Mithaiwala class 7 | मिठाईवाला |


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पाठ-5

मिठाईवाला 






ध्वनि प्रस्तुति






सारांश 




मिठाईवाला के माध्यम से लेखक ने एक ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्ति की मन की स्थिति पर प्रकाश डाला है जो असमय ही अपने बच्चों तथा पत्नी को खो चुका है. अपनी निराशा भरे जीवन में आशा का संचार करने के लिए वह कभी मिठाई वाला, कभी मुरली वाला व कभी खिलौने वाला बनकर आता है बच्चों के प्रति उसका विशेष लगाव झलकता था. उसे उन बच्चों में अपने बच्चों की झलक नजर आती थी जिससे उसे बहुत संतोष और प्रसन्नता का अनुभव होता था


मिठाईवाला पैसों के लालच में अपना सामान नहीं बेचता था वह तो चाहता था कि बच्चे सदा हंसते खेलते रहें , इस कारण जब भी आता बच्चों की मनभावन चीजें कभी खिलौने व कभी मिठाइयाँ बेचने के लिए लाता. गली भर में गा-गा कर वह कम दाम में सामान बेचकर बच्चों को प्रसन्न करता.
विजय बाबू के बच्चे चुन्नू और मुन्नू एक दिन एक खिलौने वाले से खिलौने लेकर आए तो उनकी मां रोहिणी ने उनसे पूछा कितने में लाए हो तो मुन्नू ने बताया दो पैसे में. रोहिणी हैरान थी कि खिलौने वाला इतने बढ़िया खिलौने इतने कम दामों में क्यों बेच गया?


लगभग 6 महीने के बाद वही व्यक्ति मुरलियां बेचने आया वह मुरली बजा कर सबका मन मोह लेता था. रोहिणी ने भी मुरली की मधुर आवाज सुनी तो उसने जान लिया कि यह वही खिलौने वाला है. उसने अपने पति से मुरलियां खरीदने को कहा. विजय बाबू ने दाम पूछा तू मुरली वाले ने कहा कि वैसे तो तीन-तीन पैसे की बेचता हूं लेकिन आपको दो पैसे मैं दूंगा .ऐसा कहने पर विजय बाबू उसे कहने लगे कि तुम लोग तो झूठ बोलते हो सबको दो पैसे में ही देते होगे, तो मुरली वाला भी उठा और बोला यह तो ग्राहकों का दस्तूर है कि दुकानदार भले हानि बेचे पर ग्राहक को यही लगता है कि वह लूट रहा है. विजय बाबू ने मुरली के प्रति उपेक्षा भाव दिखाते हुए भी दो मुरलियां खरीद ही लीं यह सब बातें सुनकर भी रोहिणी को न जाने क्यों मुरली वाले के प्रति सहानुभूति थी


8 माह बीतने के बाद 1 दिन फिर नगर भर में मधुर कंठ फूट पड़ा .बच्चों को बहलाने वाला मिठाई वाला, रोहिणी को पहचानते देर न लगी कि यह वही फेरीवाला है उसने दादी से कहा चुन्नू और मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है उसे कमरे में रोको. रोहिणी स्वयं चिक की ओट में बैठ गई और दादी ने उसे बिठा लिया .दादी ने मोलभाव कर गोलियां ले ली लेकिन रोहिणी के मन में तो उत्सुकता थी कि उसे इस व्यवसाय में क्या बचता है क्योंकि वह इतने कम दामों पर सामान बेचता था .मिठाई वाले ने कहा कि यदि खाने भर को मिल जाता है और कभी नहीं भी मिलता पर संतोष, धैर्य और असीम सुख जरूर मिल जाता है यही वह चाह भी रहा है.


न जाने क्यों मिठाई वाले के जीवन के बारे में जानने की जिज्ञासा रोहिणी की बढ़ती चली गई. उसने उसके घर परिवार के बारे में जानना चाहा. मिठाईवाला भावुक हो उठा उसने गंभीरता से बताना शुरू किया कि मेरे भी बच्चे थे ,सुंदर स्त्री थी, नौकर चाकर थे, लेकिन विधाता की लीला कि सब समाप्त हो गया बस उनकी खोज में निकला हूं. इन्हीं बच्चों में ही उन्होंने कहीं जन्म लिया होगा इन्हीं की खुशी से संतोष पा लेता हूं पैसों की कमी थोड़ी है, जो नहीं है उसे ही पाना चाहता हूं.


अपने बीते दिनों की याद करते ही मिठाईवाला भावुक होता इतने में चुन्नू -मुन्नू मां का आंचल पकड़े मां से मिठाई मांगने लगे. मिठाई वाले ने दो पुड़िया मिठाइयों से भरी उन्हें पकड़ा दी रोहिणी व दादी ने पैसे देने चाहे तो उसने कहा आज यह पैसे न लूंगा कहते हुए उसकी आंखें भर आई यह कहकर उसी प्रकार मीठी आवाज में "बच्चों को बहलाने वाला मिठाई वाला" कह कर आगे बढ़ गया


Q&A



प्रश्न 1 : मिठाईवाला अलग-अलग चीज़ें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?
उत्तर: बच्चे एक चीज़ से ऊब न जाएँ इसलिए मिठाईवाला अलग – अलग चीज़ें बेचता था। बच्चों में उत्सुकता बनाए रखने के लिए वह महीनों, बाद आता था। साथ ही चीज़ें न मिलने से बच्चे रोएँ, ऐसा मिठाई वाला नहीं चाहता था।


प्रश्न 2 : मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे ?
उत्तर: निम्नलिखित कारणों से बच्चे तथा बड़े मिठाईवाले की ओर खिंचे चले आते थे-
(i) मिठाई वाला मादक – मधुर ढंग से गाकर अपनी चीज़ों को बेचता था।
(ii) वह कम लाभ में बच्चों को खिलौने तथा मिठाइयाँ देता था।
(iii) उसके हृदय में बच्चों के लिए स्नेह था, वह कभी गुस्सा नहीं करता था।
(iv) हर बार नई चीज़ें लाता था।


प्रश्न 3 : विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं ?
उत्तर: एक ग्राहक के रूप में विजय बाबू अपना तर्क पेश करते हुए कहते है कि तुम लोगों को झुठ बोलने की आदत होती है। सबको एक ही भाव से सामान बेचते हो ग्राहक को अधिक दाम बताकर उलटा ग्राहक पर ही एहसान का बोझ लाद देते हो।
एक विक्रेता के रूप में मुरलीवाला अपना तर्क पेश करता हुआ कहता है – आपको चीज़ों की असली लागत का अंदाजा नहीं है इसलिए दुकानदार चाहे हानि उठाकर ही चीज़ें क्यों न बेचे पर ग्राहक को हमेशा यही लगता है कि हम उन्हें लूट रहे हैं। ग्राहक को दुकानदार पर विश्वास नहीं होता है। मुरलीवाला कहता है कि असली दाम – दो पैसा ही है, मैंने पूरी एक हज़ार बनवाई थी।


प्रश्न 4 : खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी ?
उत्तर: खिलौनेवाले के आने पर बच्चे खिलौने देखकर पुलकित हो उठते थे। बच्चों का झुंड खिलौनेवाले को चारों तरफ़ से घेर लेता था। वे पैसे लेकर खिलौने का मोलभाव करने लगते थे। खिलौने पाकर बच्चे खुशी से उछलने – कूदने लगते थे।


प्रश्न 5 : रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो आया ?
उत्तर: मुरलीवाला भी खिलौनेवाले की तरह ही गा-गाकर खिलौने बेच रहा था। रोहिणी को खिलौने वाले का स्वर जाना पहचाना लगा इसलिए उसे खिलौनेवाले का स्मरण हो आया।


प्रश्न 6 : किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था ? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया ?
उत्तर: रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया। इस तरह के जीवन में उसे अपने बच्चों की झलक मिल जाती है। उसे ऐसा लगता है कि उसके बच्चे इन्हीं में कहीं हँस – खेल रहे हैं। यदि वो ऐसा नहीं करता तो उनकी याद में घुल-घुलकर मर जाता, क्योंकि उसके बच्चे अब जिंदा नहीं थे। इसी कारण उसने इस व्यवसाय को अपनाया।


प्रश्न 7 : ‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’-कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर: कहानी के अंत में रोहिणी द्वारा मिठाई के पैसे मिठाईवाले ने लेने से मना कर दिया क्योंकि चुन्नू और मुन्नू को देखकर उसे अपने बच्चों का स्मरण हो आया। उसे ऐसा लगा मानो वो अपने बच्चों को ही मिठाई दे रहा है।


प्रश्न 8 : इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
उत्तर: आज भी कुछ औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं जैसे- ग्रामीण महिलाएँ तथा कुछ मुस्लिम परिवारों की महिलाएँ भी ऐसा करती हैं क्योंकि उनमें पर्दा प्रथा का प्रचलन आज भी है। आज के समाज में पर्दा प्रथा सही नहीं है। इसका प्रचलन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। क्योंकि इससे महिलाओं का संकोच पता चलता है जो उनकी प्रगति में बाधक है।


कहानी से आगे



प्रश्न 1 : मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधर पर एक और कहानी बनाइए?
उत्तर: मिठाईवाला एक प्रतिष्ठत तथा सुखी सम्पन्न व्यापारी था। दुर्घटनावश किसी दिन उनकी पत्नी और उनके दोनों बच्चों की मृत्यु हो गई। पत्नी और बच्चों के न होने के कारण व्यापारी को अपना अस्तित्व और अपनी सम्पत्ति व्यर्थ लग रही थी। अतः इसी कारण मिठाईवाले ने अपने दुःख को भुलाने के लिए दूसरे बच्चों की खुशी में अपनी खुशी को ढूढ़ने की चेष्टा की। इसमें उसे काफी हद तक सफलता भी मिली।


प्रश्न 2 : हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन सी चीज़ें आपको सबसे ज़्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने-बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।
उत्तर: हाट-मेले, शादी में निम्नलिखित चीज़ें हमारा ध्यान आकर्षित करती हैं। जैसे- मिठाइयाँ, खिलौने, झूले, चाट, पकौड़े आदि। मिठाइयाँ हलवाई द्वारा बनाए जाते हैं, खिलौने कारीगरों द्वारा बनाए जातें हैं तथा झूले एक से अधिक श्रमिक मिल कर लगाते हैं। उनके चेहरे में परिश्रम और उनकी व्यस्तता स्पष्ट झलकती है।

प्रश्न 3. इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिज़ाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूंढ़िए और पढ़िए।
उत्तर- ऐसी कहानी पुस्तकालय से हूँढ़ें। यह कार्य छात्र स्वयं करें।


अनुमान और कल्पना



प्रश्न 1. आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।
उत्तर- हमारी गली में मौसम के अनुसार कई फेरीवाले आते हैं। जैसे-मूंगफलीवाला, चाटवाला, फलवाला, सब्जीवाला, खिलौनेवाला, आइसक्रीमवाला, कपड़ेवाला आदि। वे सब बड़ी मीठी स्वर में पुकार-पुकार कर अपनी चीजें बेचते थे। ये लोग कम पैसे में पूँजी के आभाव में घूम-घूम कर चीजें बेचते हैं। अगर इनके पास पूँजी होती तो ये भी बड़े दुकानदार होते। चाट, आलू, टिक्की, फेरीवाले से बातचीत

बालक – ऐ चाटवाले भैया !दस रुपये के कितने टिक्की दिए हैं ?
चाटवाला – पाँच की  एक और दस रुपये के दो टिक्की।
बालक – दस रुपये के तीन आते हैं?
चाटवाला – मेरे आलू की  टिक्की विशेष प्रकार की हैं। मैं तो दस रुपया का एक ही देता हूँ।
बालक – अच्छा बीस रुपये का आलू टिक्की दे दो।।


 
प्रश्न 2. आपके माता-पिता के जमाने से लेकर अब तक फेरी की आवाज़ों में कैसा बदलाव आया है? बड़ों से पूछकर लिखिए।
उत्तर- हमारे माता-पिता के जमाने में प्रत्येक वस्तुएँ फेरीवाला ही बेचने आया करता था। वह मधुर स्वर में गा-गाकर अपना सामान बेचा करते थे। फेरीवाला प्रायः सभी तरह की वस्तुएँ लाया करते थे। लेकिन आजकल फेरीवालों की संख्या में काफ़ी कमी आ गई है। लोग प्रायः ब्रांडेड सामान खरीदना पसंद करते हैं, अतः वे अधिकतर दुकान से सामान लेते हैं। फेरीवाले पहले की तरह मधुर स्वर में गाते हुए नहीं चलते हैं। अब उनके मीठे स्वर में कमी आ गयी है।वक्त के साथ फेरी के स्वर भी बदल गए हैं। जैसे – पहले फेरी वाले गाकर या कविता के माध्यम से मधुर स्वर में अपने उत्पाद के गुणों को लोगों तक पहुँचाते थे परन्तु आज के फेरीवालों के स्वर में वैसी मधुरता सुनने को नहीं मिलती। साथ ही लाउडस्पीकर जैसे उपकरणों का भी प्रयोग होने लगा है।


प्रश्न 3. आपको क्या लगता है-वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।
उत्तर- यह सही है कि वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं क्योंकि लोगों की रुचि फेरीवालों से सामान खरीदने में कम होती जा रही है।


भाषा की बात




प्रश्न 1 : मिठाईवाला , बोलनेवाली गुड़िया
ऊपर ‘वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि-
(क) ‘वाला’ से पहले आने वाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या हैं?
(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?

उत्तर:
(क) ‘वाला’ से पहले आनेवाले शब्द जैसे – मिठाई संज्ञा है और बोलना क्रिया है।
(ख) ये शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में है। मिठाईवाला शब्द विशेषण है जबकि बोलने वाली गुड़िया में गुड़िया संज्ञा है और  'बोलनेवाली'  शब्द विशेषण है जो गुड़िया की विशेषता बता रहा है।


प्रश्न 2. “अच्छा मुझे ज़्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”

• उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में-एक ठो लइका, चार ठे आलू, तीन ते बटुली।

• ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं/ बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें। झारखंड की हिंदी, बंगला तथा असमी भाषा में भी ठो का प्रयोग होता है।

प्रश्न 3. भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते आप ये बातें कैसे कहेंगे?

“वे भी, जान पड़ता है, पार्क में खेलने निकल गए हैं।”
‘‘क्यों भई, किस तरह देते हो मुरली?”
“दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर ठहराओ।”


उत्तर-

  • “लगता है वे भी पार्क में खेलने निकल गए हैं?”
  • “भैया, इस मुरली का मूल्य क्या है?”
  • “दादी चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा जाकर उसे कमरे में बुलाओ।”


कुछ करने को 



प्रश्न 1. फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी? उनका घर-परिवार कहाँ होगा? उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे? यह जानने के लिए दो-दो के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ प्रश्न तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवाले से बात करें।
उत्तर- फेरीवाले का जीवन काफ़ी कठिन होता है। वह सुबह से शाम तक गलियों में चक्कर लगाते रहते हैं। उनका घर-परिवार उनसे अलग गाँव या दूसरे शहर में होता है या किसी छोटी कॉलोनियों में। उनके जीवन में अनेक समस्याएँ आती होंगी। जैसे पूरा सामान न बिकना, सामान का खराब हो जाना या सड़ जाना, तबियत खराब होने, अधिक बारिश होने पर, या अधिक गरमी पड़ने से घर से बाहर न निकल पाना। कभी-कभी इन्हें खरीद से कम में भी माल बेचना पड़ता है जिससे कि इनका मूल धन डूब जाए, इस प्रकार की और भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

प्रश्नानुसार आज के दौर में अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवालों से उनकी समस्याओं व जीवन के बारे में बात करें।

प्रश्न 2. इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है? समूह में बातचीत कीजिए।
उत्तर- हाँ, फेरीवाले के जीवन से इस बात का पता लगता है कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से दुख कम हो जाता है। जैसे मिठाईवाले के बच्चे और पत्नी की मृत्यु के बाद, वह दुसरे बच्चों को जब उनकी पसंद का सामान ला-लाकर बेचता तो उनके चेहरे पर खुशी की लहर देखकर उसे संतोष, धैर्य और सुख की अनुभूति होती थी। वह उन्हीं में अपने बच्चों की झलक देखता था। इसलिए कहा भी है कि दुख बाँटने से कम होता है।

प्रश्न 3. अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए।
उत्तर- मिठाईवाला मीठा स्वर, लंबा दुबले पतले शरीर, भूरी-भूरी आँखें, सिर पर टोकरी, पैरों में चप्पल, पजामा, कुर्ता पहने, कंधे पर गमछा लिए चलता होगा। वह सिर पर पगड़ी बाँधता होगा। उसके कंधों पर फेरी का सामान होता होगा, जिसमें खट्टीमीठी, स्वादिष्ट, सुगंधित गोलियाँ होंगी। जब वह मीठी स्वर में आवाज़ लगाते हुए गली में आता होगा तो बच्चे दौड़कर उसे घेर लेते होंगे।




जय हिन्द 
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