पाठ-13
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एक तिनका pdf
ध्वनि प्रस्तुति
ek tinka question answer
एक तिनका के प्रश्न उत्तर
Q&A
प्रश्न1: नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए।
जैसे-एक तिनका आँख में मेरी पड़ा
मेरी आँख में एक तिनका पड़ा।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे
लोग कपड़े की मूँठ देने लगे।
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा- ………………
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी- ………………
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी- ………………………
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया- ……………
उत्तर :
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा
एक दिन जब मुंडेरे पर खड़ा था।
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी
आँख भी लाल होकर दुखने लगी।
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी
बेचारी ऐंठ दबे पाँवों भागी।
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया
जब तिनका किसी ढब से निकल गया।
प्रश्न 2: ‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?
उत्तर: कवि ने उस दिन की घटना कही है, जब घमंड में चूर उसका विवेक समाप्त हो गया था। वह स्वयं को श्रेष्ठ समझता था। एक दिन उसकी आँख में एक तिनका गिर गया। तिनके के कारण उसकी आँख लाल हो गई। दर्द के मारे वह रो पड़ा। लोगों ने उसका बहुत इलाज किया लेकिन उसको आराम नहीं मिला। जब तिनका स्वयं ही आँख से निकल गया, तब जाकर उसे आराम मिला। इस घटना ने लेखक का सारा घमंड चूर-चूर कर दिया। उसकी आँखें खुल गई। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और उसका व्यवहार बदल गया। इस घटना के माध्यम से कवि ने संदेश दिया है कि हमें स्वयं पर कभी अभिमान घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड हमारे गुणों को समाप्त कर देता है और हमें जानवर बना देता है। इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने अभिमान घमंड का त्याग करें।
प्रश्न 3: आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?
उत्तर: आँख में तिनका पड़ते ही घमंडी की आँखे दर्द से लाल हो गई। उसने अनेकों प्रयत्न किए, सब लोगों की मदद ली। किसी ने कपड़े की सहायता से उसे निकालने का प्रयत्न किया परन्तु सब बेकार ही सिद्ध हुआ। वो दर्द से कराह रहा था पर कुछ कर नहीं पा रहा था। उसका घंमड दूर हो गया।
प्रश्न 4: घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया?
उत्तर: घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए लोगों ने कपड़े की मूंठ बनाकर तिनके को निकालने का प्रयत्न किया जो विफल रहा।
प्रश्न 5: ‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी-
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है-
तिनका कबहूँ न निंदिए, पाँव तले जो होय,कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय.
• इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए।
उत्तर: इन दोनों में समानता व अंतर को समझने से पहले इसके आशय को जानना बहुत आवश्यक है। सर्वप्रथम हम उपाध्याय जी की पंक्तियों की ओर देखते हैं। इसमें वह कहते हैं –
तू किस के कारण इतना अभिमानी (घमंडी) हो गया था और तेरा वह अभिमान किस काम का जो कि एक तिनके के कारण चूर-चूर हो गया अर्थात् एक तिनका तेरा घमंड तोड़ सकता है।
दूसरी तरफ़ कबीर जी कहते हैं –
आप जब मार्ग पर चलते हैं, आपके पैरों के नीचे ज़मीन पर पड़े तिनके की निंदा मत कीजिए क्योंकि अगर कभी वह उड़कर आपकी आँख पर गिर गया तो बहुत ही भयानक दर्द का कारण बन सकता है। अर्थात् अभिमान से ग्रसित व्यक्ति को चाहिए की किसी को भी अपने से कमज़ोर व छोटा न समझे क्योंकि जब समय बदलता है तो एक तिनका भी बहुत भारी विपदा दे सकता है।
समानता –
(1) उपाध्याय जी व कबीरदास जी ने घंमड ना करने की शिक्षा ही है।
(2) दोनों ने ही इस शिक्षा को देने के लिए तिनके का उदाहरण प्रस्तुत किया है।
अंतर –
दोनों ने कही तो एक ही बात है परन्तु उनकी कहानी के आशय में अंतर है। एक तरफ़ उपाध्याय जी ने यहाँ स्वयं को सम्बोधित किया है, उनके अनुसार एक समय में इतने अभिमानी थे कि स्वयं को कुछ नहीं समझते थे। पर एक तिनके के कारण उनका सारा अभिमान जाता रहा, तो दूसरी तरफ़ कबीरदास जी ने तिनके को सम्बोधित किया है। उनके अनुसार कभी भी दूसरे व्यक्ति को छोटा समझकर उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि समय की स्थिति कैसी पड़े कि वो तिनका (छोटा व्यक्ति) उसकी पीड़ा का कारण बन जाए।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. इस कविता को कवि ने ‘मैं’ से आरंभ किया है- ‘मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ’। कवि का यह ‘मैं’ कविता पढ़ने वाले व्यक्ति से भी जुड़ सकता है और तब अनुभव यह होगा कि कविता पढ़ने वाला व्यक्ति अपनी बात बता रहा है। यदि कविता में ‘मैं’ की जगह ‘वह’ या कोई नाम लिख दिया जाए, तब कविता के वाक्यों में बदलाव की जाएगा। कविता में ‘मैं’ के स्थान पर ‘वह’ या कोई नाम लिखकर वाक्यों के बदलाव को देखिए और कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
उत्तर-
वह घमंडों में भरा ऐंठा हुआ।
एक दिन जब था मुँडेर पर खड़ा
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,
एक तिनका आँख में उसकी पड़ा
वह झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूठ देने लोग कपड़े की लगे,
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।।
जब किसी ढब से निकल तिनका गया,
तब उसकी ‘समझ’ ने यों उसे ताने दिए।
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
प्रश्न 2. नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए-
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी,
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।
• इन पंक्तियों में ऐंठ’ और ‘समझ’ शब्दों का प्रयोग सजीव प्राणी की भाँति हुआ है। कल्पना कीजिए, यदि ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ किसी नाटक में दो पात्र होते तो उनको अभिनय कैसा होता?
उत्तर: ऐंठ और समझ
समझ-ऐंठ! इतना ऐंठती क्यों हो?
ऐंठ-समझ! यह तेरी समझ से बाहर की बात है।
समझ-ऐसी कौन-सी बात है जो मेरी समझ में नहीं आती।
ऐंठ-समझ तेरी समझ में यह नहीं आता कि यदि मनुष्य सुंदर हो, धनवान हो, समाज में ऊँचा स्थान रखता हो तो उसे अपने ऊपर घमंड आ ही जाता है।
समझ-नहीं! ऐंठ, कभी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि यह सब तो क्षणभंगुर है कभी भी नष्ट हो सकता है। लेकिन मनुष्य की विनम्रता उसकी परोपकार की भावना व हँसमुख स्वभाव कभी नष्ट नहीं होता।
(इतने में ऐंठ की आँख में एक तिनका उड़कर पड़ गया।)
समझ–ऐंठ। इतना तिलमिला क्यों रही हो?
ऐंठ-न जाने कहाँ से आँख में तिनका आकर पड़ गया है। मैं तो बहुत बेचैन हो रही हूँ ।
समझ-अब तुम्हारी घमंड कहाँ गया? एक छोटे से तिनके से तिलमिला उठीं।
ऐंठ-मुझे क्षमा करो ‘समझ’। अब मैं कभी अपने पर घमंड नहीं करूंगी।
प्रश्न 3. नीचे दी गई कबीर की पंक्तियों में तिनका शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार किया गया है। इनके अलग-अलग अर्थों की जानकारी प्राप्त करें।
उठा बबूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास।तिनका-तिनका हो गया, तिनका तिनके पास॥
उत्तर-
जिस प्रकार के झोंके से उड़कर तिनके आसमान में चले जाते हैं और सभी तिनके बिखर जाते हैं उसी प्रकार ईश्वर के प्रेम में लीन हृदय सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर ऊपर उठ जाता है। वह आत्मा का परिचय प्राप्त कर परमात्मा से मिल जाता है, यानी उसे अपने अस्तित्व की पहचान हो जाती है और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त होकर ईश्वर के करीब पहुँच जाता है। यानी आत्मा का परमात्मा से मिलन हो जाता है।
ek tinka bhasha ki baat
भाषा की बात
प्रश्न 1 : ‘किसी ढब से निकलना’ का अर्थ है कि किसी ढंग से निकलना। ‘ढब से’ जैसे वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे-धम से वाक्यांश है लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ढब से और धम से जैसे वाक्यांश के प्रयोग में अंतर है। ‘धम से’, ‘छप से’ इत्यादि का प्रयोग ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने के लिए किया जाता है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने वाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिए गए हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए-
छप से ,टप से, थर्र से, फुर्र से ,सन् से
(क) मेंढक पानी में …………… से कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूँद …………… चू गई।
(ग) शोर होते ही चिड़िया …………… उड़ी।
(घ) ठंडी हवा सन से गुज़री, मैं ठंड में …………… काँप गया।
उत्तर:
(क) मेंढक पानी में छप से कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूँद टप से चू गई।
(ग) ठंडी हवा सन से गुजरी, मैं ठंड में थर से काँप गया।
(घ) शोर होते ही चिड़िया फुर्र से उड़ी।
जय हिन्द : जय हिंदी
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