kaidi aur kokila class 9 | कैदी और कोकिला

कैदी और कोकिला Kaidi Aur Kokila
माखनलाल चतुर्वेदी Makhanlal Chaturvedi

kaidi aur kokila class 9 | कैदी और कोकिला | openclasses
NCERT Solutions for class 9 kshitij chapter 12

पाठ -12

कैदी और कोकिला 

kaidi aur kokila class 9 PDF





 ध्वनि प्रस्तुति 







कैदी और कोकिला का सारांश
Kaidi Aur Kokila Summary

कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी ने “कैदी और कोकिला” कविता को उस समय लिखी था, जब हमारा देश ब्रिटिश शासन के अधीन गुलामी के जंजीरों में जकड़ा हुआ था। कवि स्वयं भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिस वजह से उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा था। जेल जाने के पश्चात उन्हें इस बात का पता चला था  कि जेल जाने के बाद स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कितना दुर्व्यवहार किया जाता है।ब्रिटिश सरकार के इस अत्याचार को उस समय सभी जनता के सामने लाने के लिए उन्होंने इस कविता की रचना की।


अपनी कविता में कवि ने जेल में बंद एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ एक कोयल का भी वर्णन किया है। इस कविता में कवि हमें जेल में मिल रही उस समय की यातनाओं के बारे में बता रहे है। कवि (कैदी) के अनुसार, जहाँ पर चोर-डाकुओं को रखा जाता है, वहाँ उन्हें (स्वतंत्रता सेनानियों) को रखा गया है। उन्हें भर-पेट भोजन भी नसीब नहीं होता। न वह रो सकते हैं और न ही चैन की नींद सो सकते हैं। जेल में उन्हें बेड़ियाँ और हथकड़ियाँ पहन कर रहना पड़ता है। वहां उन्हें ना तो चैन से जीने दिया जाता है और न ही चैन से मरने दिया जाता है। ऐसे में, कवि चाहते हैं कि यह कोयल समस्त देशवासियों को मुक्ति का गीत सुनाए । 

हुँकार है कवि की ब्रितानी बंदूक तले .
मुक्तिगान पनपता कोकिल की हूक तले ..




कैदी और कोकिला कविता का भावार्थ
Kaidi Aur Kokila kavita ka Bhavarth 

 

1

क्या गाती हो?
क्यों रह-रह जाती हो?
कोकिल बोलो तो!
क्या लाती हो?
संदेशा किसका है?
कोकिल बोलो तो!


भावार्थ :- उपर्युक्त पंक्तियों में कवि ने कारागार (जेल) में बंद स्वतंत्रता सेनानियों की मनोस्थिति और पीड़ा को दर्शाया है। जब कवि रात के घोर अंधेरे में कारागृह के ऊपर एक कोयल को गीत गाते हुए सुनते है, तब कवि के मन में कई प्रकार के भाव एवं प्रश्न उत्पन्न होने लगते हैं। उन्हे ऐसा प्रतीत होता है कि कोयल उनके लिए कोई प्रेरणा के स्रोत से भरा हुआ संदेश लेकर आयी है।

कवि अपने मन में उपस्थित सभी प्रश्न कोयल से पूछ देते है कि कोयल! तुम क्या गा रही हो? फिर गाते-गाते तुम बीच-बीच में चुप क्यों हो जाती हो? कवि कोयल से कहते है – हे कोयल! ज़रा तुम बताओ तो, क्या मेरे लिए कोई संदेश लेकर आयी हो? यदि किसी प्रकार का संदेश लाई हो, तो उसे कहते हुए बार-बार चुप क्यों हो जा रही हो और यह संदेश तुम्हें कहाँ से प्राप्त हुआ है, ज़रा मुझे भी तो बताओ।




2


ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट-भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली?


भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अंग्रेज़ों द्वारा किए गए अत्यचार एवं उनके काले कारनामों को जनता के सामने प्रस्तुत किया है। पराधीन भारत में, जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानी और उनके ऊपर होने वाले अत्याचार एवं अपनी दयनीय स्थिति का वर्णन करते हुए कहते है कि उन्हें जेल के अंदर अंधेरे में काली और ऊँची दीवारों के बीच डाकू, चोरों-उचक्कों के साथ रहना पड़ रहा है। जहाँ उन सेनानियों के साथ कोई मान सम्मान नहीं होता है।

उन्हें जीवन व्यतीत करने के लिए पेट-भर खाना भी नहीं दिया जाता और न ही उन्हें मरने दिया जाता है। किसी तरह उन कैदियों को तड़पा-तड़पा कर जीवित रखना ही प्रशासन का उद्देश्य है। इस प्रकार उनकी पूरी स्वतंत्रता ही उनसे छीन ली गई है और उनके ऊपर हर समय कड़ा पहरा लगा होता है।

उन कैदियों के साथ अंग्रेजी शासन बहुत अन्याय कर रहा है, अंग्रेज़ों के शासनकाल में जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानी को आकाश में भी घनघोर अंधकार रूपी निराशा दिख रही है, जहाँ न्याय रूपी चंद्रमा का थोड़ा-सा भी प्रकाश उपस्थित नहीं है। इसलिए स्वतंत्रता सेनानी के माध्यम से कवि कोयल से पूछते है – हे कोयल! इतनी रात को तुम क्यों जाग रही हो और दूसरों को क्यों जगा रही हो ? क्या तुम कोई संदेश लेकर आयी हो?




3


क्यों हूक पड़ी?
वेदना बोझ वाली-सी;
कोकिल बोलो तो!
क्या लूटा? 
मृदुल वैभव की
रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो!


भावार्थ :- इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कोयल की आवाज में उपस्थित दर्द  को महसूस कर रहे थे कि शायद कोयल को भी जेल में बंद भारतीयों की वेदना का एहसास हो रहा था। उसे ऐसा लगता है कि कोयल ने अँग्रेज़ सरकार द्वारा किये जाने वाले अत्याचार को देख लिया है इसीलिए उसके कंठ से मीठी एवं मधुर ध्वनि की जगह वेदना के स्वर सुनाई पड़ रहे हैं, जिसमें कोयल के दर्द की हूक शामिल है। कवि के अनुसार कोयल अपनी वेदना सुनाना चाहती है।

कवि कोयल से पूछ रहे है – कोयल! तुम बताओ तो मुझे कि तुम्हारा क्या लुट गया है, जो तुम्हारे गले से वेदना की ऐसी हूक सुनाई दे रही है? कोयल तो अपनी सबसे मीठी एवं सुरीली आवाज के लिए सभी जगह विख्यात है, जिसे गाते हुए सुनकर कोई भी मनुष्य कहीं भी प्रसन्न हो जाता है लेकिन जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानी को कोयल की आवाज़ न ही सुरीली और न ही मीठी लगी. आजादी के सेवकों को  कोयल की आवाज़ में वेदना और दुःख की अनुभूति हुई इसीलिए वह व्याकुल हो गए और कोयल से बार-बार प्रश्न पूछने लगे कि बताओ कोयल तुम्हारे ऊपर क्या विपदा आई है?




4


क्या हुई बावली?
अर्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखीं?
कोकिल बोलो तो!


भावार्थ :-कवि इन पँक्तियों  के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि जेल में उपस्थित स्वतंत्रता सेनानी को कोयल का इस प्रकार आधी रात के अंधकार में गाना (चीखना), बड़ा ही अस्वाभाविक लग रहा है। इसी कारण कवि उस कोयल को बावली कहते हुए उससे पूछ रहे है कि तुम्हें क्या हुआ है? तुम इस तरह आधी रात में क्यों चीख रही हो? क्या तुमने जंगल में लगी हुई आग देख ली है? यहाँ पर कवि ने जंगल की भयावह आग के रूप में अंग्रेज़ी सरकार की यातनाओं की तरफ इशारा किया है। उन्हें ऐसा लग रहा है कि कोयल ने अंग्रेज़ी सरकार की हैवानियत देख ली है, इसलिए वह चीख-चीख कर ये बात सबको बता रही है।




5


क्या? –देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश-राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ?- जीवन की तान,
गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गज़ब ढा रही आली?


भावार्थ :– प्रस्तुत पंक्ति द्वारा कवि को यह लगता है कि कोयल उसे जंजीरों में बंधा हुआ देखकर चीख पड़ी है। इसलिए कैदी कोयल से कहता है – क्या आप हमें इस प्रकार जंजीरों में लिपटा हुआ नहीं देख सकती? अरे, यह तो एक गहना है जो अंग्रेजी सरकार द्वारा दिया गया है।

अब तो कोल्हू के चलने की आवाज भी हमारे जीवन का प्रेरणा-गीत बन गया है। दिन-भर इस पत्थर को तोड़ते-तोड़ते हम उन सभी पत्थरों पर अपनी उंगलियों से भारत की स्वतंत्रता के गाने लिख रहे हैं। हम अपने पेट पर रस्सी बांध कर कोल्हू का चरखा चला-चला कर, ब्रिटिश सरकार की अकड़ के कुआँ को खाली कर रहे हैं।

अर्थात् हम इतनी यातनाएं सहने और भूखे रहने के बाद भी अंग्रेज़ी शासन के सामने नहीं झुक रहे हैं, जिससे उनकी अकड़ ज़रूर कम हो जाएगी। इसी वजह से हर दिन हमारे अंदर यातनाओं को सहने का आत्मबल आ जाता है, इसी आत्मबल के कारण हमारे अंदर न ही कोई करुणा उत्पन्न नहीं होती है और ना ही हम कभी रोते हैं। शायद तुम्हें यह बात पता चल गई है, इसीलिए शायद तुम मुझे रात में सांत्वना देने आयी हो। परन्तु, तुम्हारे इस वेदना भरे स्वर ने मेरे ऊपर ग़जब ढा दिया है और मेरे मन को व्याकुल कर दिया है।



6


इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!


भावार्थ :- आगे कवि कोयल से कहता है कि इस आधी-रात्रि में तुम अँधेरे को चीरते हुए इस तरह क्यों रो रही हो? हे कोयल तुम बोलो तो, क्या तुम हमारे अंदर उपस्थित विद्रोह की भावना को अंग्रेज़ी सरकार के ख़िलाफ़ जगाना चाहती हो? इस तरह कवि ने जेल में कैद एक स्वतंत्रता सेनानी के मन की दशा का वर्णन किया है कि किस प्रकार कोयल यह गीत गा-गा कर भारतीयों में देश-प्रेम एवं देशभक्ति की भावना को मजबूत बनाना चाहती है, ताकि वे अंग्रेजों द्वारा कैद किए गए स्वतंत्रता सेनानियों को मुक्ति दिला सकें।



7


काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह-श्रृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली!


भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अंग्रेज़ी शासन-काल के दौरान चल रहे जेलों में बंद स्वतंत्रता सेनानियों के अत्याचार का वर्णन किया है। हमारे समाज में काले रंग को दुःख और अशांति माना गया है। इसीलिए कवि ने यहाँ पर काले रंग से हर एक चीज को दर्शाया है। कवि कैदी के माध्यम से कह रहा है कि कोयल तुम तो खुद ही काली हो, ये अंधेरी रात भी पूरी काली है और ठीक इसी तरह अंग्रेज़ी सरकार द्वारा की जाने वाली सभी करतूतें भी काली है और जेल की चारदीवारी के अंदर चलने वाली हवा भी काली है।

मैंने जो टोपी पहनी हुई है, जो कम्बल मैं ओढ़ता हूँ, जो लोहे की जंजीरें पहन रखी हैं, यह सब काली है और इसी वजह से हमारे अंदर उत्पन्न होने वाली कल्पनाएं भी काली हो गई हैं। अंग्रेजी सरकार की इतनी सारी यातनाओं को सहने के बाद भी हमें हमारे ऊपर पूरा दिन नजर रखने वाले पहरेदारों की हुंकार और गाली भी सुननी पड़ती हैं। जो किसी काले रंग के सांप की भाँति हमें डँसने को दौड़ती हैं।



8


इस काले संकट-सागर पर
मरने की, मदमाती!
कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती!
कोकिल बोलो तो!


भावार्थ :- कवि यह बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा है कि कोयल आजाद होने के बाद भी इस अँधेरी आधी रात में कारागार के ऊपर मंडराकर अपनी मधुर आवाज़ में गीत क्यों गा रही है। क्या वह इस संकट में अपने आपको को इसलिए ले आयी है कि उसने मरने की सोच ली है। यदि वह कोयल यही सोच रही है तो उसका कोई लाभ होने वाला नहीं है। इसलिए कैदी कोयल से पूछ रहा है – हे कोयल!  बताओ तुम क्यों इस विपरीत परिस्थिति में भी आज़ादी की भावना को जगाने वाले गीत गा रही हो?



9


तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी!



भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने स्वतंत्र उड़ रहे कोयल एवं जेल में बंद कैदी की मनःस्थिति की तुलना बड़े ही मार्मिक ढंग से की है। जहाँ एक तरफ कोयल पूरी स्वतंत्रता के साथ किसी भी पेड़ की डाली में जाकर बैठ सकती है। किसी भी जगह पर वह विचरण कर सकती है और अपने पसंदीदा गीत गा सकती है। वहीँ दूसरी तरफ हम सभी स्वतंत्रता सेनानियों को  कैदी के रूप में अंधकार से भरी हुई 10 फुट की जेल की चारदीवारी है। जिसके अंदर ही हमें अपना जीवन व्यतीत करना है, हम वहाँ अपनी इच्छानुसार कुछ भी नहीं कर सकते है।

कोयल के मधुर गाने को सुनकर सभी लोग वाह-वाह की तरीफ़े करते हैं। वहीँ किसी कैदी के रोने पर कोई सुनता तक नहीं है। इस प्रकार, कैदी और कोयल की परिस्थिति में ज़मीन-आसमान का अंतर  है, परंतु फिर भी कोयल युद्ध का गीत क्यों गा रही है? कैदी कोयल से यही जानना चाहता है कि आखिर इस तरह कोयल को रहस्यमय ढंग से गाने का क्या मतलब है?



10 


इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो!


भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने कोयल और कैदी दोनों के अंदर उपस्थित  स्वतंत्रता की प्रबल भावना को दर्शाया है। जिस तरह कोयल अपने जोशीले गीत के माध्यम से देशवासियों के मन में विद्रोह की भावना को जागृत कर रही है, उसी तरह कैदी भी स्वंत्रता प्राप्ति के लिए लगातार अंग्रेज़ी सरकार की यातनायें सहन कर रहे है। इसीलिए कवि ने यहाँ कोयल के स्वर को कैदी के लिए आजादी का संदेश बताया है। जिसे सुनकर कैदी कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाए।

इसलिए इन पंक्तियों में कैदी कोयल से पूछ रहा है कि हे कोयल! तुम मुझे बताओ कि मैं गांधी जी द्वारा चलाये गए इस स्वतंत्रता संग्राम में किस तरह अपने प्राण झोंक दूँ? मैं तम्हारे संगीत को सुनकर अपनी रचनाओं के द्वारा क्रान्ति की ज्वाला भड़काने वाली अग्नि तो पैदा कर रहा हूँ, लेकिन तुम मुझे बताओ कि मैं देश की आज़ादी के लिए और क्या कर सकता हूँ?




Q&A


Kaidi Aur Kokila Question Answer 
कैदी और कोकिला प्रश्न उत्तर 


प्रश्न 1: कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर : आधी रात को कोयल की कूक सुनकर कवि को यह लगा कि कोयल कोई संदेश लेकर आई है. वह कुछ विशेष बात कहना चाहती है। कोयल या तो उसे (कैदी या कवि) लगातार लड़ते रहने की प्रेरणा देना चाहती है या उसकी यातनाओं से मिलने वाले दर्द को बाँटना चाहती है। उसे लगता है कि कोकिल कवि के दुखों को देखकर अपने आँसू बहा रही है और चुपचाप अँधेरे को बेधकर विद्रोह की चेतना जगा रही है।


प्रश्न 2: कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?

उत्तर :  कवि ने कोकिला के बोलने के निम्नलिखित कारणों की संभावनाएँ बताई हैं :-

  • कोकिला कोई संदेश देना चाहती है। वह जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों को देशवासियों की दुर्दशा के बारे में बताने आयी है।
  • कोयल कैद हुए स्वतंत्रता सेनानियों को धैर्य बँधाने एवं दिलासा देने आई है। उसे ऐसा देखकर बहुत परेशानी होती है।  
  • समस्या अत्यंत गंभीर है। इसलिए वह सुबह होने की प्रतीक्षा नहीं कर पाती।
  • कोकिला को लेखक की जंजीरों को देखकर दया आती है और वह उन्हें खोलना चाहती है। वह कैद हुए स्वतंत्रता सेनानियों के दुखों पर मरहम लगाने आई है।
  • रात की कालिमा के सहारे अपने काले कष्ट को दूर करना चाहती है।



प्रश्न 3: किस शासन की तुलना 'तम' के प्रभाव से की गई है और क्यों?

उत्तर : अंग्रेज़ी शासन की तुलना कवि ने 'तम' के प्रभाव से की है क्योंकि अंग्रेज़ी सरकार की कार्य प्रणाली अंधकार की तरह काली थी। यहाँ अन्याय अंधकार का प्रतीक है क्योंकि अंग्रेज़ों का  शासन अन्यायपूर्ण था.  ब्रिटिश शासक बेकसूर भारतीयों पर घोर अत्याचार कर रहे थे। उन्होंने जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों को तरह-तरह की यातनाएँ दीं। उन्हें कोल्हू के बैल की तरह जोता गया इसलिए पराधीन भारत में ब्रिटिश शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है 

प्रश्न 4: कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर : 
पराधीन भारत के समय के जेलों में भारतवासियों को पशुओं की भाँति-रखा जाता था। उन्हें इस प्रकार की यातनाएँ दी जाती थीं कि सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कविता के आधार पर दी जाने वाली कुछ यातनाएँ निम्नलिखित हैं-

  • उन्हें ऊँची-ऊँची दीवारों वाली जेलों में कैद कर के रखा जाता था।
  • उन्हें दस फुट की छोटी-छोटी कोठरियों में कैद कर के रखा जाता था।
  • उन्हें भरपेट खाने के लिए खाना भी नहीं दिया जाता था।
  • उनके साथ पशुओं-सा व्यवहार किया जाता था।
  • उन्हें बात-बात पर सिर्फ गालियाँ ही दी जाती थीं।
  • उन्हें तड़प-तड़प कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता था।


प्रश्न 5: भाव स्पष्ट कीजिए –

(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो!

उत्तर : मृदुल वैभव की रखवाली से यहाँ कवि का तात्पर्य कोयल की मीठी तथा कोमल आवाज़ से है। उसकी आवाज़ में मिठास होने के बाद भी जब वह वेदना पूर्ण आवाज़ में चीख़ उठती है तो कवि उससे उसकी वेदना का कारण पूछता है। कवि के अनुसार, संसार में दुख-ही-दुख हैं, यदि कहीं पर कुछ मृदुलता और सरसता बची भी है तो वह कोयल के मधुर स्वर में ही बची है। अतः कोयल मृदुलता भरे स्वरों की रखवाली करने वाली है।

(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ।

उत्तर : अंग्रेज़ी सरकार कवि से पशुओं के समान परिश्रम करवाते हैं। ब्रिटिश शासन की असहनीय यातनाएँ झेलता हुआ कवि स्वाभिमानपूर्वक कहता है कि पेट पर जूआ बाँधकर कुँए से पानी निकलवाया जाता है परन्तु इससे भी वे दु:खी नहीं होते और न ही हार मानते हैं . सभी सेनानी अंग्रेज़ी सरकार के षड़यंत्र को विफल कर उनकी अकड़ को समाप्त कर देना चाहते हैं। यह सब देखकर अब अंग्रेज़ों को समझ आ गया है कि अब इन सेनानियों पर अत्याचार करने से भी वे सफल नहीं हो सकते है।

प्रश्न 6: अर्द्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है?

उत्तर : आधी रात में कोकिला की चीख से कवि को यह आशंका होती है कि कोयल  को किसी प्रकार का कष्ट है। आधी रात में कोयल की चीख सुनकर कवि को यह अंदेशा होता है कि उसने भारतीयों के अंदर उपस्थित आक्रोश एवं असंतोष की ज्वाला को देख लिया होगा। कवि को लगता है कि वह किसी डाकू की कैद में है जोकि उसे पेट भर खाने को नहीं देता, उसे तरह-तरह की मानसिक तथा शारीरिक यातनाओं को सहना पड़ता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए क्रांति की गई है कोयल उसी ज्वाला (क्रांति) की सूचना देने के लिए जेल परिसर के पास आई है।

प्रश्न 7: कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?

उत्तर : कवि को कोयल से ईर्ष्या हो रही है इसका सबसे बड़ा कारण कोयल की स्वतंत्रता तथा कवि की पराधीनता है। कवि अंग्रेज़ी सरकार की काल-कोठरी में कैद है परन्तु कोयल हरियाली और डाली पर रहती है। वह पूरे आकाश में स्वतंत्र उड़ सकती है परन्तु कवि की दुनिया काल-कोठरी के अंधकारमय जीवन में सिमटकर रह गई है। कोयल गीत गाकर अपनी खुशी ज़ाहिर कर सकती है परन्तु कवि के लिए रोना भी गुनाह है जिसकी उसे सज़ा मिल सकती है। कोयल भाव-अभिव्यक्ति के लिए स्वतंत्र है जबकि कवि मनोभावों को दबाने के लिए विवश है .


प्रश्न 8: कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है?

उत्तर : कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कुछ मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल हरी डाली पर बैठकर अपनी मधुर वैभवशाली आवाज़ से संपूर्ण सृष्टि को अलंकृत करती है, उसके मधुर गीतों से उसकी खुशी झलकती है, वह स्वतंत्रता पूर्वक अपना गीत गाती है परन्तु अब वह अपनी इन विशेषताओं को नष्ट करने पर तुली है। वह बावली-सी प्रतीत हो रही है। यूँ असमय अत्यंत मधुर स्वर में गीत गाना विचित्र सा लग रहा है।

प्रश्न 9: हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है?

उत्तर : पं. माखनलाल चतुर्वेदी क्रांतिकारी कवि थे, उन्होनें स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए स्वयं से प्रेरणा प्राप्त करके संघर्ष का मार्ग अपनाया था। वे जेल को अपना प्रिय आवास मानते थे तथा हथकड़ियों को गहना समझते थे। उन्हें कभी भी किसी गलत कार्य के लिए हथकड़ी नहीं पहननी पड़ी। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के महान उद्देश्य के लिए हथकड़ियाँ स्वीकार कीं, अतः उनसे उनका गौरव और भी बढ़ा। समाज ने उन्हें उन हथकड़ियों के लिए प्रतिष्ठा प्रदान की इसलिए उन्होंने हथकड़ियों को गहना कहा।

प्रश्न 10: ‘काली तू …. ऐ आली!’ – इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।

उत्तर : ‘काली तू … ऐ आली!’ इन पंक्तियों में काली शब्द की आवृत्ति बार-बार ( नौ बार ) हुई है। इस शब्द का अर्थ भी उसके संदर्भानुसार है। संदर्भ के अनुसार काली शब्द के निम्नलिखित अर्थ हैं-

हथकड़ियाँ, रात, कोयल आदि का रंग काला बताने के लिए।
अंग्रेजों के अन्यायपूर्ण कारनामों को बताने के लिए इसकी तुलना ब्रिटिश सरकार की काली करतूत से की गई है.
पराधीन भारतीयों के भविष्य को अंधकारमय बताने के लिए यह वातावरण की कालिमा का प्रतीक है.
अंग्रेज़ों के प्रति भारतीयों के मन में उठने वाले आक्रोश के संबंध में.
गुलामी की  पराकाष्ठा के समय  इसका अर्थ निराशा के रुप में किया गया है।


प्रश्न 11: काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –

(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?

उत्तर : (क) यहाँ कवि कोयल की वेदना पूर्ण आवाज़ पर अपनी आशंका व्यक्त कर रहा है। अपनी प्रश्नात्मक शैली से कवि कोयल के कष्ट का अनुमान लगा रहा है। कवि ने विम्बात्मक शैली का प्रयोग किया है, भाषा में सहजता तथा सरलता है।

(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!


उत्तर : प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कवि ने अपने तथा कोयल के जीवन की विषमताओं की ओर संकेत किया है। कवि ने यहाँ तुकबंदी का प्रयोग किया है, अपनी तथा कोयल के जीवन की तुलना की है तथा सरल भाषा का प्रयोग किया है।


प्रश्न  12: कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है?

उत्तर : यहाँ कोकिला भारत माता का प्रतीक है। कोकिला रात के समय नहीं बोलती है। उसकी आवाज़ से कवि को वेदना की अनुभूति होती है। अत: रात को उसका इस प्रकार से करुण स्वर में गाना आने वाले किसी संकट का प्रतीक है। कोकिला की आवाज़ अन्य पक्षियों से अधिक मधुर तथा भिन्न है। इसलिए कवि ने कोकिला की ही बात कही है।

प्रश्न 13: आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा?

उत्तर : ब्रिटिश सरकार स्वतंत्रता सेनानियों तथा अपराधियों में कोई अंतर नहीं समझती थी। ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के अधिकार को छीन लिया था। अत: अपने अधिकारों की प्राप्ति तथा भारत वासियों को आज़ादी दिलाने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत संघर्ष किया। भारतीयों पर अपना वर्चस्व कायम रखने तथा स्वतंत्रता सेनानियों के मनोबल को तोड़ने के लिए वे स्वतंत्रता प्रेमियों तथा अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार करते थे।




Work-sheet




Activity 

* कविता से संबंधित अपनी मनपसंद पंक्तियाँ अभ्यास पुस्तिका  में लिखें व याद करें. 



openclasses presents 9th study material of all chapters of NCERT-CBSE books. This 9th class study material pdf includes all types of questions and answers in simple language. Students can read, listen and revise 9 class study material anytime from here. In this platform HOTs and LOTs are included in 9th class study material. High-quality class 9 study material with simple language and excellent understanding is presented in a different way by openclasses. study for class 9 before class 10th becomes very important. The skill and efficiency required in the 10th class start to be formed from class 9 study, so smart and hard work is required from 9th class itself.



जय हिन्द 
----------------

Post a Comment

0 Comments