Nadan Dost Class 6 | नादान दोस्त | नादाँ दोस्त

मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित 'नादान दोस्त' कक्षा-6 की वसंत भाग-1 का पाठ-3 है . (NCERT Solutions for Class-6 Hindi Vasant Bhag-1 Chapter-3) openclasses Presents Best Study Material for class 6. नादान दोस्त PDF nadan dost pdf | Nadan Dost Audio | nadan dost shabdarth नादान दोस्त शब्दार्थ | नादान दोस्त पाठ का सार nadan dost class 6 hindi summary | नादान दोस्त प्रश्न-उत्तर | NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 | Class 6 Hindi Chapter 3 Nadan Dost Question Answer nadan dost question answer नादान दोस्त पाठ के प्रश्न उत्तर | nadan dost bhasha ki baat नादान दोस्त भाषा की बात | nadan dost extra question answers

openclasses



नादान दोस्त PDF
nadan dost pdf




nadan dost path ka audio

ध्वनि प्रस्तुति




nadan dost kahani ke shabdarth
नादान दोस्त शब्दार्थ


शब्दार्थ




  • कार्निस -दीवार के ऊपर का आगे बढ़ा हुआ भाग
  • मालूम- पता
  • मजा- आनंद
  • सुध -ध्यान, जानकारी
  • तरह-तरह के -अनेक प्रकार के
  • सवाल -प्रश्न
  • जवाब -उत्तर
  • फुर्सत- खाली समय
  • तसल्ली -सांत्वना
  • फुर्र से -शीघ्र से
  • गर्व -अभिमान, घमंड
  • बगैर -बिना
  • बेचारी - असहाय , जिसकी कोई देखभाल करने वाला न हो
  • पेंचीदा -मुश्किल
  • जिज्ञासा -जानने की इच्छा , उत्सुकता
  • अधीर- जिसमें धैर्य न हो ,उतावला
  • अनुमान- अंदाजा
  • चारा -जानवरों का भोजन
  • मुसीबत -विपत्ति
  • तकलीफ -कष्ट
  • बेचारे -कमजोर, बलहीन
  • आखिर- अंत
  • फैसला -निर्णय
  • प्रस्ताव -सुझाव
  • स्वीकृत होना -मंजूर होना
  • चाव- शौक
  • आँख बचाकर- नजरों से बचकर
  • उधेड़बुन -सोच विचार
  • आखिरकार- अंत में
  • हल करना -सुलझाना
  • सूराख -छेद
  • हिकमत- उपाय, युक्ति
  • चालाक -चतुर, होशियार
  • बहलाना -खुश करना
  • मौका -अवसर
  • इंतजार -प्रतीक्षा
  • हिफाजत -रक्षा
  • तरफ -ओर
  • वक्त- समय
  • दबी आवाज से -धीरे से
  • वरना -नहीं तो
  • चिथड़े - फटे हुए ,पुराने कपड़े
  • टहनी- पेड़ की शाखा,
  • आहिस्ता से- धीरे-धीरे
  • चटनी कर डालना -खूब पीटना
  • किवाड़ -दरवाजा
  • मोहब्बत -प्यार , प्रेम
  • कसूर - दोष, अपराध
  • हिस्सेदार -भागीदार ,साथी
  • वजह -कारण
  • फैसला -निर्णय
  • यकायक -एकदम,सहसा , अचानक
  • ताकना -देखना
  • संयोग से -यकायक ,सहसा ,अचानक से
  • उल्टे पांव दौड़ना -देखते ही दौड़ पड़ना
  • चीज -वस्तु
  • चेहरे का रंग उड़ना- घबरा जाना
  • सहमी हुई -घबराई हुई
  • उजला -साफ़
  • सोटी - डंडा या छड़ी
  • तरस -दया
  • सजा -दंड
  • भीगी बिल्ली बना -डरा हुआ
  • थामना- सहारा देना ,पकड़ना
  • सूरत -शक्ल
  • अफसोस- दुख
  • हिफाजत -सुरक्षा
  • जोग -प्रयास ,कोशिश, युक्ति
  • सत्यानाश - पूर्ण नाश , बहुत हानि



नादान दोस्त पाठ का सार
nadan dost class 6 hindi summary


 सारांश  

'नादान दोस्त' प्रेमचंद जी की एक बाल कहानी है ,जिसमें उन्होंने केशव और उसकी बहन श्यामा की मासूमियत,नादानी और पक्षियों के प्रति उनकी उत्सुकता का वर्णन किया है. केशव और उसकी बहन श्यामा चिड़िया के अंशों को सहेजना चाहते थे लेकिन बाल सुलभ लापरवाही की कारण अंडे फूट जाते हैं जिस कारण केशव और श्यामा बहुत दुखी होते हैं .

केशव और उसकी बहन श्यामा अपने घर पर कार्निस के ऊपर पड़े अंडों को बड़े ध्यान से देखा करते थे . उन्हें देखने में उन्हें मजा आता था . अंडों के बारे में उनके दिल में तरह-तरह के सवाल उठते थे . अंडे कितने बड़े होंगे ? किस रंग के होंगे ? घोंसला कैसा होगा? उन्हें इन बातों का जवाब देने वाला कोई नहीं था इसलिए केशव और श्यामा आपस में ही सवाल जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे .

इन अण्डों के बारे में दोनों बच्चों की जिज्ञासा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी . उन्होंने अनुमान लगाया कि अब बच्चे निकल आए होंगे .उन्हें उन बच्चों के लिए चारा(दाना-पानी) जुटाने की चिंता हुई . चिड़िया के बच्चों की भूख मिटाने के लिए उन दोनों ने कार्निस पर थोड़ा सा दाना रखने का फैसला किया. उन्हें धूप से बचाने के लिए घोंसले के ऊपर कपड़े की छत बनाने और पानी की प्याली तथा थोड़े से चावल रखने का भी उन्होंने फैसला कर लिया . दोनों बच्चों ने अपने इस कार्य को बड़े शौक से करना आरंभ कर दिया . श्यामा मटकी से चावल निकाल लाई और केशव ने पत्थर की प्याली को साफ कर उसमें पानी भार दिया . कूड़ा फेंकने वाली टोकरी के सूराख में थोड़ा सा कागज ठूँसकर उसे एक टहनी से टिका कर घोंसले के लिए छत तैयार कर दी.


गर्मी के दिन थे .बाबूजी दफ्तर गए हुए थे .जैसे ही अम्मा जी अच्छी तरह सो गईं दोनों चुपके से उठे और बहुत धीरे से दरवाजा खोलकर बाहर निकल गए . केशव कमरे से स्टूल लाया . उससे काम न चलने पर वह चौकी उठा लाया और उस पर स्टूल रखकर डरते-डरते स्टूल पर चढ़ गया . ज्यों ही उसने कार्निस पर हाथ रखा, दोनों चिड़िया उड़ गईं .वहाँ तीन अंडे थे. श्यामा ने उन्हें देखना चाहा पर केशव बोला पहले चिथड़े ले आओ उन्हें अंडों के नीचे बिछाता हूँ बेचारे अंडे तिनको पर पड़े हैं . केशव ने कपड़ा लेकर उससे एक गद्दी बनाई और उसने तीनों अण्डों को उस पर रख दिया . उसने टोकरी को एक टहनी से टिका दिया और श्यामा को दाना तथा पानी की प्याली लाने के लिए कहा . श्यामा ने केशव से गिड़गिड़ा कर कहा कि उसे भी ऊपर चढ़ाकर अंडे दिखा दे लेकिन केशव को डर था कि यदि श्यामा गिर गई तो अम्मा खूब पीटेगी इसलिए केशव ने उससे कहा कि तू उन्हें देख कर क्या करेगी? अंडे आराम से हैं.


दोनों चिड़ियाँ बार-बार कार्निस पर आती थीं और बिना बैठे ही उड़ जाती थीं . केशव ने सोचा कि उनके डर से चिड़ियाँ वहाँ नहीं बैठतीं . इस कारण केशव ने स्टूल उठाकर कमरे में रख दिया और चौकी भी वहाँ से ले गया .


इसी बीच माँ की नींद खुल गई .उसने केशव और श्यामा से पूछा कि तुम दोनों बाहर कब निकले? किवाड़ किसने खोला था? दरवाजा केशव ने खोला था पर श्यामा ने माँ को यह नहीं बताया .माँ ने दोनों को डाँट- डपट कर फिर कमरे में बंद कर दिया.


4:00 बजे अचानक श्यामा की नींद खुली . वह दौड़ी हुई कार्निस के पास आई . अचानक से उसकी नजर नीचे गई जहाँ अंडे गिरे पड़े थे . वह बोली - बच्चे उड़ गए हैं ! केशव घबराकर बाहर आया. पानी की प्याली भी एक तरफ टूटी पड़ी थी. यह देख वह घबरा गया उसने श्यामा से कहा कि अंडे फूट गए हैं . अंडों में से उजला-उजला पानी निकल आया है . उसी पानी से दो-चार दिन में बच्चे बन जाते.


माँ ने छड़ी हाथ में लिए हुए कहा - धूप में क्या कर रहे हो ? श्यामा ने कहा - अम्मा जी चिड़िया के अंडे टूटे पड़े हैं . माँ ने गुस्से में कहा कि तुमने उन्हें छुआ होगा .श्यामा ने कहा कि भैया ने उन्हें इस तरह रख दिया कि वे नीचे गिर पड़े. माँ ने केशव से कहा कि छूने से चिड़िया के अंडे गंदे हो जाते हैं . चिड़िया फिर उन्हें नहीं सेती (पालती ) है . केशव बोला - मैंने तो सिर्फ अंडों को कपड़े की गद्दी पर रख दिया था . यह सुन माँ को हँसी आ गई पर केशव को अपनी गलती पर बहुत अफसोस हुआ . उसने अंडों की हिफाजत करते-करते उनका सत्यानाश कर डाला था.


नादान दोस्त कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है

यदि केशव और श्यामा को यह बात पता होती कि चिड़िया के अंडे छूने के बाद चिड़िया उन्हें नहीं पालती है तो शायद अंडे फूटने से बच जाते. केशव और श्यामा को अंडे छूने से पहले अपने से बड़े व अनुभवी व्यक्तियों की सलाह ले लेनी थी. घर में बड़े व्यक्तियों को भी बच्चों को यह सिखाना था कि चिड़िया अपने अंडों को किस तरह पालती है.

घर में चिड़िया ने घोंसला बनाया था अतः इस बारे में परिवार के सभी सदस्यों को आपस में बातचीत करनी थी. केशव और श्यामा को भी पर्याप्त जानकारी जुटानी थी. केशव और श्यामा अंडों की रक्षा करना चाहते थे लेकिन नादानी( लापरवाही) व अज्ञानता के कारण अंडे फूट गए और उनसे बच्चे नहीं निकल पाए . इस कारण बच्चों के दिल दुखी हुए लेकिन उन्हें यह सीख मिली कि किसी भी कार्य को करने से पहले उस कार्य के बारे में पूरी तरह से जान लेना जरूरी है ताकि काम बीच में न बिगड़े.

प्रेमचंद ने श्यामा और केशव को नादान दोस्त इसलिए कहा क्योंकि वह दोनों अंडों की देखभाल करके उन्हें सुरक्षित रखना चाहते थे. उनका भला चाहते थे लेकिन  उनसे  नादानी हो गई क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि  किसी और के द्वारा अंडे छूने के बाद चिड़िया उन्हें नहीं पालती है.
  • दोस्त- चिड़िया की मदद, अंडों की सुरक्षा का भाव
  •  नादान- पर्याप्त जानकारी न होना

अंततः अंडे फूट जाते हैं और दोनों बच्चे दुखी होते हैं.





nadan dost question answer
नादान दोस्त पाठ के प्रश्न उत्तर

 प्रश्नोत्तर 



प्रश्न 1: केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल क्यों उठते थे?

उत्तर : केशव और श्यामा छोटे बच्चे थे; इसलिए अंडों को देखकर उनके मन में अनेक प्रश्न उठते थे, वे अंडों के बारे में जानना चाहते थे और उनका अनुमान लगाते थे।

प्रश्न 2 : अंडों के बारे में दोनों आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?

उत्तर : केशव और श्यामा की माता जी घर के कामों में बहुत व्यस्त रहती थीं और उनके पिता के पास पढ़ाई-लिखाई का कार्य हुआ करता था। उन दोनों के सवालों का जवाब देने के लिए कोई नहीं रहा था इसलिए वे स्वयं ही एक दूसरे के सवालों का जवाब देकर तसल्ली दे दिया करते थे।

प्रश्न 3 : अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि-‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा।’ के जवाब में श्यामा ने क्या कहा और उसने ऐसा क्यों किया?

उत्तर : श्यामा ने अपनी माँ को सच बता दिया कि भईया ने अंडों को छुआ था। उसने डर के मारे माँ को सब कुछ सच-सच बता दिया।

प्रश्न 4 : पाठ के आधार पर बताओ कि अंडे गंदे क्यों हुए और उन अंडों का क्या हुआ?

उत्तर : केशव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा करने के लिए उनके नीचे चिथड़े लगा दिए थे। परन्तु कहा जाता है कि यदि चिड़िया के अंडों को छू लिया जाए तो वो अंडे गंदे हो जाते हैं। जिसे चिड़िया दुबारा सेती नहीं है। उनकी इसी नादानी के परिणामस्वरूप चिड़िया ने उन अंडों को घोंसले से गिरा दिया अब वो अंडे बेकार हो चुके थे, उनकी नादानी की वजह से अंडे बर्बाद हो गए।


प्रश्न 5 : सही उत्तर क्या है?

अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले क्योंकि-

  • वे माँ की नींद नहीं तोड़ना चाहते थे।
  • माँ नहीं चाहती थीं कि वे चिड़ियों की देखभाल करें।
  • माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।

उत्तर : अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले क्योंकि-
            माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें

प्रश्न 6 : केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए किन तीन बातों का ध्यान रखा?

उत्तर : केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा:-
सर्वप्रथम उन्होंने उनके आराम का ध्यान रखा। इसके लिए कपड़े का चिथड़ा बिछाया, जिससे उन्हें आरामदायक घोंसला दिया जा सके।
उन्होंने अंडों के सिर पर एक टोकरी लगा दी जो उन्हें धूप से बचा सके।
उन्होंने उनके दाना-पानी के लिए चावल के दाने व प्याली का इंतजाम किया जिससे माता-पिता (चिड़ा और चिड़िया) को घोंसला छोड़कर बार-बार अपने बच्चों से दूर बाहर न जाना पड़े।

प्रश्न 7 : कार्निस पर अंडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएँ आईं और उन्होंने चोरी-चुपके जो कुछ कार्य किए, क्या वे उचित थे? तर्क सहित उत्तर लिखो।

उत्तर :बच्चों ने अंडों की रक्षा करने के लिए जो कार्य किए वे नादानी में हुए। क्योंकि वे अपने बालपन के कारण उन जानकारियों से अनजान थे। उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं था कि चिड़िया छुए अंडों को दुबारा नहीं सेती। यदि उन्हें इस बात का ज्ञान होता तो वो इस तरह की गलती कभी नहीं करते। क्योंकि जब उन्होंने अंडों को ज़मीन पर टूटा हुआ देखा तो माँ के बताने पर कि अंडे छूने से खराब हो जाते हैं, उन्हें अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ। हम उन्हें गलत नहीं ठहरा सकते। इसलिए तो लेखक ने इसका नाम नादान दोस्त रखा है जो इस तथ्य को साबित करता है।

प्रश्न 8 : पाठ से मालूम करो कि माँ को हँसी क्यों आई? तुम्हारी समझ से माँ को क्या करना चाहिए था?

उत्तर : माँ की हँसी का कारण बच्चों की नादानी व अज्ञानता थी। जब उन्होंने बच्चों से अंडों के टूटने का कारण पूछा तो बच्चों ने बड़ी मासूमयित से कहा कि उन्हें गद्दी देने के लिए अर्थात आरामदायक घोंसला देने के लिए उन्होंने उन्हें चिथड़ों के ऊपर रख दिया था, तो माँ का गुस्सा हँसी में बदल गया।

माँ को चाहिए था कि वो बच्चों की उस अज्ञानता को दूर करती जिसके कारणवश उनसे अंडो को छूने की गलती हुई थी; परन्तु वे उनकी अज्ञानता पर ही हँस पड़ी। बच्चें स्वयं ही पछता रहे थे। माँ को उन्हें समझाना चाहिए था यही सही था।

प्रश्न 9 : माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?

उत्तर : माँ के सोते ही केशव और श्यामा अंडो की रक्षा के लिए टोकरी व दाना-पानी रखने के लिए बाहर निकल आए। परन्तु जब उन दोनों को बिस्तर पर ना पाकर माँ बाहर आ गई तो दोनों चुप हो गए क्योंकि अगर माँ को पता चला कि वो क्या कर रहें हैं तो उनकी पिटाई हो जाएगी।

प्रश्न 10 : प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?

उत्तर : मेरे अनुसार इस कहानी का नाम ”नादान बचपन” होना चाहिए क्योंकि ये कहानी उन बच्चों की है; जो अपने बल से एक ऐसी नादानी कर देते हैं। जिससे चिड़िया को अपने अंडो से हाथ धोना पड़ता क्योंकि यदि वे परिपक्व (समझदार) होते तो वे ऐसी नादानी नहीं करते।


nadan dost bhasha ki baat

 भाषा की बात 



प्रश्न 1:

श्यामा माँ से बोली मैंने आपकी बातचीत सुन ली है। ऊपर दिए उदाहरण में मैंने का प्रयोग ‘श्यामा’ के लिए और आपकी का प्रयोग ‘माँ’ के लिए हो रहा है। जब सर्वनाम का प्रयोग कहने वाले, सुनने वाले या किसी तीसरे के लिए हो, तो उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। नीचे दिए गए वाक्यों में तीनों प्रकार के पुरुषवाचक सर्वनामों के नीचे रेखा खींचो-

एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा,”मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?”

उत्तर :

एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा,”मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?”

  • उत्तम पुरूषवाचक सर्वनाम− मैं, मुझे
  • मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम − आप
  • अन्य पुरूषवाचक सर्वनाम − उन्होंने, उनकी, उसने



प्रश्न 2 :


तगड़े बच्चे

मसालेदार सब्जी

बड़ा अंडा


इसमें रेखांकित शब्द क्रमशः बच्चे, सब्जी और अंडा की विशेषता यानी गुण बता रहे हैं इसलिए ऐसे विशेषणों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं. इसमें व्यक्ति या वस्तु के अच्छे-बुरे हर तरह के गुण आते हैं. तुम चार गुणवाचक विशेषण लिखो और उनसे वाक्य बनाओ.

उत्तर :

गुण वाचक विशेषण :-

  • आलसी आदमी- वह आलसी आदमी काफी परेशान लगता है।
  • सुन्दर लड़की- एक सुन्दर लड़की खिड़की पर खड़ी थी।
  • छोटा बच्चा -छोटे बच्चे नटखट होते हैं।
  • जंगली बिल्ली -जंगली बिल्ली बहुत खतरनाक होती है।



प्रश्न 3 :

नीचे कुछ प्रश्नवाचक वाक्य दिए गए हैं, उन्हें बिना प्रश्नवाचक वाक्य के रूप में बदलो-

अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होगें? क्या खाते होंगे? उनमें से बच्चे किस तरह निकल आएँगे? बच्चों के पर कैसे निकलेंगे? घोंसला कैसा है?

उत्तर :

  • अंडे बड़े होंगे।
  • उनका रंग बताओ।
  • अंडो की संख्या बताओ।
  • उनका खाना बताओ।
  • उनमें से बच्चे निकलेंगे।
  • बच्चोंकेपरनिकलेंगे।
  • घोंसले के विषय में बताओ।


प्रश्न 4 :

(क) केशव ने झुँझलाकर कहा…

(ख) केशव रोनी सूरत बनाकर बोला…

(ग) केशव घबराकर उठा…

(घ) केशव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा…

(ङ) श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा…

ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो। ये शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण का काम कर रहे हैं क्योंकि ये बताते हैं कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कैसे हुई। ‘कर’ वाले शब्दों के क्रियाविशेषण होने की एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रियाविशेषणों का वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर :
  • झुँझलाकर – मोहन ने गुस्से में खाना झुँझलाकर फेंक दिया।
  • बनाकर – राघव ने रीना को मोतियों की माला बनाकर दी।
  • घबराकर – सुमन ने माँ से घबराकर झूठ बोल दिया।
  • टिकाकर – सुमित ने डंडे को एक दीवार से टिकाकर रख दिया।
  • गिड़ागिड़ाकर– कल मंदिर के बाहर एक भिखारी गिड़गिड़ाकर भीख माँग रहा था।

प्रश्न 5:

नीचे प्रेमचंद की कहानी ‘सत्याग्रह’ का एक अंश दिया गया है। तुम इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम चिह्नों के बिना यह अंश अधूरा-सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जगहों पर विराम चिह्न लगाओ-

उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया 11 बज चुके थे चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था पंडित जी ने बुलाया खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ भूख लग आई न अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा आपका नहीं। मोटेराम! अबे क्या कहता है यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं? चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि ज़रा अपनी कुप्पी मुझे दे देखूँ तो वहा क्या रेंग रहा है मुझे भय होता है

उत्तर :

उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया। 11 बज चुके थे, चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था। पंडित ने बुलाया- खोमचेवाले! खोमचेवाला- कहिए क्या दूँ? भूख लग आई न! अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है; हमारा आपका नहीं। मोटेराम! अबे क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं। चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे। तुझे केवल इसलिए बुलाया है कि जऱा अपनी कुप्पी मुझे दे। देखूँ तो, वहाँ क्या रेंग रहा है? मुझे भय होता है।



पाठ 'नादान दोस्त' प्रेमचंद दवारा रचित एक मार्मिक और शिक्षाप्रद कहानी है. लेखक ने केशव और श्यामा के माध्यम से बाल- मनोविज्ञान का रोचक ,सजीव और मर्मस्पर्शीय चित्रण किया है. प्रेमचंद की कहानी 'नादान दोस्त ' बच्चों के मनोभावों पर आधारित है . इस ncert solutions for class 6 hindi के माध्यम से कक्षा-6 की वसंत भाग-1 के पाठ-3 (NCERT Solutions for Class-6 Hindi Vasant Bhag-1 Chapter-3) नादान दोस्त के बारे में सीखा .



जय हिन्द : जय हिंदी 
-----------------------------

Post a Comment

0 Comments