Samvad Lekhan in Hindi | संवाद लेखन |

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संवाद-लेखन 


दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुए वार्तालाप, बातचीत या सम्भाषण को संवाद कहते हैं।

सम+ वाद= संवाद. संवाद का सामान्य अर्थ बातचीत है। इसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति भाग लेते है। अपने विचारों और भावों को व्यक्त करने के लिए संवाद की सहायता ली जाती है। जो संवाद जितना सजीव, सामाजिक और रोचक होगा, वह उतना ही अधिक आकर्षक होगा। उसके प्रति लोगों का खिंचाव होगा। अच्छी बातें कौन सुनना नहीं चाहता ? इसमें कोई भी व्यक्ति अपने विचार सरल ढंग से व्यक्त करने का अभ्यास कर सकता है।

वार्तालाप में व्यक्ति के स्वभाव के अनुसार उसकी अच्छी-बुरी सभी बातों को स्थान दिया जाता है। इससे छात्रों में तर्क करने की शक्ति उत्पत्र होती है। नाटकों में वार्तालाप का उपयोग सबसे अधिक होता है। इसमें रोचकता, प्रवाह और स्वाभाविकता होनी चाहिए। व्यक्ति, वातावरण और स्थान के अनुसार इसकी भाषा ऐसी होनी चाहिए जो हर तरह से सरल हो। इतना ही नहीं, वार्तालाप संक्षिप्त और मुहावरेदार भी होना चाहिए।

संवाद के अनेक नाम हैं : वर्तालाप, आलाप, संलाप, कथोपकथन, गुफ्तगू, सम्भाषण इत्यादि। यह कहानी, उपन्यास, एकांकी, नाटकादि की जान है। इसके माध्यम से पात्रों की सोच, चिन्तन-शैली, तार्किक क्षमता और उसके चरित्र का पता चलता है। नाटकों के संवादों से कथावस्तु का निर्माण होता है।
संवाद के वाक्यों में स्वाभाविकता होनी चाहिए, बनावटीपन नहीं। लम्बे-लम्बे कठिन और उलझे हुए संवाद प्रायः बनावटी हुआ करते हैं। अच्छा संवाद-लेखक ही नाटक, रेडियो नाटक, एकांकी तथा कथा-कहानी लिखने में कुशलता हासिल करता है।
भाषा, बोलनेवाले के अनुसार थोड़ी-थोड़ी भिन्न होती है। उदाहरण के रूप में एक अध्यापक की भाषा छात्र की अपेक्षा ज्यादा संतुलित और सारगर्भित होगी। एक पुलिस अधिकारी की भाषा और अपराधी की भाषा में काफी अन्तर होगा। इसी तरह दो मित्रों या महिलाओं की भाषा कुछ भिन्न प्रकार की होगी। दो व्यक्ति, जो एक-दूसरे के शत्रु हैं- की भाषा अलग होगी। कहने का तात्पर्य यह है कि संवाद-लेखन में पात्रों के लिंग, उम्र, कार्य, स्थिति का ध्यान रखना चाहिए।
संवाद-लेखन में इन बातों पर भी ध्यान देना चाहिए कि वाक्य-रचना सजीव हो; शैली सरल और भाषा बोधगम्य हो। उसमें कठिन शब्दों का प्रयोग कम-से-कम हो। संवाद के वाक्य बड़े न हों; संक्षिप्त और प्रभावशाली हों। मुहावरेदार भाषा काफी रोचक होती है। अतएव, यथास्थान उनका प्रयोग हो।


अच्छे संवाद के लिए महत्वपूर्ण बिंदु -

  • संवाद छोटे, सहज तथा स्वाभाविक हों।
  • संवादों में रोचकता एवं सरसता हो।
  • इनकी भाषा सरल, स्वाभाविक और बोलचाल के निकट हो। उसमें क्लिष्ट तथा अप्रचलित  शब्दों का प्रयोग न हो।
  • संवाद पात्रों की सामाजिक स्थिति के अनुकूल हों। अनपढ़ या ग्रामीण पात्रों और शिक्षित पात्रों के संवादों में अंतर रहना चाहिए।
  • संवाद जिस विषय या स्थिति के सम्बन्ध में हों, उसे क्रमशः स्पष्ट करने वाले हों।
  • प्रसंग के अनुसार संवादों में व्यंग्य-विनोद का समावेश होना चाहिए।
  • यथास्थान मुहावरों तथा लोकोक्तियों के प्रयोग से संवादों में सजीवता आ जाती है।



 संवाद-लेखन की विशेषताएँ-

  • संवाद में प्रवाह, क्रम और तर्कसम्मत विचार होना चाहिए.
  • संवाद देश, काल, व्यक्ति और विषय के अनुसार लिखा जाना चाहिए.
  • संवाद सरल भाषा में लिखा होना चाहिए. सहजता और स्वभाविकता पर बल देना चाहिए.
  • संवाद में जीवन की जितनी अधिक स्वाभाविकता होगी, वह उतना ही अधिक सजीव, रोचक और मनोरंजक होगा.

  • संवाद का आरम्भ और अन्त रोचक हो.
  • संवाद छोटे तथा अर्थ पूर्ण होने चाहिए.
  • संवाद की भाषा शैली आम बोलचाल की होनी चाहिए.
  • पात्र अनुकूल भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए.
  • क्लिष्ट तथा उच्चारण में कठिन लगने वाले शब्दों से बचना चाहिए.
  • बीच-बीच में मुहावरेदार भाषा शैली को भी अपनाना चाहिए.
  • संवाद लेखन में बनावटीपन नहीं लगना चाहिए. 

ऊपर दी गयी विशेषताओं को ध्यान में रखकर छात्रों को संवाद लिखना है . इससे उनमें जीवनगत यथार्थ को समझने और सर्जनात्मक शक्ति को जागरित करने का अवसर मिलता है। उनमें बोलचाल की भाषा लिखने की प्रवृति जगती है।

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उदाहरण

माँ और बेटे के बीच संवाद



बेटा- माँ, ओ माँ !
माँ- अरे, आ गए बेटा !

बेटा- हाँ माँ ....... ।
माँ- आज स्कूल से आने में काफी देर लगा दी....... ।

बेटा- हाँ माँ, आज विश्व पर्यावरण-दिवस जो था।
माँ- तो क्या कोई विशेष कार्यक्रम था तेरे स्कूल में ?

बेटा- हाँ माँ, आज हमारे स्कूल में 'तरुमित्रा' के फादर आए हुए थे।
माँ- तब तो जरूर उन्होंने पेड़-पौधों के बारे में विशेष जानकारी दी होगी।

बेटा- हाँ, उन्होंने जानकारी भी दी और हम छात्रों के हाथों पौधे भी लगवाए।
माँ- तुमने कौन-सा पौधा लगाया ?

बेटा- मैंने अर्जुन का पौधा लगाया, माँ।
माँ- बहुत खूब।

बेटा- जानती हो माँ, शिक्षक बता रहे थे कि यह पौधा ह्रदय-रोग में काम आता है।
माँ- वह कैसे ?

बेटा- इसकी छाल और पत्ते से ह्रदय-रोग की दवा बनती है।
माँ- पेड़-पौधों के बारे में शिक्षक ने और क्याक्या बताया ?

बेटा- उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे पर्यावरण को संतुलित रखते हैं। वे हमें ऑक्सीजन देते हैं। इन्हें अपने आस-पास लगाने चाहिए।
माँ- अच्छा, अब मेरा राजा बेटा, हाथ-पाँव धोकर भोजन करेगा।
बेटा- ठीक है, माँ।



सब्जीवाले और ग्राहक का वार्तालाप
सब्जीवाला  और ग्राहक के बीच  संवाद 


ग्राहक- ये मटर कैसे दिए है भाई ?
सब्जीवाला- ले लो बाबू जी ! बहुत अच्छे मटर है, एकदम ताजा।

ग्राहक- भाव तो बताओ।
सब्जीवाला- बेचे तो पंद्रह रुपये किलो हैं पर आपसे बारह रुपये ही लेंगे।

ग्राहक- बहुत महँगे है भाई !
सब्जीवाला- क्या बताएँ बाबूजी ! मण्डी में सब्जी के भाव आसमान छू रहे हैं।

ग्राहक- फिर भी ....... । कुछ तो कम करो।
सब्जीवाला- आप एक रुपया कम दे देना बाबू जी ! कहिए कितने तौल  दूँ ?

ग्राहक- एक किलो मटर दे दो। और ...... एक किलो आलू भी।
सब्जीवाला- टमाटर भी ले जाइए, साहब। बहुत सस्ते हैं।

ग्राहक- कैसे ?
सब्जीवाला- पाँच रुपये किलो दे रहा हूँ। माल लुटा दिया बाबू जी।

ग्राहक- अच्छा ! दे दो आधा किलो टमाटर भी। ..... और दो नींबू भी डाल देना।
सब्जीवाला- यह लो बाबू जी। धनिया और हरी मिर्च भी रख दी है।

ग्राहक- कितने पैसे हुए ?
सब्जीवाला- सिर्फ इक्कीस रुपये।
ग्राहक- लो भाई पैसे।



रोगी और वैद्य (डॉक्टर ) के बीच संवाद
डॉक्टर और मरीज के बीच संवाद


रोगी- (औषधालय में प्रवेश करते हुए) वैद्यजी, नमस्कार!
वैद्य- नमस्कार! आइए, पधारिए! कहिए, क्या हाल है ?

रोगी- पहले से बहुत अच्छा हूँ। बुखार उतर गया है, केवल खाँसी रह गयी है।
वैद्य- घबराइए नहीं। खाँसी भी दूर हो जायेगी। आज दूसरी दवा देता हूँ। आप जल्द अच्छे हो जायेंगे।

रोगी- आप ठीक कहते हैं। शरीर दुबला हो गया है। चला भी नहीं जाता और बिछावन पर पड़े-पड़े तंग आ गया हूँ।
वैद्य- चिंता की कोई बात नहीं। सुख-दुःख तो लगे ही रहते हैं। कुछ दिन और आराम कीजिए। सब ठीक हो जायेगा।

रोगी- कृपया खाने को बतायें। अब तो थोड़ी-थोड़ी भूख भी लगती है।
वैद्य- फल खूब खाइए। जरा खट्टे फलों से परहेज रखिए, इनसे खाँसी बढ़ जाती है। दूध, खिचड़ी और मूँग की दाल आप खा सकते हैं।

रोगी- बहुत अच्छा! आजकल गर्मी का मौसम है; प्यास बहुत लगती है। क्या शरबत पी सकता हूँ ?
वैद्य- शरबत के स्थान पर दूध अच्छा रहेगा। पानी भी आपको अधिक पीना चाहिए।

रोगी- अच्छा, धन्यवाद! कल फिर आऊँगा।
वैद्य- अच्छा, नमस्कार।


बाढ़ आने से कई गाँव पानी में डूब गए हैं। दो मित्र उनकी सहायता के लिए जाना चाहते हैं। उनके बीच हुए संवाद को लिखिए .


मोहन  –कुमार! क्या तुमने आज का अखबार पढ़ा?
कुमार  – नहीं, क्या कोई विशेष खबर छपी है?

मोहन – हाँ बाढ़ के कारण कई गाँव पानी में डूब रहे हैं। खेतों में पानी भरने से फसलें डूब रही हैं।
कुमार– ऐसे में लोगों को बड़ी परेशानी हो रही होगी?

मोहन– लोग जैसे-तैसे अपने सामान और मवेशियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
कुमार – ऐसो की मदद के लिए हमें तुरंत चलना चाहिए। वे जहाँ भी हैं, उनकी मदद करनी चाहिए।

मोहन – मैं अपने मित्रों के साथ कुछ कपड़े, खाने की वस्तुएँ, मोमबत्ती, माचिस आदि इकट्ठा करके आज दोपहर तक पहुँच जाना चाहता हूँ।
कुमार– यह तो बहुत अच्छा रहेगा। मैं अपने साथियों से कहूँगा कि वे कुछ रुपये भी दान स्वरूप दें, ताकि उनके लिए पानी की बोतलें और ज़रूरी दवाइयाँ खरीदा जा सके। 

मोहन – तुमने बहुत अच्छा सोचा है। क्या तुम भी मेरे साथ चलोगे?
कुमार – मैं अवश्य साथ चलूँगा और मुसीबत में फँसे लोगों की मदद करूँगा।




परीक्षा की तैयारी के लिए दो मित्रों के बीच  संवाद 

( विशाल तथा राहुल दो मित्र हैं जो परीक्षा से दो दिन पूर्व आपस में परीक्षा के लिए फोन पर बातचीत कर रहे हैं. )


विशाल – हेलो राहुल!
राहुल  – हाँ दोस्त  , मैं राहुल  बोल रहा हूँ , कैसे हो ?


विशाल – बस ठीक हूँ  दोस्त , और पढ़ाई कैसी चल रही है ?
राहुल  – क्या बताऊं बस थोड़ी सी दिक्कत है ?


विशाल – क्या हुआ कहाँ  परेशानी आ रही है ?
राहुल – विज्ञान में चुम्बक वाला पाठ  समझ नहीं आ रहा।


विशाल – मगर वह तो आसान है थोड़ा ध्यान से समझना होगा।
राहुल  – क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो ?


विशाल – हाँ  क्यों नहीं?
राहुल  – कल विद्यालय में मुझे समझा देना।


विशाल – ठीक है मध्यावकाश  के समय हम दोनों बैठ कर इस विषय को स्पष्ट कर लेंगे।
राहुल – ठीक है भाई धन्यवाद ।


विशाल – कोई बात नहीं भाई , दोस्त ही दोस्त के काम आते हैं।
राहुल – और तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है।


विशाल – मेरी पढ़ाई तो बढ़िया हो रही है .बस थोड़ा परीक्षा का तनाव  हो रहा है।
राहुल  – कोई बात नहीं सब बढ़िया होगा मुझे उम्मीद है।


विशाल – हाँ  भाई ऐसा ही हो और सब बढ़िया है ?
राहुल  – हाँ  सब बढ़िया है


विशाल – ठीक है फिर विद्यालय में मिलते हैं।
राहुल – अच्छा ठीक है . शुभ दिन 

विशाल – शुभ दिन 



चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
चॉक और ब्लैकबोर्ड के बीच  संवाद


चॉक – ब्लैक बोर्ड देखो तो तुम पर मेरी लिखाई कितनी अच्छी लग रही है।
ब्लैक बोर्ड – हाँ तुम्हारी  लिखाई सफ़ेद जो  है।

चॉक – अभी-अभी पेंट होने की वजह से तुम्हारा रंग बिल्कुल काला हो गया है।
ब्लैक बोर्ड − इसलिए तुमसे लिखा गया सब कुछ साफ़ व सुंदर दिख रहा है।

चॉक – हम दोनों की जोड़ी विद्यालय में बहुत प्रसिद्ध है .
ब्लैक बोर्ड – हाँ होगी क्यों नहीं ! शिक्षक हमारे द्वारा ही तो बच्चों को पढ़ा पाते हैं .

चॉक – तुम बच्चों के लिए किताब की तरह हो .
ब्लैक बोर्ड − तुम कलम (pen ) की तरह हो .

चॉक – जब बच्चे मुझे लेने ऑफिस में जाते हैं तो उन्हें बहुत मजा आता है .
ब्लैक बोर्ड −मुझ पर लिखा हुआ मिटाते समय बच्चा अपने आपको कक्षा का खास बच्चा समझता है .

चॉक – ब्लैक बोर्ड भैया !बच्चे बहुत मासूम होते हैं .
ब्लैक बोर्ड − हाँ ! कुछ-कुछ शैतान भी होते हैं . हर प्रकार के बच्चे कक्षा में बहुत अच्छे लगते हैं .

चॉक – अरे हाँ ! मैं lockdown में सभी को बहुत याद करती हूँ .
ब्लैक बोर्ड − कोरोना के कारण विद्यालय बंद होने से मैं भी बच्चों को देखने के लिए तरस गया .

चॉक – अरे छोड़ो भी online मोड में तुम तो गूगल ब्लैक बोर्ड बन गए हो .
ब्लैक बोर्ड − हा,हा,हा ! जल्दी ही तुम गूगल चॉक बन जाओगी .



कोरोना वायरस से निर्मित स्थिति पर दो मित्रों के बीच संवाद


धीरज- उफ़ हो ! क्या बताएं ? कोरोना ने परिस्थिति को बदल कर रख दिया.
विकास- हां मित्र ऐसी स्थिति बन जाएगी कभी सोचा नहीं था.


धीरज- वायरस ने एक प्रकार से संपूर्ण मानव जाति को प्रभावित किया है.
विकास- मानव जाति के साथ-साथ अभी तक उसके द्वारा किए गए अनुसंधान, विज्ञान के चमत्कार और मशीनी प्रगति को भी वायरस ने अंगूठा दिखा दिया है.


धीरज- हाँ मित्र तुम सही कहते हो. एक छोटा सा वायरस हमें बहुत बड़ी सीख दे रहा है.
विकास- फिलहाल तो हमें इससे बचने के लिए उपाय करने चाहिए.


धीरज- सुना है यह वायरस नए नए रूपों में हमारे सामने आकर फैल रहा है.
विकास- हाँ कुछ ऐसा ही है. अब यह बेहद खतरनाक हो गया है.


धीरज- लगता है मास्क पहनना हमारी जीवनशैली का हिस्सा ही बन गया है.
विकास- मास्क के साथ-साथ हमेशा हाथ धोते रहना और लोगों से दूरी बनाए रखना यह बहुत जरूरी हो गया है.


धीरज- हाँ दोस्त लॉकडाउन के कारण पढ़ाई करने के लिए बहुत समय मिल रहा है.
विकास- हाँ  मित्र मैं भी कंप्यूटर पर ऑनलाइन बहुत कुछ सीख रहा हूँ .


धीरज- चलो मित्रों अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना फिर मिलते हैं.
विकास- ठीक है मित्र! अपना और अपने परिवार का ध्यान रखना.



कलम का कॉपी से संवाद
कलम और कॉपी के बीच संवाद


कलम-कॉपी! क्या मेरे द्वारा तुम पर लिखा जाना तुम्हें अच्छा लगता है।
कॉपी- जब तुम. छात्र या अन्य लोग मुझ पर सुंदर-सुंदर शब्द लिखते हैं तो मैं बहुत  खुश होती हूँ।

कलम-सच ! बहुत अच्छी बात है।
कॉपी-लेकिन अगर किसी की लिखावट  खराब होती है या स्याही मुझ पर फैलती है तो मुझे बुरा लगता है।

कलम-मैं ऐसा बिलकुल नहीं चाहती लेकिन कई बार बच्चे मनोरंजन के कारण कुछ भी लिख देते हैं।
कॉपी-मुझे तुम पर गर्व है कलम ! क्योंकि तुम्हारे बिना मेरा होना ही अधूरा है। तुम्हारे बिना मेरी कोई उपयोगिता नहीं है। मैं तुम्हारी आभारी हूँ।

कलम-ऐसा मत बोलो, तुम्हारे बिना मेरी भी कोई उपयोगिता नहीं है।
कॉपी- हाँ !लगता है हम दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं .

कलम - (गाना गुनगुनाती है ) हम बने ,तुम बने ,एक दूजे के लिए ...
कॉपी - जोड़ी नंबर -1 जिंदाबाद .




किसी छद्म साक्षात्कार ( mock interview ) के दौरान निर्मित संवादों को लिखो .


साक्षात्कार मंडल - कृपया अपना परिचय दिजिए .

सदस्य -मेरा नाम स्वामी है. मैं चेन्नई में रहता हूँ .



साक्षात्कार मंडल-  आप शिक्षक बनना चाहते हैं, कृपया अच्छे शिक्षक की विशेषताएँ बताइए.

सदस्य- मेरे विचार से अच्छा शिक्षक वह है जो सभी बच्चों को समान (बराबर) समझता है .अपने विषय पर  गहरी समझ रखता हो . भाषा अभिव्यक्ति  सशक्त हो और समझाने के कई तरीके उसे आते हों.



साक्षात्कार मंडल- वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को आप किस दृष्टि से देखते हैं.

सदस्य- शिक्षा व्यवस्था कई विचारकों व चिंतकों के अथक प्रयासों से निर्मित है. इससे यह एक सुदृढ़  और सार्थक व्यवस्था है लेकिन मानवीय कमियों के कारण इसमें कुछ अव्यवस्थाएं भी विद्यमान हैं.



साक्षात्कार मंडल- वर्तमान परिस्थितियों में 'ऑनलाइन शिक्षा' का महत्व बढ़ गया है. इसके लिए आप क्या प्रयास करेंगे?

सदस्य- जी बिल्कुल सही, वर्तमान में 'ऑनलाइन शिक्षा' के माध्यम से शिक्षक व विद्यार्थी आपस में जुड़े हुए हैं अतः इस दिशा में  तकनीकी प्रयास किया जाना बहुत आवश्यक है.  सोशल मीडिया व अभिव्यक्ति के जितने भी प्लेटफार्म हैं सभी का यथोचित उपयोग किया जाना आवश्यक है. उच्च गुणवत्ता पूर्ण  पुख्ता  पठन-पाठन सामग्री  बनाया जाना आवश्यक है.



साक्षात्कार मंडल- आप एक शिक्षक के रूप में कौन-कौन से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करेंगे?

सदस्य- मैं व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक पेजेस, वेबसाइट, यूट्यूब वीडियो, यूट्यूब लाइव, ब्लॉग , ज़ूम, गूगल क्लासरूम अभी प्लेटफार्म का उपयोग करूंगा.



साक्षात्कार मंडल- आपके हिसाब से  अच्छे विद्यार्थियों की क्या विशेषताएँ हो सकती हैं?

सदस्य- मेरे दृष्टिकोण से वही विद्यार्थी अच्छा  है जो सीखने की प्रबल इच्छा  रखता  हो. उपलब्ध  संसाधनों का अच्छे से उपयोग करके मन लगाकर पढ़ाई-लिखाई करता हो. किताबी ज्ञान से ज्यादा व्यावहारिक समझ पर बल देता हो. किताबों के साथ-साथ वह अपने माहौल और वातावरण से भी सीखने की क्षमता रखता हो . उसके व्यक्तित्व में जीवन मूल्य भी समाहित हों .



साक्षात्कार मंडल- सच में आपसे बात करके बहुत अच्छा लगा. हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं.

सदस्य- धन्यवाद महोदय, मुझे भी आपके साथ बात करके अच्छा लगा और बहुत कुछ सीखने को मिला. आपका दिन शुभ हो.



 खिड़की का दरवाज़े से संवाद
 खिड़की और दरवाज़े के बीच संवाद

खिड़की – अरे ! दरवाजे जी , क्यों इतने परेशान हो ?
दरवाज़ा – क्या बताऊँ खिड़की जी ? सब किस्मत का खेल है .

खिड़की – कुछ बताओ तो सही . दिल का बोझ हल्का हो जाएगा .
दरवाज़ा – मेरा इतना ज्यादा उपयोग होता है कि मुझसे आवाज भी आने लगी है पर मेरा कोई ध्यान ही नहीं रखता है.

खिड़की – उफ़ हो! दरवाजा राजा, बस इतनी सी बात .
दरवाज़ा – (बात काटते हुए ) तुम्हें  इतनी सी बात लगती है . जिस पर गुजरती है वही जानता है .

खिड़की –  भगवान् का शुक्र करो कि तुम लोगों के काम आ रहे हो . एक मुझे देखो सुबह एक बार खुलती हूँ और परदे के पीछे छिपी रहती हूँ .
दरवाज़ा – अरे खिड़की जी ! आप दुखी हो . मैं तो आपको बहुत खुशनसीब  समझ रहा था .

खिड़की – दरवाजे जी तुम्हारे खुलने-लगने की आवाज में आकर्षक संगीत है . मैं बहुत ध्यान से सुनती हूँ .
दरवाज़ा – तुम्हारी बातों से मुझमें उत्साह आ रहा है .

खिड़की – खुश होकर जियो . जिंदगी मिलेगी न दोबारा .
दरवाज़ा – धन्यवाद खिड़की जी . हम सब साथ-साथ हैं .
                (दोनों हँसते हैं )



मंथरा का कैकेयी  से संवाद
मंथरा और  कैकेयी के बीच संवाद



मंथरा – अरी रानी उठो! यह समय सोने का नहीं होश में आओ। विपत्ति का पहाड़ टूटने वाला है। जागो।
कैकेयी – क्या हुआ? क्या बात है? तुम इतनी घबराई हुई क्यों हो? कुशल मंगल तो है?


मंथरा – कैसा कुशल मंगल! तुम्हारे सुखों का अंत होने वाला है। कल राम का राज्याभिषेक होने वाला है।
कैकेयी – यह तो खुशी की बात है।


मंथरा – तुम्हारी मति मारी गई है। तुम राजा दशरथ के षड्यंत्र को नहीं समझती। तुम्हारे अधिकार छीने जाने वाले हैं।
कैकेयी – यह कैसी उलटी बात है। वह मेरा ज्येष्ठ पुत्र है। राम तो युवराज के पद के योग्य है। राज तो बड़े बेटे को ही मिलता है।


मंथरा – रानी इसे रोकें, यह तुम्हारे हित में नहीं है। राम अगर राजा बन गया तो तुम कौशल्या की दासी बन जाओगी। भरत राम के दास हो जाएँगे।
कैकेयी – तो क्या ऐसा हो जाएगा? मैं क्या करूं?


मंथरा – तुम्हें याद है, तुम राजा दशरथ को अपने वचनों की याद दिलाकर भरत के लिए राज्याभिषेक और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँग लो।
कैकेयी – परंतु इतना बड़ा काम मैं कैसे करूँगी।


मंथरा – तुम मैले कपड़े पहनकर कोप भवन चली जाओ। राजा दशरथ आएँ तो उन्हें पहले अपने मन की बात मत कहना। जब वे तुम्हें मनाने लगें तो अपने दोनों वचनों को माँग लेना।
कैकेयी – ठीक है!


'अनिल' और 'दुकानवाला' का संवाद
'अनिल' का  'दुकानदार ' से संवाद



अनिल- यह गुल्लक  कितने का है ?
दुकानवाला- यह तुम्हारे काम का नहीं है जी।

अनिल- बिकाऊ है कि नहीं ?
दुकानवाला- बिकाऊ नहीं है और यहाँ क्यों लाद लाये है ?


अनिल- तो बताते क्यों नहीं, कै पैसे का है ?
दुकानवाला -पचास रुपये का है ।


अनिल- ठीक बताओ।
दुकानवाला- ठीक-ठीक चालीस रुपये  लगेंगे, लेना हो तो लो, नहीं तो चलते बनो।


अनिल- तीस रुपये लोगे क्या  ?
दुकानवाला- नहीं भाई ! रहने दो .





संवाद लेखन हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है. दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच  वार्तालाप को संवाद कहते हैं. लिखने की प्रक्रिया में इसे संवाद-लेखन कहा जाता है. संवाद लेखन का विषय पात्रों के अनुकूल होता है. उसकी भाषा का चयन भी पात्रों को ध्यान में रखकर किया जाता है. कृत्रिम शब्दावली और बोझिल शब्दों का प्रयोग संवाद को कठिन बना देते हैं. आम बोलचाल के शब्द से संवाद सजीव हो उठते हैं .




The study material has been prepared to understand Hindi grammar in an easy way by which you can learn Hindi meaning. Grammar is an integral part of any language that is why to learn Hindi grammar. The comprehension of language grows only through grammar. It is important to guide the students about learn basic Hindi in an interesting and curious manner. It is the need of today to study in simple language while combining it with different subjects. Learn basic Hindi words related to all subjects.It is also important to build a foundation for the preparation of competitive exams. Learn Hindi for kids and kids also learn Hindi.


हिंदी व्याकरण को आसान तरीके से समझने के लिए अध्ययन सामग्री को निर्मित किया गया है . व्याकरण किसी भी भाषा का अभिन्न अंग होता है . भाषा की समझ व्याकरण से ही बढ़ती है . विद्यार्थियों को रुचिकर और उत्सुकता बढ़ाने वाले ढंग से मार्गदर्शन देना जरुरी है . सरल भाषा में विभिन्न विषयों के साथ संयोजन करते हुए पढ़ाई करना आज की आवश्यकता है . प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं की तैयारी के लिए आधार बनाना भी जरुरी है . बच्चों के लिए हिंदी सीखें और बच्चे भी हिंदी सीखें.





जय हिंद 
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