सीता को लेकर दक्षिण की ओर गया है। इतना कहकर जटायु ने प्राण त्याग दिए।” वहीं राम और लक्ष्मण ने उसका अंतिम संस्कार किया।

राम-लक्ष्मण सीता की तलाश में दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ने लगे। मार्ग में अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए दोनों भाई आगे बढ़ते गए। आगे का मार्ग काफ़ी कठिन था। उन्हें बार-बार राक्षसों के आक्रमण का सामना करना पड़ता था। एक दिन रास्ते में कबंध नामक राक्षस ने उन लोगों पर आक्रमण किया। वह बहुत ही खतरनाक था। उसने दोनों भाइयों को उठाकर हवा में उड़ा लिया। राम-लक्ष्मण ने तलवार निकाल कर एक झटके में ही उसके हाथ काट डाले। कबंध उनकी शक्ति देखकर हैरान रह गया। उसने उनका परिचय पूछा। राम के बारे में उसने सुन रखा था। अब उन्हें सामने देखकर प्रसन्न हो गया। वह बोला-मैं सीता के संबंध में तो कुछ नहीं जानता लेकिन तुम लोगों की सहायता का उपाय ज़रूर बता सकता हूँ लेकिन मेरा एक निवेदन है कि मेरा अंतिम संस्कार राम करें। राम ने उसका निवेदन स्वीकार कर लिया। तब कबंध ने उन्हें बताया कि-पंपा सरोवर के समीप ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव रहते हैं। आप उन्हीं के पास जाएँ। वे अपने वानरी सेना के साथ सीता को अवश्य खोज निकालेंगे। ‘इतना कहते हुए उसने राम-लक्ष्मण को अपने समीप बुलाया और कहा पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि का आश्रम है। वहीं उनकी शिष्या शबरी रहती है। आप शबरी से भी अवश्य मिलना। कबंध की बातों से राम में सीता तक पहुँचने की आशा बलबती हो गई। इतना कहने के बाद कबंध के प्राण निकल गए। राम उसका अंतिम संस्कार कर सरोवर की ओर चल पड़े।

वहाँ से वे लोग शबरी की कुटिया में गए। उसकी आयु बहुत थी। वह हर पलं राम की प्रतीक्षा में अपनी आँखें खुली रखती थी। राम को आश्रम में देखकर शबरी बहुत खुश हुई। उसने राम का स्वागत किया। उसने भी सुग्रीव से मित्रता करने को कहा। खाने को मीठे फल व रहने को जगह दी। शबरी ने राम को विश्वास दिलाया कि सुग्रीव सीता की खोज में उनकी अवश्य मदद करेंगे। वे सीता को अवश्य ढूँढ निकालेंगे। उनके पास विलक्षण शक्ति वाले वानर हैं। अगले दिन वे ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव से मिलने गए।


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प्रश्न 1. सुग्रीव किस पर्वत पर निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे थे?
उत्तर- ऋष्यमूक पर्वत पर।

प्रश्न 2. पंपा सरोवर के पास किसका आश्रम था?
उत्तर- मतंग ऋषि का आश्रम।

प्रश्न 3. मतंग ऋषि की शिष्या का क्या नाम था?
उत्तर- शबरी।

प्रश्न 4. शबरी ने राम लक्ष्मण को खाने के लिए क्या दिया?
उत्तर- मीठे बेर।

प्रश्न 5. कुटिया की ओर भागे चले आ रहे राम के मन में कौन-सी आशंकाएँ थीं?
उत्तर: राम के मन में मारीच की माया और सीता की सुरक्षा को लेकर अनेक आशंकाएँ थीं।

प्रश्न 6. लक्ष्मण को कुटी छोड़कर अपने तरफ आते देख राम क्रोधित क्यों हुए?
उत्तर: लक्ष्मण को कुटी छोड़कर आते देख राम इसलिए क्रोधित हुए योंकि सीता कुटिया में अकेली थीं।

प्रश्न 7. सीता की खोज में वन में भटकते राम और लक्ष्मण ने क्या देखा?
उत्तर: सीता की खोज में भटकते राम-लक्ष्मण ने वन में एक टूटे रथ के टुकड़े, मरा हुआ सारथी तथा मृत घोड़े देखे। पास ही पुष्पमाला बिखरी पड़ी थी।

प्रश्न 8. कबंध कौन था?
उत्तर: कबंध एक विशालकाय, डरावना राक्षस था। उसकी एक आँख थी। गर्दन नहीं थी। उसका शरीर मोटे माँस पिंड जैसा था। उसके दाँत बाहर निकले थे तथा जीभ साँप की तरह थी।

प्रश्न 9. कबंध ने राम से क्या अनुरोध किया?
उत्तर: कबंध ने राम से अनुरोध किया कि उसका अंतिम संस्कार राम ही करें।

प्रश्न 10. शबरी कौन थी?
उत्तर: शबरी मतंग ऋषि की शिष्या थी।

प्रश्न 11. शबरी ने राम को किसके पास जाने की सलाह दी?
उत्तर: शबरी ने राम को सुग्रीव के पास जाने की सलाह दी।

प्रश्न 12. राम को सीता के वियोग में विलाप करते देख लक्ष्मण ने उनसे क्या कहा?
उत्तर: राम को सीता के वियोग में विलाप करते हुए देखकर लक्ष्मण ने राम से कहा कि आप धैर्य रखिए हम सीता को ढूँढ़ निकालेंगे।

प्रश्न 13. हिरणों के झुंड ने सिर उठाकर क्या इशारा किया?
उत्तर: हिरण आसमान की ओर सिर उठाकर दक्षिण दिशा की ओर भाग गए।

प्रश्न 14. सीता को ढूँढ़ने के दौरान लक्ष्मण को क्या मिला?
उत्तर: सीता को ढूँढ़ने के दौरान लक्ष्मण को पुष्पमाला मिली जिसे सीता ने अपनी वेणी में गूंथ रखा था।

प्रश्न 15. कबंध ने राम से किसकी सहायता लेने को कहा?
उत्तर: कबंध ने राम से सुग्रीव की सहायता लेने को कहा। उनके पास बहुत बड़ी वानरी सेना थी।

प्रश्न 16. पक्षीराज जटायु ने मरने से पहले क्या बताया?
उत्तर: पक्षीराज जटायु ने बताया कि सीता को रावण उठा ले गया है और वह दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर गया है।

प्रश्न 17. शबरी ने राम-लक्ष्मण को क्या खिलाया?
उत्तर: शबरी ने राम लक्ष्मण को मीठे बेर खिलाये।

प्रश्न 18. कबंध ने राम को पहले किससे मिलने को कहा?
उत्तर: कबंध ने राम को पहले मतंग ऋषि की शिष्या शबरी से मिलने को कहा।

प्रश्न 19. शबरी ने राम को किससे मिलने की सलाह दी?
उत्तर: शबरी ने राम को सुग्रीव से मित्रता करने की सलाह दी।



जय हिंद : जय हिंदी 
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