
शब्द-युग्म युग्म-शब्द श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द
समोच्चरितप्राय भिन्नार्थक शब्द
युग्म-शब्द की परिभाषा
हिंदी के ऐसे शब्द जिनका उच्चारण समान होता हैं किंतु, उनके अर्थ भिन्न-भिन्न (अलग-अलग ) होते हैं उन्हें ‘युग्म-शब्द’ या 'समोच्चरितप्राय भिन्नार्थक शब्द’ या 'शब्द-युग्म' या 'श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द' कहते हैं.
हिन्दी भाषा मात्रा, वर्ण और उच्चारण प्रधान भाषा है । इसमें शब्दों की मात्राओं अथवा वर्णों में परिवर्तन करने से अर्थ में बहुत अन्तर आ जाता है अतः वैसे शब्द, जो उच्चारण की दृष्टि से असमान होते हुए भी समान होने का भ्रम पैदा करते हैं, युग्म शब्द अथवा ‘श्रुतिसमभिन्नार्थक’ शब्द कहलाते हैं।
'श्रुतिसमभिन्नार्थक' का शाब्दिक अर्थ है - सुनने में समान; परन्तु भिन्न अर्थवाले।
'समोच्चरितप्राय भिन्नार्थक शब्द'का शाब्दिक अर्थ है - उच्चारण में समान; परन्तु भिन्न अर्थवाले।
शब्द-युग्म के प्रकार
- समानार्थी
- विपरीतार्थी या भिन्नार्थक
- निरर्थक
समानार्थी
इस प्रकार के 'शब्द-युग्म' समान अर्थ की प्रतीति कराते हैं .
जैसे
काम - काज
बाल - बच्चे
विपरीतार्थी या भिन्नार्थक
इस प्रकार के 'शब्द-युग्म' विलोम अर्थ की प्रतीति कराते हैं .
जैसे
लेन - देन
सुख - दुःख
निरर्थक
ये 'शब्द-युग्म' निर्रथकता की प्रतीति कराते हैं .
जैसे
अता - पता
कागज - वागज
उदाहरण
पक्षी रहते नीड़ मेंमछली रहती नीर में
नीड़ और नीर शब्द सुनने में एवं उच्चारण में लगभग एक जैसे लग रहे हैं लेकिन उनके अर्थ में अंतर है-
‘नीड़’ का अर्थ है -घोंसला
‘नीर’ का अर्थ है -पानी
इस कारण 'नीड़-नीर' श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द हुए .
भाषागत अशुद्धि से बचने हेतु शब्द युग्म का सूक्ष्म अध्ययन अति आवश्यक है. श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्दों की अधिक से अधिक जानकारी एवं उनका अभ्यास ऐसे शब्दों की समझ की बढ़ाता है . शब्द एवं शब्द के अर्थ को जानना तथा उनका वाक्य में प्रयोग करना शब्द-युग्म' युग्म-शब्द' श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द या समोच्चरितप्राय भिन्नार्थक शब्द को समझने में मदद करता है .
महत्त्वपूर्ण शब्द युग्म के उदाहरण
अनल आग
अभिराम सुन्दर
अविराम लगातार
आरति विरक्ति, दुःख
आरती धूप-दीप दिखाना
उपल पत्थर
उत्पल कमल
कुल वंश, सब
कूल किनारा
कृपण कंजूस
कृपाण कटार
कपि बंदर
कपी घिरनी
कृति रचना
कृती निपुण, पुण्यात्मा
कली अधखिला फूल
कलि कलियुग
कपीश हनुमान, सुग्रीव
कपिश मटमैला
करकट कूड़ा
कर्कट केंकड़ा
कटीली तीक्ष्ण, धारदार
कँटीली काँटेदार
चिर पुराना
चीर कपड़ा
चतुष्पद चौपाया, जानवर
चतुष्पथ चौराहा
छत्र छाता
क्षत्र क्षत्रिय
जलज कमल
जलद बादल
टोटा घाटा
टोंटा बन्दूक का कारतूस
डीठ दृष्टि
ढीठ निडर
तरणि सूर्य
तरणी नाव
तक्र मटठा
तर्क बहस
दूत सन्देशवाहक
द्यूत जुआ
दारु लकड़ी
दारू शराब
द्विप हाथी
द्वीप टापू
दिवा दिन
दीवा दीया, दीपक
दिन दिवस
दीन गरीब
देव देवता
दैव भाग्य
द्रव रस, पिघला हुआ
द्रव्य पदार्थ
निहत मरा हुआ
निहित छिपा हुआ, संलग्न
नियत निश्र्चित
नीयत मंशा, इरादा
नान्दी मंगलाचरण (नाटक का)
नंदी शिव का बैल
नगर शहर
नागर चतुर
अँगना घर का आँगन
अंगना स्त्री
अम्बु जल
अम्ब माता, आम
अली सखी
अलि भौंरा
अन्त समाप्ति
अन्त्य नीच, अन्तिम
अवलम्ब सहारा
अविलम्ब शीघ्र
अगम दुर्लभ, अगम्य
आगम प्राप्ति, शास्त्र
अम्बुज कमल
अम्बुधि सागर
असन भोजन
आसन बैठने की वस्तु
अणु कण
अनु पीछे
अरि शत्रु
अरी सम्बोधन (स्त्री के लिए)
कर्म काम
क्रम सिलसिला
बहु बहुत
बहू पुत्रवधू, ब्याही स्त्री
फण साँप का फण
फन कला, कारीगर
ऋत सत्य
ऋतु मौसम
परीक्षा इम्तहान
परिक्षा कीचड़
छत्र छाता
क्षत्र क्षत्रिय
आकर खान
आकार रूप, सूरत
उद्धत उद्दण्ड
उद्दत तैयार
पास नजदीक
पाश बन्धन
पीक पान आदि का थूक
पिक कोयल
प्राकार घेरा, चहार दीवारी
प्रकार किस्म, तरह
शराव मिट्टी का प्याला
शराब मदिरा
शब रात
शव लाश
शूक जौ
शुक सुग्गा
शिखर चोटी
शेखर सिर
शास्त्र सैद्धान्तिक विषय
शस्त्र हथियार
शम संयम, इन्द्रियनिग्रह
सम समान
शर्व शिव
सर्व सब
शप्त शाप पाया हुआ
सप्त सात
शहर नगर
सहर सबेरा
शाला घर, मकान
साला पति का भाई
शीशा काँच
सीसा एक धातु
श्याम श्रीकृष्ण, काला
स्याम एशिया का एक देश
शती सैकड़ा
सती पतिव्रता स्त्री
बास महक, गन्ध
वास निवास
बहन भगिनी
वहन ढोना
बल ताकत
वल मेघ
बन्दी कैदी
वन्दी भाट, चारण
बात वचन
वात हवा
बुरा खराब
बूरा शक्कर
बन बनना, मजदूरी
वन जंगल
हल् शुद्ध व्यंजन
हल खेत जोतने का औजार
हरि विष्णु
हरी हरे रंग की
संकर मिश्रित, दोगला,
शंकर महादेव
सूचि शूची
सूची विषयक्रम
उपकार भलाई
अपकार बुराई
आदि आरम्भ, इत्यादि
आदी अभ्यस्त, अदरक
गण समूह
गण्य गिनने योग्य
गुड़ शक्कर
गुढ़ गम्भीर
ग्रह सूर्य के चरों ओर घूमते पिंड
गृह घर
निर्झर झरना
निर्जर देवता
आभरण गहना
आमरण मरण तक
अवधि समय
अवधी एक भाषा
कपि बंदर
कपी घिरनी
सूर अंधा, सूर्य
शूर वीर
सुधी विद्वान, बुद्धिमान
सुधि स्मरण
सिता चीनी
सीता जानकी
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हिंदी व्याकरण को आसान तरीके से समझने के लिए अध्ययन सामग्री को निर्मित किया गया है . व्याकरण किसी भी भाषा का अभिन्न अंग होता है . भाषा की समझ व्याकरण से ही बढ़ती है . विद्यार्थियों को रुचिकर और उत्सुकता बढ़ाने वाले ढंग से मार्गदर्शन देना जरुरी है . सरल भाषा में विभिन्न विषयों के साथ संयोजन करते हुए पढ़ाई करना आज की आवश्यकता है . प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं की तैयारी के लिए आधार बनाना भी जरुरी है . बच्चों के लिए हिंदी सीखें और बच्चे भी हिंदी सीखें.
जय हिन्द
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