Q&A
प्रश्न 1 : रक्त के बहाव को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर : जब शरीर के किसी हिस्से पर घाव बन जाए और रक्त बहने लगे तो सर्वप्रथम उस स्थान पर साफ़ कपड़े को कसकर बाँध देना चाहिए ताकि रक्त के प्रवाह को रोका जा सके। इस तरह रक्त का प्रवाह तुरन्त रूक जाएगा परन्तु इस तरकीब से भी बात ना बने और रक्त का प्रवाह बना रहे तो तुरन्त ही डाक्टर के पास उपचार के लिए मरीज़ को लेकर जाना चाहिए।
प्रश्न 2 : खून को ‘भानुमती का पिटारा’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर : ‘ भानुमती का पिटारा’ यह एक ऐसी लोकोक्ति है जिसका अर्थ है एक पिटारे में भाँति-भाँति की वस्तुएँ। खून को भानुमती का पिटारा कहा गया है क्योंकि वह बहुत उपयोगी होता है और शरीर की बहुत सी क्रियाओं को संपन्न करता है . सूक्ष्मदर्शी से खून की एक बूंद को जाँचा जाए तो उसमें लाखों की संख्या में लाल रक्त-कण मौजूद होते हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इसके अलावा सफ़ेद कण व प्लेटलैट कण भी उसमें पाए जाते हैं।
क्योंकि रक्त दिखने में तो द्रव की भांति होता है परन्तु इसके विपरीत उसके अंदर एक अलग दुनिया का ही प्रतिबिम्ब होता है। रक्त दो भागों में विभाजित होता है – एक भाग तरल रूप में होता है जिसे हम प्लाज़्मा के नाम से जानते हैं, दूसरे भाग में हर प्रकार व आकार के कण होते हैं। कुछ सफ़ेद होते हैं तो कुछ लाल, और कुछ रंगहीन होते हैं। ये सब कण प्लाज़्मा में तैरते रहते हैं। रक्त का लाल रंग लाल कणों के कारण होता है क्योंकि रक्त की एक बूंद में इनकी संख्या करीब चालीस से पचपन लाख होती है। इनकी इसी अधिकता के कारण रक्त लाल प्रतीत होता है। इनका कार्य ऑक्सीजन को शरीर के एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना होता है। लाल कण के बाद सफ़ेद कणों का कार्य रोगाणुओं से हमारी रक्षा करना होता है और जो रंगहीन कण होते हैं जिन्हें हम बिंबाणु कहते हैं। इनका कार्य घाव को भरने में मदद करना होता है। इस प्रकार रक्त की एक बूँद अपने में ही जादुई दुनिया को समेटे हुए है जिसके लिए ‘भानुमती का पिटारा’ कहना सर्वथा उचित है।
प्रश्न 3 : एनीमिया से बचने के लिए हमें क्या-क्या खाना चाहिए?
उत्तर : इससे पहले ये समझना आवश्यक है कि एनीमिया है क्या। जब हमारे शरीर को उचित पौष्टिक आहार मिल नहीं पाता तो हमारे शरीर में रक्त का निर्माण होना बन्द हो जाता है। शरीर में रक्त की कमी होने लगती है और रक्त में होने वाली लाल-कणों की इसी कमी को एनीमिया कहते हैं। इसलिए हमें चाहिए कि हम सदैव पौष्टिक आहार ही लें। जैसे – हरी सब्जियाँ, दालें, दूध, माँस-मछली, अंडे इत्यादि प्रचुर मात्रा में लें।
प्रश्न 4 : पेट में कीड़े क्यों हो जाते हैं? इनसे कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर : जब हम बाहर का दूषित खाना व जल पीते हैं तो ये दोनों (दूषित खाना व जल) शरीर में पेट के कीड़ों के लिए वाहक के रूप में कार्य करते हैं। कुछ कीड़ों के लार्वे तो ज़मीन की ऊपरी सतह पर होते हैं इसलिए हमें चाहिए कि हम नंगे पैर इधर-उधर न घूमें और शौचालय का इस्तेमाल करने के पश्चात् साबुन से भली-भाँति हाथ धोएँ, बाहर का खाना न खाएँ व दूषित पानी न पीएँ आदि सावधानियों से स्वयं को इन पेट के कीड़ों से बीमार होने से बचा सकते हैं।
प्रश्न 5 : रक्त के सफ़ेद कणों को ‘वीर सिपाही’ क्यों कहा गया है?
उत्तर : सफ़ेद रक्त कणों का कार्य शरीर में घर बना रहे रोगाणु से हमारी रक्षा करना होता है।ये रक्त कण उनसे एक वीर सिपाही की भांति लड़ते हैं और जहाँ तक संभव हो सके उनकी कार्य क्षमता को शिथिल कर हमें उनसे सुरक्षा प्रदान कराते हैं। इसलिए इन्हें वीर सिपाही की संज्ञा दी गई है।एक वीर सिपाही भी देश की रक्षा करने हेतु बाहरी ताकतों से लोहा लेता है और देश व उसकी सीमा को सुरक्षा प्रदान करता है।
प्रश्न 6 : ब्लड-बैंक में रक्तदान से क्या लाभ है?
उत्तर : ब्लडबैंक को अस्पताल में बनाने का उद्देश्य यह है कि मरीज़ को रक्त की आवश्यकता होने पर रक्त की आपूर्ति कराई जा सके। हर मनुष्य का रक्त एक सा नहीं होता। रक्त को चार वर्गों में विभाजित किया जाता है।इसी रक्त विभाजन के आधार पर हर व्यक्ति को अलग-अलग रक्त-समूह चढ़ाया जाता है।इसी आधार पर ब्लड बैंक का निर्माण हुआ परन्तु इस बैंक को बनाए रखने के लिए रक्त की आवश्यकता होती है जो तभी संम्भव है जब हम सब समय-समय पर रक्तदान कराते रहें और ब्लडबैंक में रक्त का भण्डार बनाए रखें।क्योंकि यदि हम रक्तदान न करें तो ब्लडबैंक में रक्त की कमी हो जाएगी और ज़रूरत पड़ने पर मरीज़ों को रक्त की कमी की वजह से परेशानियों से गुज़रना पड़ सकता है या फिर उनकी जान भी जा सकती है।इसलिए हमें सदैव रक्तदान करना चाहि व सबको इसके प्रति जागृत कराते रहना चाहिए।
प्रश्न 7 : साँस लेने पर शुद्ध वायु से जो ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में कौन पहुँचाता है-
- सफेद कण
- लाल कण
- साँस नली
- फेफड़े
उत्तर : साँस लेने पर शुद्ध वायु से जो ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में लाल कण पहुँचाते हैं।
- जस्ता
- लोहा
- सीसा
- प्लैटिनम
- टायफाइड
- डेंगू
- मलेरिया
- फ़ाइलेरिया
प्रश्न 1 :
- बनते-बनते
- पहुँचते-पहुँचते
- लेते-लेते
- करते-करते
- ठीक-ठीक
- घड़ी-घड़ी
- कहीं-कहीं
- घर-घर
- क्या-क्या
उत्तर :
(क)
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(ख) (i)ठीक-ठीक ( ठीक से ) ठीक-ठीक समय बताइए क्या वक्त हुआ है। (ii) घड़ी-घड़ी (हर घड़ी में) तुम घड़ी-घड़ी मुझसे पूछने मत आया करो। (iii) कहीं-कहीं (कहीं पर) इस जगह पर कहीं-कहीं ही पानी मिलता है। (iv) घर-घर (हर घर में) घर-घर जाकर हर बच्चे को पोलियो की दवा पिलाओ। (v) क्या-क्या (और क्या) बच्चों को खाने में क्या-क्या अच्छा लगता है। |
प्रश्न 2 : इस पाठ में दिए गए मुहावरों और कहावतों को पढ़िए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
- भानुमती का पिटारा
- दस्तक देना
- धावा बोलना
- घर करना
- पीठ ठोकना
1. ब्लू बेबी क्या है?
उत्तर- नवजात शिशु का अगर हृदय कमज़ोर हो तो उसे पर्याप्त रूप में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। धीरे-धीरे उसका शरीर पीला होने लगता है क्योंकि ऑक्सीजन की कमी से खून सही रूप से पूरे शरीर में प्रवाहित नहीं करता।
2. रक्त के जमाव की क्रिया में बिंबाणु (प्लेटलैट) का कार्य क्या है?
उत्तर: रक्त जमाव की क्रिया में बिंबाणु की प्रमुख भूमिका होती है। जब कोई चोट लग जाए या शरीर के किसी अंग में जख्म हो जाए तो रक्त के तरलभाग प्लाज्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन, होती है जो रक्तवाहिका की कटी-फटी दीवार में जाला बुन देती है। बिंबाणु इस जाले से चिपक जाते हैं और इस तरह दीवार में आई दरार भर जाती है, जिससे रक्त का बहना बंद हो जाता है।
3. रक्तदान के लिए कम-से-कम कितनी उम्र होनी चाहिए?
उत्तर: रक्तदान के लिए कम से कम आयु सीमा अट्ठारह वर्ष होनी चाहिए।
4. कितने समय के बाद दोबारा रक्तदान किया जा सकता है?
उत्तर: छह महीने बाद दोबारा रक्तदान किया जा सकता है।
5. क्या स्त्री का रक्त पुरुष को चढ़ाया जा सकता है?
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